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श्री प्रेम प्रकाश आश्रम का वार्षिक महोत्सव सांई टेऊँराम तुहिंजो झण्डो झूले

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर ५ दिसंबर ;अभी तक;  सिन्धी हिन्दू समाज की प्रमुख धर्मपीठ आचार्य सतगुरू स्वामी टेऊँरामजी महाराज के मंदसौर शाखा श्री प्रेमप्रकाश आश्रम मंदसौर का 15वां वार्षिक महोत्सव 3 दिसम्बर को पंचम पिठाध्वेश्वर की आज्ञा एवं आशीर्वाद से संत श्री शंभूलाल प्रेमप्रकाशी के पावन सानिध्य मंे हर्षोल्लास एवं उमंग के साथ मनाया गया।
                                इस आशय की जानकारी श्री प्रेमप्रकाश सेवा मण्डली के अध्यक्ष पुरूषोत्तम शिवानी ने देते हुए बतलाया कि रविवार 3 तारीख को सुबह इन्द्रदेव की कृपा से अत्यन्त ही गुलाबी एवं सुहाने ठंडे खुशनुमा वातावरण में संतश्री शंभूलाल का आगमन पर आश्रम के मेनगेट बैण्डबाजों के साथ शोभायात्रा के साथ आश्रम में मंगल प्रवेश किया।
                                   आरंभ में संतश्री शंभूलाल ने भगवान श्री लक्ष्मीनारायण, भगवान श्री झूलेलाल, आचार्य सतगुरू स्वामी टेऊँरामजी महाराज एवं सतगुरूओं के विग्रहों की मूर्ति पूजा कर पोषाक पहरात किया। तत्पश्चात् मालवांचल के सुप्रसिद्ध पं. उमेश जोशी के आचार्यत्व एवं पं. विशाल जोशी द्वारा प्रांरभ हवन, यज्ञ की पूर्णाहूति संत श्री शंभुलाल ने वैदिक एवं सतगुरूओं के मंत्रो उच्चारण के उद्घोष के साथ 15वें वार्षिक महोत्सव एवं संगत के सुख समृद्धि के आहूति के साथ सम्पन्न किया। हवन, यज्ञ में दिव्या-नारायण शिवानी, द्रोपती-देवीदास प्रधनानी, रेखा-हरिश उत्तवानी, जजमान ने सम्पन्न करवाया।
                                  शिवानी ने बताया कि इस पावन अवसर पर साई टेऊराम तुहिनजो झंडो झूले…… हम गीत सनातन गाते है, झण्डा धर्म झूलाते है …….. की मधुर भजनों पर श्रद्धालु के उद्घोष के साथ संत श्री शंभुलाल ने सनातन धर्म की प्रवर्तक श्री प्रेमप्रकाश ध्वजा वंदन कर पूजा अर्चना के साथ श्री प्रेमप्रकाश आश्रम पर फहराकर 15वें वार्षिक महोत्सव का शंखनाद किया। ध्वजा पूजा प्रीतम खेमानी एवं हरिश उत्तवानी ने सम्पन्न करवाई।
सायंकालीन सत्संग का आरंभ पंथ के पंच पिठाधीश्वर गादीनशीन पूज्य श्री गुरू महाराज स्वामी भगतप्रकाशजी ने श्री अमरापुर दरबार के यूट्यूब चैनल पर इंटरनेट के माध्यम से सीधा प्रसारण टीवी पर अमृतमयी वचनों से 15वें वार्षिक उत्सव की बधाई दी एवं सुख समृद्धि अमन चैन का पल्लव पाकर आशीर्वाद प्रदान किया। तत्पश्चात् संत श्री शंभूलाल ने वार्षिक महोत्सव के निमित्त श्रीमद् भागवत गीता एवं श्री प्रेमप्रकाश ग्रंथ के पाठों का भोग गीता के अंतिक श्लोक एवं श्री प्रेमप्रकाश ग्रंथ के अन्तिम अध्याय शांति के दोहों का वाचन कर सम्पन्न किया। और अपने मुखारविन्द से श्री प्रेमप्रकाश गं्रथ की अमृतमयी वाणी को समझाते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण  ने गीता में उपदेश देते हुए कहा है कि मानव जन्म सबसे श्रेष्ठ एवं दुर्लभ जन्म है। मानव जूनी भाग्यवान मानव को ही प्राप्त होती है, इसलिये मनुष्य जन्म की बड़ी महिमा है। हमें भक्ति भाव से बिना किसी अहंकार के संसारी सुखों को त्यागकर धर्म मार्ग पर अग्रसर होना चाहिये। पंथ के स्थापक आचार्य स्वामी टेऊँरामजी महाराज की सेवा, समर्पण एवं गुरू भक्ति कर व संघर्षों के विवरण, संस्मरणों से उपस्थित संगत मंत्र मुग्ध हो गई। भगवान श्री लक्ष्मीनारायण ने अनेक परीक्षाओं से आपको पास किया। मनुष्य को निष्काम सेवा करके धर्म मार्ग पर चलना चाहिये। भगवान श्री कृष्ण विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे। आप श्री ने पाण्डवों का सारथी बनना स्वीकार कर धर्म का परचम लहराया।
शिवानी ने बताया कि संतश्री ने सोमवार 4 दिसम्बर को अमृत वेला में सुबह पिपलियामंडी स्थित राजकुमार महादेवमल हरजानी के निवास पर सैकड़ों की तादाद में संगत को दर्शन एवं सत्संग प्रवचनों की वर्षा कर कृतार्थ किया।
कार्यक्रम में नन्दू आडवानी, दृष्टानंद नैनवानी, राम कोटवानी, वासुदेव सेवानी, प्रीतम खैमानी, सुरेश बाबानी, भगवान एवं गिरीश आसवानी (दुबई), नारायण शिवानी , किशन एवं मनोहर लालवानी, मोहनदास एवं नरेश फतनानी, हीरानंद लालवानी, डॉ. सुरेश पमनानी, हरिश उत्तवानी, दयाराम जैसवानी, सुंदरदास आसवानी, नरेश कोटवानी, दिनेश रामचंदानी, दिनेश सेवानी, देवीदास प्रदनानी, राजकुमार लालवानी, चंदीराम चंदानी, बम कोठारी, मेघराज कोठारी आदि ने शिरकत कर आरती कर संतश्री का आशीर्वाद प्रदान किया। आभार प्रदर्शन महिला मण्डली की प्रमुख श्रीमती पुष्पा पमनानी, नन्दू आडवानी ने प्रकट किया। अंत में संतश्रीने पल्लव पाकर कार्यक्रम समाप्ति उपरांत प्रसादी भण्डारा, सिंधी समाज एवं सनातन धर्मियों ने ग्रहण किया।

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