28 साल पहले घर छोडकर गया दीनू वापस लौटा जबकि पिछले 10 साल से फर्जी दीनू बनकर कोई और ही रह रहा था
मयंक शर्मा
खंडवा-११ दिसंबर ;अभी तक; कोई 28 साल पहले घर छोडकर गये युवक के स्थान पर पिछले 10 साल से फर्जी दीनू बनकर कोई और ही रह रहा था। मामले में सनसनी तब फैज गयी ज ि असली दीनू एकाएक घर लौट आया।
दीनू के पिता जागेश्वर ने कहा कि अब हमारा असली दीनू आ गया है।हमें विश्वास हो गया है। बाबा जो दीनू बनकर हमारे साथ रह रहा है उसने कुछ वर्ष पहले ही आधार कार्ड भी बनवा लिया था।जबकि एक दीनू ने मुंबई में बनवाया है।बचपन के दोस्त ने भी दीनू के असली होने की पुष्टि की।गांव के एक दोस्त ने बचपन में खेलते समय बागड़ का कांटा गाल में लगने से होने वाले निशान को देखकर कहा कि यही असली दीनू है।उस घटना को भी परिवार ने दीनू की जबानी सुना।
परिवार के विनोद लौवंशी ने बताया कि नकली दीनू बाबा से बात की है।उसे बताया कि हमारा दीनू आ गया है लेकिन तुमने हमें धोखे में रखा।इस पर नकली दीनू बोला कि मैं कल्याणगिरी बाबा हूं।तेरे परिवार वालों ने मुझे दीनू माना।माता-पिता और परिवार से जो प्यार मिला उससे लगा कि मैं ही दीनू बन जाता हूं।इनका दिल न दुखे।मैंने कोई अपराध नहीं किया।परिवार का भी कहना है कि नकली दीनू ने हमारे साथ कोई छल नहीं किया लेकिन परिवार में नाम जुड़वाकर दस्तावेज बनवा लिए हैं, उससे कोई फर्जीवाड़ा हो सकता है।
पूरा मामला जिलेके जनजातीय ब्लाक खालवा विकासखंड के एक ग्राम काला आम खुर्द का है। रविवार को मीडिया सेे मामले का खुलासा तब हुआ जब लौटे दिनू ने बचपन की बातें याद दिलाते हुए कहा कि मैं ही असली दीनू हूं। माता-पिता ने भी उसे पहचान लिया।इसके बाद असली दीनू से मिलने के लिए ग्रामीणों का तांता लग गया।
ं ग्राम कालाआम खुर्द में 28 साल पहले घर छोड़कर गया एक युवक अपने घर वापस लौटा। इस दौरान जब उसे पता चला कि उसके माता-पिता के साथ कोई दूसरा ही व्यक्ति दीनू बनकर दस साल तक रहा तो अचम्भित हुआ।
ग्राम के जागेश्वर लौवंशी का बेटा दिनेश उर्फ दीनू 28 साल पहले घर से बिना बताए चला गया था।वर्षों तक वह नहीं लौटा लेकिन दस साल पूर्व इस परिवार में एक रिश्तेदार एक बाबा को लेकर आए और कहा कि आपका दीनू लौट आया है।दीनू के पिता ने मीडिया को बताया कि बाबा के रूप में हमने भी दीनू को स्वीकार कर लिया था।धीरे-धीरे पूरे परिवार को वह पहचानने लगा।हमें लगा उसकी मानसिक स्थिति पर प्रभाव के कारण पहचानने में देर लग रही है। पिता ने मााना कि साधु संत था इसलिए कई दिनों तक बाहर भी रहता था।कई धार्मिक कार्यक्रम भी गांव में कराए लेकिन किसी के साथ छलावा नहीं किया।दीपावली से पूर्व ही वह गांव छोड़कर कहीं चला गया।अब असली बेटा लौट आया है तो हमें खुशी हो रही है।
लौट कर आए दिनेश उर्फ दीनू ने बताया कि वह मुंबई में कैटरीन का काम करता है।1995 में कैसे घर से चला गया, कुछ याद नहीं है।बार-बार घर लौटने का प्रयास किया लेकिन खंडवा व आशापुर आने बाद पता नहीं क्यों वापस लौट जाता था।आज मैं अपने परिवार के बीच पहुंचकर खुश हूं।