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मुनिसंघ के सानिध्य में चल रही है मण्डल विधान पूजन, आज होगी भव्य भजन संध्या
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २३ मार्च ;अभी तक; श्री दिगंबर जैन महावीर जिनालय जनकुपूरा में 17 मार्च से प्रारंभ हुए दस दिवसीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान महोत्सव के सातवें दिन पूज्य मुनि श्री प्रशमसागरजी महाराज ने विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिनेंद्र देव की देशना अंतःकरण को पावन पुनीत बनाने वाली है। दूसरों के जिनवाणी श्रवण में बाधा डालने पर सम्यक ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकेगा। जीवन जीना और मर जाना भी सरल है पर सरल होना सबसे कठिन है। साधना के बिना साध्य की प्राप्ति होती नहीं और साधन कभी साध्य होता नहीं। अहंकार के साथ मंदिर जाने पर भगवान से दूर हो जाते है।
आपने कहा मैं का भाव ही हिंसा है। सिद्धचक्र मण्डल विधान को मंजिल मत मान लेना यह तो केवल धर्मभक्ति का पड़ाव है। ये केवल धर्म क्रियाएं है जो धर्म के निकट जाने का साधन मात्र है, ये धर्म नहीं है। आपने कहा लोग आज धर्म के मंदिरों के कर्ता बन जाते हैं जो अत्यंत दुखदायी हो सकता है। हमारे आचरण की विकृति से ज्ञान का अभाव हो जाता है।
मुनि संयतसागरजी ने प्रवचन में कहा निजानंद को पाना है तो संयम धारण करना सीखें। हम कितने पुण्यशाली है जहां भक्त को भगवान बनने की कला सिखाई जाती है। पंथवाद संतवाद का अनुगामी होने पर सम्यक्त्व का अभाव हो सकता है। संसारी जीव जीवन भर दुखों की निवृत्ति के लिये पुरूषार्थ करता रहता है, क्योंकि उसने इन्द्रियों के सुख में आनन्द मान लिया है जबकि स्वर्गों के सुख भी मात्र सुखाभास है। असली आनंद तो स्वआत्मा में विद्यमान है। सत्यार्थ ब्रह्म को जानने वाला तीन लोक का तिलक होता है। धर्मसभा में मुनि साध्यसागरजी भी उपस्थित थे।
डॉ. चंदा भरत कोठारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि विधान पूजन की क्रियाओं के प्रारंभ में भगवान जिनेन्द्र की शांतिधारा व अभिषेक का लाभ श्री अशोक कुमार राजेश बड़जात्या, सुयश नयन अजमेरा तथा जम्मू लोहारिया, संयम जैन भीलवाड़ा को प्राप्त हुआ।
पूजन स्थापना श्री पवन कुमार अभय कुमार अजमेरा द्वारा की गई। पूज्य मुनिसंघ के पाद पक्षालन श्री नितिन छाबड़ा देवास द्वारा किये गये।
मंगलाचरण मुनि श्री शीलसागरजी महाराज ने किया। जिनवाणी भेंट का सौभाग्य श्रीमती संतोषदेवी, प्रेमादेवी, डिम्पल, सुषमा अजमेरा तथा अर्चना बाकलीवाल को प्राप्त हुआ। पूजन के 512 अर्ध्य विधानाचार्य पं. अरविन्द जैन ने समर्पित करवाए।
डॉ. कोठारी ने बताया कि आज रविवार को प्रातः 6.30 बजे से जिनेन्द्राभिषेक के साथ क्रियाएं प्रारंभ हो जायेगी। शाम 7 से 7.30 बजे तक आरती भक्ति, 7.30 से 8.15 तक विधानाचार्य पं. श्री अरविन्द जैन द्वारा स्वाध्याय, 8.15 बजे से जिनालय में भव्य भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा।
विधान पूजन के अवसर पर सर्वश्री पं. विजय कुमार गांधी, आनंद जैन शास्त्री, अजय बाकलीवाल, डॉ. मनसुखलाल गांधी, अशोक बड़जात्या मुम्बई, चन्द्रकुमार पाटनी, जयंतिलाल मिण्डा, चांदमल काटिवाल, भूपेन्द्र कोठारी, कोमलप्रकाश जैन, मानमल विनायका इंदौर आदि बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।
डॉ. चंदा भरत कोठारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि विधान पूजन की क्रियाओं के प्रारंभ में भगवान जिनेन्द्र की शांतिधारा व अभिषेक का लाभ श्री अशोक कुमार राजेश बड़जात्या, सुयश नयन अजमेरा तथा जम्मू लोहारिया, संयम जैन भीलवाड़ा को प्राप्त हुआ।
पूजन स्थापना श्री पवन कुमार अभय कुमार अजमेरा द्वारा की गई। पूज्य मुनिसंघ के पाद पक्षालन श्री नितिन छाबड़ा देवास द्वारा किये गये।
मंगलाचरण मुनि श्री शीलसागरजी महाराज ने किया। जिनवाणी भेंट का सौभाग्य श्रीमती संतोषदेवी, प्रेमादेवी, डिम्पल, सुषमा अजमेरा तथा अर्चना बाकलीवाल को प्राप्त हुआ। पूजन के 512 अर्ध्य विधानाचार्य पं. अरविन्द जैन ने समर्पित करवाए।
डॉ. कोठारी ने बताया कि आज रविवार को प्रातः 6.30 बजे से जिनेन्द्राभिषेक के साथ क्रियाएं प्रारंभ हो जायेगी। शाम 7 से 7.30 बजे तक आरती भक्ति, 7.30 से 8.15 तक विधानाचार्य पं. श्री अरविन्द जैन द्वारा स्वाध्याय, 8.15 बजे से जिनालय में भव्य भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा।
विधान पूजन के अवसर पर सर्वश्री पं. विजय कुमार गांधी, आनंद जैन शास्त्री, अजय बाकलीवाल, डॉ. मनसुखलाल गांधी, अशोक बड़जात्या मुम्बई, चन्द्रकुमार पाटनी, जयंतिलाल मिण्डा, चांदमल काटिवाल, भूपेन्द्र कोठारी, कोमलप्रकाश जैन, मानमल विनायका इंदौर आदि बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।