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भा ज पा स्थानीय मुद्दों के बजाय राष्ट्रीय विकास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के भरोसे

पुष्पेंद्र सिंह
टीकमगढ़ 30 मार्च ;अभी तक; आगामी 26 अप्रैल को होने जा रहे मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के टीकमगढ़ लोकसभा(सु )क्षेत्र के चुनाव के लिए प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों ने अपना अपना प्रचार अभियान तेज कर दिया है।  टीकमगढ़, निवाड़ी  जिले की पांच और छतरपुर की तीन विधानसभा सीटों को लेकर वर्ष 2009 में सृजित हुए इस क्षेत्र से बीजेपी के बीरेंद्र कुमार (केंद्रीय मंत्री )चौथी बार मैदान में हैं जबकि कांग्रेस ने अपने एक युवा नेता पंकज अहिरवार को अपना उम्मीदवार बनाया है! पंकज कांग्रेस की अनुसूचित प्रकोष्ठ की जिला इकाई के प्रमुख हैं इसलिए उनकी उस वर्ग, और खासतौर पर युवाओं के बीच अच्छी पकड़ है! जिसका उन्हें चुनाव में फायदा मिल सकता है!
                                      इस क्षेत्र को पिछड़ा इलाका माना जाता है और हर चुनाव की तरह पलायन, बेरोजगारी, शिक्षा, भ्रष्टाचार और स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव इस चुनाव में भी मुद्दे हैं जिन्हें कांग्रेस जनता के बीच लेकर जा रही है! केंद्र में बीजेपी की सरकार होने के वावजूद बीजेपी के वीरेंद्र कुमार इस क्षेत्र के विकास के लिए ऐसा कुछ नहीं  कर सके जिसके बल पर वह जनता से वोट मांग सकें इसीलिए वे  स्थानीय मुद्दों के बजाय राष्ट्रीय विकास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के भरोसे हैं।  स्थानीय स्तर पर लोगों की और खासतौर पर युवाओं  की इस जिले के लिए मेडिकल कॉलेज खोले जाने की मांग पुरानी है जो पिछले चुनाव में भी एक मुद्दा थी देखतें हैं इस बार लोगों का रुझान, इस मुद्दे को लेकर किस की तरफ होगा? यह  फिलहाल स्पष्ट नहीं है! यादव, लोधी और ब्राम्हण मतदाता यहाँ हमेशा ही निर्णायक रहते हैं पिछले चुनावों के नतीजों से स्पष्ट है कि इन वर्गो में से अधिकांश मतदाताओं के लिए बीजेपी पहली पसंद रही है!लेकिन इस बार बदले राजनैतिक समीकरणों के चलते बीजेपी के लिए राह आसान नहीं है!
                               बीजेपी की सीनियर नेत्री उमा भारती को पार्टी ने टिकिट नहीं दिया जिसका खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़ सकता है।  उमा ने इस चुनाव को लड़ने की पूर्व में ही घोषणा की थी लेकिन पार्टी ने उन्हें कहीं से टिकिट नहीं दिया, सार्वजनिक रूप से भले उमा ने नाराजगी व्यक्त न की हो पर उन्हें समझने और जानने वालों का मानना है कि वे कम से कम सजातीय मतों को कुछ हद तक किसी भी पार्टी के पक्ष में मोड़ सकतीं हैं!यहाँ बताना जरूरी है कि उमा भारती का टीकमगढ़, गृह जिला है और वे पिछड़े  और सजातीय मतों में अच्छी पकड़ रखतीं हैं!
                            केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार को उक्त राजनैतिक हालातों के अलावा  भितरघात का सामना भी करना पड़ सकता है इस मामले में जानकर सूत्र बताते हैं कि इस चुनाव में पार्टी से कुछ अन्य नेताओं ने भी अपनी दावेदारी की थी लेकिन पार्टी ने पुनः वीरेंद्र को ही चुनाव लड़ाने का फैसला किया जिससे टिकिट के अन्य दावेदार नाराज हो गए ऐसे हालात में वे बीजेपी के लिए निष्ठा से काम करेंगे, इसकी सम्भावना कम ही है! दूसरी तरफ कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन करने वाले पूर्व विधायक अजय यादव के कारण’ जैसा कि समीक्षकों का मानना है ‘बीजेपी को कोई खास लाभ नहीं होगा और कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं होगा!यादव का कोई खास जनाधार नहीं है वर्ष 2008के विधानसभा चुनाव में उमा भारती ने उन्हें अपनी जनशक्ति पार्टी से टीकमगढ़ जिले की खरगापुर सीट से चुनाव लड़ाया और जिता कर भी लाईं थीं!
पिछले तीन चुनाव के नतीजों से स्पष्ट है कांग्रेस का न सिर्फ वोट प्रतिशत, बल्कि मतों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई, पिछले चुनाव में सपा के भी चुनाव लड़ने से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा लेकिन इस चुनाव में उनका गठबंधन होने से कांग्रेस को लाभ मिल सकता है!टीकमगढ़ जिले की तीन विधानसभा सीटों में से दो कांग्रेस जबकि एक बीजेपी के पास है इसी प्रकार निवाड़ी की दो सीटों में से एक -एक दोनों के खाते में है छतरपुर की तीनों सीटें बीजेपी की हैं जिनका लाभ बीजेपी के वीरेंद्र कुमार को मिल सकता है हालांकि अभी किसी भी राजनैतिक दल के नेताओं के क्षेत्र में चुनावी दौरे शुरू नहीं हुए हैं लेकिन दोनों ही प्रमुख दलों के नेताओं के चुनावी सभाओं के बाद माहौल किसके पक्ष में होगा और किसको कितना फायदा होगा  यह तो आगे स्पष्ट हो सकेगा!

 


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