प्रदेश

बुंदेलखंड की डायरी ; अखिलेश की नाराजगी से बदले बुंदेलखंड के समीकरण  

 रवीन्द्र व्यास

मध्य प्रदेश का  बुंदेलखंड और विंध्य ही वह इलाका होगा जो प्रदेश में सरकार बनाने और बिगड़ने के समीकरण तय करेगा | इसकी महत्वपूर्ण भूमिका और कोई नहीं बल्कि आई ई एन डी ए गठबंधन में सम्मलित दल ही निभायेंगे | इसका एलान हाल ही में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष  अखिलेश यादव ने कर भी दिया है | इस सियासी संघर्ष के  दौर में  सागर संभाग  की सभी २६ विधानसभा सीटों पर मुख्य दल बीजेपी और कांग्रेस ने अपने प्रत्यासी घोषित कर दिए हैं | सियासत के समीकरण बनाने और बिगड़ने वाले दलों ने भी कई विधान सभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं | इन दलों से चुनावी मैदान में उतारने वाले अधिकाँश वे लोग ही हैं जिन्होंने  अपने ही दल नाराज होकर सपा ,बसपा और आप  का दामन थामा है |

          अखिलेश की नाराजगी ने कांग्रेस की बड़ाई टेंशन  :: ये बात कोई ज्यादा पुरानी नहीं है २८ सितम्बर को खजुराहो में  पत्रकारों के सवालों के जबाब देते हुए ,सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आई ई एन डी ए गठबंधन को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित दिख रहे थे |  मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी के लिए बड़ी गुंजाइश देख रहे अखिलेश यादव ने यह भी कह दिया था कि  मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी  उन स्थानों पर प्रमुख तौर पर चुनाव लड़ेगी जहां बीजेपी को हम हारने की स्थिति में होंगे ।इस मौके पर उन्होंने बीजेपी को जमकर घेरा भी था और कांग्रेस के प्रति सहनभूति दिखाई थी | यहां तक कि उनके पास टिकट की आस लेकर गए कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं को यह कहकर टरका दिया था कि अभी कुछ समय रुक जाओ | उन्हें गठबंधन पर बड़ा भरोषा था | उनका यह भरोषा मध्यप्रदेश के कांग्रेस नेताओं ने ना सिर्फ तोड़ा बल्कि उन्हें उनकी हैसियत का आइना भी दिखा दिया | आग में घी  डालने का कार्य किया मध्य प्रदेश और  उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष ने |

                                  असल में कांग्रेस यह जानती है कि मध्यप्रदेश में दो दलीय समीकरण हैं , ऐसे में अगर वह गठबंधन के नाम पर किसी और को  सीट देते तो नुकसान उनका ही होता ||  लिहाजा तमाम तरह की चर्चाओं के बाद कांग्रेस ने सपा से तालमेल से इंकार कर दिया | हालंकि अखिलेश यादव ने बहुत ज्यादा सीटों की मांग नहीं की थी , उन्होंने मात्र ६ सीटों पर अपनी दावेदारी जताई थी कांग्रेस का यह इंकार सपा सुप्रीमो को इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने घोषणा कर दी कि समाजवादी पार्टी मध्यप्रदेश में 50 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी | सपा के मुख्य टारगेट पर उत्तर प्रदेश से सटी बुंदेलखंड , विंध्य और ग्वालियर संभाग की सीटें होंगी |

                                   बीते तीन दशकों  में समाजवादी पार्टी ने  मध्यप्रदेश विधानसभा  चुनावों में अपने प्रत्याशी उतारे  है। 1997 के उप चुनाव में पहली बार समाजवादी पार्टी के विधायक विजय बहादुर सिंह बुंदेला चंदला से चुने गए | उन्होंने बीजेपी से टिकट न मिलने के कारण नाराज होकर सपा  की साइकिल की सवारी की थी | उप चुनाव जीतने  के बाद वे 1998 और २००३ का चुनाव भी सपा के टिकट पर ही जीते |  चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार सपा  के ,1998 के विधानसभा चुनाव में  चार प्रत्याशी चुनाव जीते ,2003 में सबसे ज्यादा 7 प्रत्याशी ,  2008 और 2018 में भी समाजवादी पार्टी का एक-एक प्रत्याशी चुनाव जीता। ये अलग बात है इनमे से ज्यादातर सत्ताधारी दल के सुर  सुर मिलाते रहे | 

