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मानव अधिकार आयोग ने लांजी स्थित शासकीय अस्पताल में एक प्रसूता की मौत के लिये अस्पताल प्रबंधन और स्टाफ की लापरवाही को जिम्मेदार माना

आनंद ताम्रकार

बालाघाट २४ नवंबर ;अभी तक;  मानव अधिकार आयोग मध्यप्रदेश ने बालाघाट जिले के लांजी स्थिति शासकीय अस्पताल में एक प्रसूता की मौत के लिये अस्पताल प्रबंधन और स्टाफ की लापरवाही को जिम्मेदार माना है। आयोग ने राज्य सरकार को आदेश दिये है की मृतिका के परिजन को 3 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाये। आयोग ने यह भी कहा है की यदि आदेश का पालन सुनिश्चित नहीं किया गया तो मामले पर पुनः सुनवाई की जायेगी।

                          इस संबंध में विधि विभाग के रजिस्टर ने प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आयोग के आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिये कहा है।

यह उल्लेखनीय है 7 मार्च 2022 को लांजी के शासकीय अस्पताल में संगीता पांचे की बच्चे को जन्म देते समय मृत्यु हो गई थी। आयोग के निर्देश पर अपर सचिव ने जांच समिति गठित की रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट हुई है की अस्पताल में भर्ती करने के बाद मृतिका की आवश्यक जांच नहीं की इसके अलावा डिलीवरी में देरी की और संबंधित नर्सिंग स्टाफ की ओर से रक्त की व्यवस्था करने के लिये परिवार को सूचित नहीं किया गया संगीता की मौत खून नहीं मिलने के कारण हुई है।

नर्सिंग कर्मचारी तुलसे बिसेन और रानी वानखेडे को इलाज में लापरवाही बरतने और डॉक्टर सुजाता गेंडाम को अपने कर्तव्यों के पालन में लापरवाही बरतने का दोषी पाया गया।

मामले पर सुनवाई के दौरान आयोग ने पाया की दोषियों को केवल कारण बताओं नोटिस जारी किये गये लेकिन उसके बाद उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।

इस संबंध में बालाघाट के लांजी से पूर्व विधायक किशोर समरीते ने 25 मई 2022 को शिकायत प्रस्तुत की थी। उनकी ओर से शिकायत में यह भी कहा गया था की वर्ष 2005 से 2022 के दौरान लांजी के सिविल अस्पताल में करीब 600 बच्चों और 500 गर्भवती महिलाओं की मौत हो चुकी है।
सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर प्रदीप गेडाम और उनकी पत्नी डाक्टर सुजाता गेडाम पिछले 18 वर्षों से यहां पदस्थ है।
शिकायतकर्ता ने आयोग से मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।

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