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रेलवे के दोहरीकरण कार्य मे  प्लेटफार्म नम्बर तीन रेलवे के नक्शे में है ही नही 

महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १४ जून ;अभी तक;  मन्दसौर में रेलवे की बडी रेल लाइन के दोहरीकरण का कार्य चल रहा है। रेलवे की योजना अनुसार चल रहे इस कार्य मे रेलवे ने जो तय किया वही हो रहा है। तीन नम्बर प्लेटफार्म के लिए जन चर्चा में सुना गया था और कुछ वर्ष पूर्व एक रेल कर्मी के पास आए एक नक्शे में 3 नम्बर प्लेटफार्म 2 नम्बर प्लेटफार्म के उस और देखा भी गया था लेकिन जब रेल मंत्रालय ने दोहरीकरण का कार्य स्वीकृत किया तो प्रस्तावित नक्शे में 3 नम्बर प्लेटफार्म है ही नही।
                                     दोहरीकरण के बाद मन्दसौर को एक व दो प्लेटफार्म पर ही संतोष करना पड़ेगा जबकि प्लेटफार्म 2 के सामने प्लेटफार्म 3 व 4 तक के लिए पर्याप्त जमीन बताई जाती है। रेलों के लिए अभी तीन पटरियां है जो एक और बढ़ा कर चार कर दी जाएगी। यह चौथी पटरी प्लेटफार्म नम्बर दो व बीच में स्थित पटरी के  के पास जो जगह उपलब्ध है उस पर ही 4 थी पटरी बिछाई जाएगी।प्लेटफार्म नम्बर दो की पटरी के पास जो खाली जमीन है उस पर चौथी पटरी बिछाई जाएगी। स्पष्ट है बीच की दो पटरियों पर दो रेलों के आवागमन के लिए पटरियां उपलब्ध हो जाएगी जिनसे लगता है दोनो पर यात्री गाड़ियां को नही रोक जा सकेगा क्योंकि दो प्लेटफार्म के बीच यात्री कैसे बीच की दो पटरियों पर गाड़ियों में जाकर बैठ सकेंगे। जब प्लेटफार्म 3 के लिए जगह है तो फिर रेलवे मन्दसौर के साथ यह ज्यादती क्यो कर रहा है। जो काम आज आसान है उसे कल भारी खर्च के लिए क्यो छोड़ा जा रहा है । मंदसौर की जागरूकता की जब तक नींद खुलेगी तब तक प्लेटफार्म नम्बर 3 व 4 आगे दशकों तक इंतजार के भरोसे चला जाएगा।
                                     दोहरीकरण के बाद प्लेटफार्म वही दो रहेंगे तो मन्दसौर के जंक्शन बनने का सपना तो प्रतापगढ़ व सीतामऊ , चौमेला बड़ी रेल लाइन स्वीकृत हो कर पूरी होगी तब तक के लिए सपने में ही खोए रहने के लिए चला जाएगा। मन्दसौर के विकास को एक मौका मिला वह जागरूकता में खो गया तो कोई आश्चर्य नही होगा। जब 3 नम्बर प्लेटफार्म स्वीकृत होगा तब फिर से अभी बन रहे निर्माण कार्यो में से कितनो में तोडफोड होगी वह रेलवे ही जाने पर रेलवे जब आज इतना बड़ा निर्माण कार्य चल रहा है उसके साथ ही 3 नम्बर प्लेटफार्म का काम भी पूरा क्यो नही कर रह है यह वही जाने।
                                     मंदसौर को रेलवे लाइन से जुड़े कोई 142 वर्ष हो गए हैं ।वर्ष 1881 में भाप के इंजन से अकोला से अजमेर तक मीटर गेज की ट्रेनें 30 सितंबर 2006 तक दौड़ती रही मंदसौर अंग्रेजों की बिछाई गई दिल्ली हैदराबाद मीटर गेज रेल लाइन का प्रमुख स्टेशन रहा है 1978-1979 तक भाप के इंजन के साथ ही 1978 में डीजल इंजन से मीटर गेज पर रेलगाड़िया चलने लगी 30 सितंबर 2016 को बड़ी रेल लाइन का काम पूरा होने पर इस पर डीजल इंजन चलने लगे ।इस बड़ी रेल लाइन पर 8 मार्च 2020 में विद्युतीकरण का काम पूरा होने पर इलेक्ट्रिक इंजन से पहली यात्री गाड़ी रतलाम जमुना ब्रिज चली ।शहर के बाशिंदों को भाप के इंजन से मीटर गैस पर चल रही छुक छुक रेल गाड़ियों से लेकर अब तक बड़ी रेल लाइन पर डीजल से लेकर इलेक्ट्रिक इंजन से गाड़ियां दौड़ रही है।
                                          चित्तौड़गढ़ से लेकर नीमच तक सीमेंट की कई फैक्ट्रियां होने से और रतलाम मंदसौर से होकर रेलगाड़ियां इन स्टेशनों तक पहुंची है तो निश्चित ही माल ढुलाई में रेलवे की प्रगति के लिए मंदसौर स्टेशन एक प्रमुख है। रेलवे ने रतलाम चित्तौड़ रेलखंड को तेजी से बड़ी रेल लाइन में बदलने के साथ ही फिर दोहरीकरण के कार्य पर जोर दिया ।अब इस रेलखंड पर दोहरीकरण का कार्य चल रहा है ।जितना जल्दी हो सके यह काम पूरा भी होगा।
