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फिल्म आदिपुरुष भारत की धार्मिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के विरुद्ध है

*रमेशचन्द्र चन्द्रे*
        मन्दसौर ।   फिल्म आदि पुरुष को प्रदर्शन की अनुमति देने के लिए भारत का सूचना प्रकाशन मंत्रालय पूर्ण तरह अपराधी एवं जिम्मेदार है।       कल दिनांक 16 जून को आदिपुरुष नामक फिल्म रिलीज हुई जो रामायण पर केंद्रित है
                         फिल्म देखने के बाद अनेक दर्शक उद्वेलित हैं तथा रामायण के चरित्रों के मुंह से जिस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करवाया गया है वह स्तर विहीन है जो संस्कारों को बिगड़ने वाला है तथा फिल्म में पात्रों के कैरेक्टर एवं बॉडी लैंग्वेज दिखाई गई है वह भी रामायण के मुख्य चरित्रों की दृष्टि से बहुत आपत्तिजनक है
                   इस फिल्म के डायलॉग लिखने वाले मनोज मुंतशिर का कहना है की समय काल परिस्थिति के अनुसार किसी भी साहित्य को आज की भाषा में प्रस्तुत करना आवश्यक है यह जो उनका तर्क वह ठीक नहीं है
                       भारत में हिंदू साहित्य के साथ साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है तथा उसमें सिर्फ इतना ही परिवर्तन  स्वीकार्य है जिससे कथानक एवं उसकी मूल भावना पात्रों के चरित्र एवं संस्कार प्रभावित ना होते हो।
                        अब सवाल यह उठता है कि इस प्रकार की फिल्म को पहले भारत का सेंसर बोर्ड देखता है तथा परीक्षण के आधार पर उसे फिल्मांकन एवं प्रसारण की अनुमति का प्रमाण पत्र जारी करता है इस फिल्म आदिपुरुष को भी भारत के सेंसर बोर्ड ने पास किया है जबकि सेंसर बोर्ड में चयन किए गए सदस्य भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा चुने गए हैं
                       आज केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और उसके सूचना प्रकाशन मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री श्री अनुराग ठाकुर है तथा भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र जी मोदी भी हिंदुत्व की विचारधारा वाले हैं
                      भारत की सरकार हिंदुत्व की विचारधारा वाली है और उसके बाद भी आदिपुरुष जैसी फिल्म को प्रदर्शित करने की अनुमति मिल जाती है तो क्या भारत का सूचना प्रकाशन विभाग नींद निकलता रहता है या उसके मंत्रियों की बुद्धि काम नहीं करती है
       जहां तक सेंसर बोर्ड का प्रश्न है उसमें विभिन्न स्तर के कलाकार भी होते हैं, कलाकार सिर्फ अभिनय को ही महत्वपूर्ण मानते हैं उन्हें हिंदुत्व की कंसेप्ट का ज्ञान हो यह आवश्यक नहीं है इसलिए इस प्रकार की फिल्म को प्रदर्शित करने की अनुमति के पीछे भारत का सूचना प्रकाशन विभाग एवं उसके मंत्री पूरी तरह अपराधी और जिम्मेदार है
        मैं केंद्र सरकार का विरोधी नहीं हूं किंतु गलत निर्णय का विरोध करना हर भारतीय का कर्तव्य है उसी कर्तव्य का निर्वाह करते हुए अपनी बात मैं लिख रहा हूं

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