मोरटक्का पुल से हल्के वाहनों की आवाजाही शुरू
मयंक शर्मा
खंडवा २४ दिसंबर ;अभी तक; इंदौर-इच्छापुर हाईवे पर यहां से 70 किमी दूर का नर्मदा का अति प्राचीन मोरटक्का पुल से रविवार से हल्के वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। भारवाहक वाहनों के लिए फिलहाल इंतजार करना पड़ेगा। तीन दिनों तक बंद रहने के दोरान इंजीनियर और विशेषज्ञों द्वारा पुल की जांच के बाद जुटाए गए आंकड़ों की समीक्षा उपरांत पुल का भविष्य तय होगा। इसमें करीब 1 हफते से अधिक समय लगेगा।
इंदौर-इच्छापुर हाईवे पर स्थित इंदौर-खंडवा को जोड़ने वाला एकमात्र मोरटक्का का पुल की एसजीएसआइटीए के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रमुख डा. विजय रोड़े के बताया कि मीन दिना तक विशेषज्ञ व प्रोफेसर की टीम द्वारा जांच की गई।तीन दिनों की लोड टेस्टिंग में पहले दिन पुल पर भारी वाहनों को निकालकर इससे होने वाले वाइब्रेशन की फ्रिक्वेंसी की एनालाइजर द्वारा जांच की गई। इसके बाद वजन क्षमता बढ़ाकर डंपर गुजारे गए। इन्हें पुल पर जगह-जगह खड़ा कर पड़ने वाले भार या डिफ्लेक्शन को मापा गया। पुल की प्रत्येक एंगल से जांचकर आंकडे जुटाए गए है।
उधर एनएचएआइ इंदौर , परियोजना प्रबंधक,सुमेश बांझल ने कहा कि मोरटक्का पुल की जांच एसजीएसआइटीएस के विशेषज्ञों द्वारा की गई है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर आगे निर्णय लिया जाएगा।
वर्षाकाल में कोई 2 माह तक नर्मदा में आई बाढ़ की वजह से क्षतिग्रस्त मोरटक्का पुल से वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी थी। यह निर्णय पुल की मजबूती की जांच एसजीएसआइटीएस के इंजीनियर और प्रोफेसर द्वारा करने के बाद लिया गया था। एनएचएआइ के इस निर्णय से ट्रकों को इंदौर से खंडवा तक आवाजाही में करीब 90 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पडा।
मोरटक्का का नर्मदा पुल करीब 75 साल पुराना है। उम्रदराज यह पुल हर वर्ष नर्मदा की बाढ़ के थपे़डों का सामना करने और इस पर से प्रतिदिन बड़ी संख्या में भारवाहक वाहनों की आवाजाही होने से इसकी मजबूती को लेकर सवाल उठ रहे थे। इसके चलते एनएचएआइ द्वारा एसजीएसआइटीएस इंदौर की टीम से पुल की जांच कर अब आंकडो की समीक्षा करने की तैयारी है। टीम द्वारा गुरुवार से पुल की तकनीकी जांच शुरू की गई थी।