संमानातर व्यवसाय कर किसानों से ठगी करने वाले बंगाली डाक्टर द्वार से 10.6 लाख रुपये जब्त
मयंक शर्मा
खंडवा ४ मई ;अभी तक; जिले के ग्राम आड़ाखेड़ा और सावलीधड़ के किसानों से कपास, गेहूं और चने की फसल खरीदकर रुपये नहीं देते हुए 41 लाख रुपये की धोखाधड़ी कर फरार आरोपी सुब्रत विश्वास और साथी छोटू को खालवा पुलिस ने उत्तराखंड के खालीमदुवर नारायण नगर से खोज लिया है जां वे फरार होने के बाद ं छुप कर रहे रहे थे। गिरफतारी के बाद न्यायालय से रिंमाड लेकर इनके पूछताछ की गयी ।
हरसूद एसडीओपी आर बास्कले ने बताया कि रिमांड खत्म होने पर बुधवार को दोनों आरोपित सुब्रत विस्वास और छोटू विस्वास को हरसूद न्यायालय में पेश किया। जहां से दोनों को जेल भेज दिया है।
एसढीओपी ने कहा कि खालवा थाने में 29 मार्च डाक्टर सुब्रत विस्वास पर धारा 420 में प्रकरण दर्ज हुआ था। सुब्रत ने 10 नवंबर 2022 से 28 मार्च 2023 तक ग्राम आड़ाखेड़ा और सावलीधड़ के किसानों से उनकी उपज महंगे दामों में खरीदी थी। इसके बाद उसने उन्हें रुपये नहीं दिए और फरार हो गये। किसानों से उपज खरीदकर करीब 41 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
आदिवासी क्षेत्र में किसानों को ठगने वाले बंगाली डाक्टर सुब्रत विश्वास और उसके साथी छोटू विस्वास से खालवा पुलिस ने 10 लाख छह हजार 726 रुपये जब्त किए है। खालवा थाने के थाना प्रभारी राजेंद्र नरवरिया ने बताया कि आरापी सुब्रत पिता त्र मनीलाल विस्वास निवासी साईली गांव गोपाल नगर, परगना कोलकाता का निवासी है।
फिलहाल वह नारायण नगर थाना झनकइया (उत्तराखंड) में रह रहा था। यही से सुब्रत और उसके आरोपित छोटू पिता केशव विस्वास को ििगरफ्तार किया गया था। आरोपी छोटू ं से 30 हजार 200 रुपये जब्त किए गए। उन्होने बताये है कि इसके अतिरिक्त यूनियन बैंक आफ इंडिया शाखा उत्तराखंड में जमा चार लाख 76 हजार 526 रुपये सीज कराए गए है। न्यायालय से आरोपितों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई। इसके बाद आरोपितों से पांच लाख रुपये और जब्त किए गए।इस तरह से अब तक आरोपितों से 10 लाख छह हजार 726 रुपये जब्त किए गए। रिमांड अवधि खत्म होने पर बुधवार को दोनों आरोपी सुब्रत विस्वास और छोटू विस्वास को हरसूद न्यायालय में पेश किया। जहां से दोनों को जेल भेज दिया है।
खालवा थाने में 29 मार्च डाक्टर सुब्रत विस्वास पर धारा 420 में प्रकरण दर्ज हुआ था। सुब्रत ने 10 नवंबर 2022 से 28 मार्च 2023 तक ग्राम आड़ाखेड़ा और सावलीधड़ के किसानों से उनकी उपज महंगे दामों में खरीदी थी। इसके बाद उसने उन्हें रुपये नहीं दिए।