                            बड़ी रेल लाइन के बाद मंदसौर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 1 व नंबर 2 का उन्नयन भी हुआ। अब दोहरीकरण का काम शुरू हुआ और उम्मीद की जा रही है की ठीक ही मंदसौर स्टेशन पर अब प्लेटफार्म नंबर 3 व उसके बाद चार भी बनेगा और मंदसौर जंक्शन बनने की दिशा में कदम भी रखेगा लेकिन जब यह पता चला कि प्लेटफार्म नंबर 3 नहीं बनेगा तो 4 का बनना तो संभव नहीं है। मंदसौर को बड़ी रेल लाइन के दोहरीकरण के बाद वर्तमान के प्लेटफार्म नंबर 1 व 2 से ही काम चलाना पड़ेगा यानी कि यह भी निश्चित है कि यात्री गाड़ियां 12 पर ही रुकेगी और दोपहर रुकने की स्थिति में यात्रियों को बीच से होकर जाना ही पड़ेगा यह प्लेटफार्म नंबर 3 कौन सी कमजोरी का शिकार हो नक्शे मैं स्थान ही नहीं बना पाया यह रेलवे जाने लेकिन यह मंदसौर को एक बड़ा दर्द विकास को दे जाएगा।
                                  रेलवे के उच्च सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बड़ी रेल लाइन के दोहरीकरण में मंदसौर स्टेशन पर नक्शे में प्लेटफार्म नंबर 3 है ही नहीं यह राजनीतिक दलों के नेताओं को मालूम है या नहीं वही जाने सूत्रों ने बताया कि अभी बड़ी रेल लाइन की पथरिया है इनमें एक और पटरी प्लेटफार्म नंबर 2 के पास की व बीच की पृथ्वी के बीच इतनी जगह है कि एक और पटरी जल जाएगी इसी जगह चौथी पटरी डाली जाएगी सूत्रों ने कहा कि प्लेटफार्म नंबर 3 व 4 तो तब बनेगी जब प्रतापगढ़ हो चोमेला की बड़ी रेल लाइन शोकत हो जाएगी वहां खूब भाई डॉट कॉम दूर विकास की बात सूत्रों ने बताया कि मंदसौर स्टेशन की लंबाई भी अब नीमच की ओर बढ़ाई जा रही है क्योंकि रतलाम की ओर चुनाव बीज होने से आगे तक जगह नहीं है तो 68 भी बढ़ाया जा रहा है एक नया चौड़ा फुटओवर ब्रिज बनाया जाएगा प्लेटफार्म नंबर 2 की लंबाई नीमच की और ज्यादा दूर तक जाएगी जबकि एक नंबर प्लेटफार्म की लंबाई भी बढ़ेगी तो सही लेकिन वह ज्यादा दूर तक नहीं जाएगी।
प्लेटफार्म नंबर 2 फीट चौड़ाई एचआर प्लेटफार्म बनाने के लिए पर्याप्त नहीं बल्कि चौथे प्लेटफार्म के लिए भी उपलब्ध है ऐसा सूत्र का भी मानना है लेकिन रेलवे की मनमर्जी के आगे कोई क्या कर सकता है जब वह यात्री गाड़ियां भी अपने मनमाने समय पर चलाते हैं और जनता की आवश्यकता को ध्यान में रखकर भी नहीं चलाते हैं अभी जब रेलवे द्वारा दोहरीकरण का काम जोर-शोर से चल रहा है तो अभी क्यों प्लेटफार्म नंबर 3 नहीं बनाया जा रहा है यह रेलवे ही जाने ।
प्लेटफार्म नंबर 102 के बीच अभी तीन परियां है और इनके बीच प्लेटफार्म नंबर 2 की पटरी के पास की जगह पर एक और चौथी पटरी डाली जाएगी जिसे देखकर लगता है कि व्हिस्की इन 2 पक्षियों पर माल गाड़ियां ही निकाली जा सकेगी क्योंकि 20 की पक्षियों से यात्री गाड़ियां रूकती है तो यात्रियों को बैठ बैठने में परेशानी होगी मतलब आने वाले समय में फोटो और भेज का उपयोग यात्रियों के लिए ज्यादा बढ़ जाएगा।
पहली रेलगाड़ी मंदसौर आने से लेकर अब तक 142 वर्ष बीत गए मीटर गेज भाप के इंजन डीजल इंजन से लेकर इलेक्ट्रिक इंजन तक का सफर अब तक तय किया जा चुका है डीजल के मूल्यों को देखते हुए रेलवे ने तेजी से इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा किया इलेक्ट्रिक इंजन दौड़ रहे हैं लेकिन ताज्जुब की बात तो तब देखने को मैं आई जब कुछ लंबी दूरी हो या डेमू ट्रेन हो इनमें डीजल के इंजन देखे गए तो आश्चर्य हुआ रेलवे 21वीं सदी में जाने के बाद फिर बीसवीं सदी में कदम रखना देता है तो लोगों में यह आश्चर्य का विषय होना स्वभाविक है।बड़ी रेल लाइन के दोहरीकरण का कार्य कुछ महीनों में पूरा होकर दिखेगा तो कंजेस्टेड क्षेत्र से चार रेल पटरियों से चार ट्रेनों के आवागमन की सुविधा का दृश्य 21 वी सदी के आधुनिक युग मे 20 वी सदी के विकास के दर्शन कौतूहल भरा सुकून एक नये कदम को बता रहा होगा जो कितने दशक का इंतजार प्रतापगढ़ व सीतामऊ चौमेला की बडी रेल लाइन की स्वीकृति तक के लिए होगा।

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