सदियों पुरानी ऐतिहासिक परंपरा का हुआ निर्वहन, महाराजा छत्रसाल के वंशज पन्ना नरेश छत्रसाल द्वितीय को दिव्य तलवार, पानबीरा किया गया भेंट
दीपक शर्मा
पन्ना १४ अक्टूबर ;अभी तक ; पांच पद्मावती पुरी धाम पन्ना के प्राचीन खेजड़ा मंदिर में सदियों से चली आ रही परम्परा का विधिवत निर्वहन किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से उपस्थित महाराजा छत्रसाल के वंशज पन्ना नरेश छत्रसाल द्वितीय को मंदिर के पुजारी द्वारा दिव्य तलवार, पान व बीरा भेंट किया गया।
इस अवसर पर पन्ना राजघराने के सदस्य व छतरपुर से भी महाराजा छत्रसाल के वंशज सत्येन्द्र सिंह बुंदेला, बुदेला समाज के लोगों में मार्तण्ड सिंह, एडी राजा, सौरज प्रताप बुंदेला उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्य रूप से धर्मगुरू डा. दिनेश एम पंडित, धर्मोपदेशक पंडित खेमराज व श्याम बिहारी दुबे सहित श्री 108 प्राणनाथ मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी व प्रबंधक उपस्थित रहे।
मालूम हो कि दशहरा के दिन प्रतिवर्ष इस समारोह के साक्षी बनने के लिए सैकड़ों की संख्या में महामति के अनुयायी श्रद्धालु खेजरा मंदिर प्रांगण में एकत्रित हो जाते थे और उस घड़ी का इंतजार में पलक-पावड़े बिछाए रहते थे कि कब महराज केशरी छत्रसाल के वंशज आएंगे और उस परम्परा का निर्वहन होगा। महाराजा छत्रसाल नें दिव्य तलवार से ऐतिहासिक 52 लड़ाइयां मुगलों के खिलाफ जीतीं थींः।
ज्ञात हो कि आज से लगभग चार सौ वर्ष पूर्व उस समय महामति प्राणनाथ द्वारा छत्रसाल को दिव्य तलवार व बीरा भेंट कर उन्हें विजय आशीर्वाद दिया था उसी परम्परा के निर्वहन में प्रतिवर्ष दशहरा के दिन महाराज छत्रसाल के वंशजों को तलवार व बीरा भेंट किया जाता है। जिसकी एक झलक पाने हजारों श्रद्धालुओं की नजरें टिकी रहती थीं। महामति प्राणनाथ ने बुन्देलखण्ड की रक्षा के लिए महराजा छत्रसाल को वरदानी तलवार सौंपी थी तथा बीरा उठाकर संकल्प करवाया था जिससे महाराजा छत्रसाल पूरे बुन्देलखण्ड को जीत सके थे और अपना साम्राज्य स्थापित कर पन्ना को राजधानी बना सकें। उसी समय से इस परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है।
विजयादशमी के दिन आयोजित इस गरिमामयी कार्यक्रम में प्राणनाथ जी मंदिर के पुजारी महाराज छत्रसाल के वंशजों का तिलक कर बीरा व तलवार देकर उस रस्म को निभाते हैं जो कभी महामति ने छत्रसाल को देश और धर्म की रक्षा के लिए प्रदान की थी। महोत्सव के बीच जब महाराज छत्रसाल के वंशज पन्ना महाराज राघवेन्द्र सिंह के कुंवर छत्रसाल द्वितीय व राजपरिवार के सदस्य पधारे तो सभा भवन प्राणनाथ की जय व बुन्देलखण्ड केशरी महाराजा छत्रसाल के जयकारों से गूंज उठा। तत्पश्चात् मंचीय कार्यक्रम का आयोजनःकिया गया। जिसमें धर्माचार्यों द्वारा महामति प्राणनाथ व महाराजा छत्रसाल के विषय में विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया। वहीं सौरभ शर्मा व विजय शर्मा लल्लू द्वारा शानदार भजनों की प्रस्तुति दी गई। जिसमें उपस्थित लोग मंत्र मुग्ध हो कर झूमने लगे। कार्यक्रम का सफल संचालन मनोज शर्मा रीवा द्वारा किया गया।