                 सियासत के जानकार  मानते हैं कि पडोसी राज्य में अपनी प्रमुख पहचान  बनाने वाली सपा और बसपा  मत विभाजन में बड़ी अहम भूमिका जरूर अदा करते हैं | इनके प्रत्यासी मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के समीकरण जरूर प्रभावित करते हैं | वर्तमान दौर में जब दोनों दल करो या मारो की स्थिति में है , ऐसे में हार जीत बड़े अंतर से संभव नहीं होगी ,तब ये दल दोनों ही प्रमुख दल की की सत्ता के सिंहासन पर पहुँचने में एक बड़ा अवरोध बना सकती हैं | 

मुख्य मुकाबला बीजेपी  और कांग्रेस में

बुंदेलखंड के सागर संभाग की २६ सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं  | सागर जिले की जिन आठ सीटों पर कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किए हैं  उनमें से अधिकांश सीटों पर   खुद कांग्रेसी ही संतुष्ट नहीं हैं | चुनाव के साल भर पहले से  सागर की खुरई , बीना , सुरखी और रहली विधानसभा सीट कांग्रेस के टारगेट पर थी | खुरई और बीना में तो आये दिन कांग्रेसी दिग्गजों का मेला लगा रहता था | ऐसे में कांग्रेस ने खुरई में मंत्री भूपेंद्र सिंह के सामने रक्षा राजपूत को , रहली में अजेय मंत्री गोपाल भार्गव के सामने ज्योति पटेल को वहीं  सुरखी में मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत के सामने कांग्रेस ने बीजेपी से आये नीरज शर्मा को प्रत्याशी बनाया है | इसके अलावा कांग्रेस ने नरयावली से बीजेपी के प्रदीप लारिया के मुकाबले फिर से सुरेंद्र चौधरी को फिर से प्रत्याशी बनाया है |   सागर जिले की ये चार विधान सभा सीटें ऐसी है जिसको लेकर लोगों का मानना है कि कांग्रेस ने बीजेपी को एक तरह से वाक् ओवर दे दिया है | 

टीकमगढ़ जिले की तीन विधान सभा सीटों में  कांग्रेस और बीजेपी ने पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है | टीकमगढ़ के पूर्व विधायक के के श्रीवास्तव ने नाराज हो कर पार्टी ही छोड़ दी है |  जतारा में जरुर परिवर्तन किया है कांग्रेस ने यहाँ से किरण अहिरवार को प्रत्यासी बनाया गया है | निवाड़ी जिले में पृथ्वीपुर में  उप चुनाव के प्रत्यासी आमने सामने होंगे | निवाड़ी में कांग्रेस ने बीजेपी से 15 दिन पहले आये अमित राय को प्रत्यासी बनाया है | अमित को प्रत्यासी बनाये जाने का कोंग्रेसियों ने विरोध किया है | 

छतरपुर जिले की छह विधानसभा सीटों  में  से पांच सीटों पर दोनों ही प्रमुख दलों में विद्रोह की स्थिति देखने को मिल रही है |  बिजावर में कांग्रेस के  चरण सिंह यादव , छतरपुर में  आलोक चतुर्वेदी और बीजेपी की ललिता यादव  ,  चंदला में हर प्रसाद अनुरागी  और बीजेपी के दिलीप अहिरवार , महराजपुर में बीजेपी प्रत्यासी  कामाख्या  प्रताप सिंह और कांग्रेस के नीरज दीक्षित , राजनगर में बीजेपी के अरविन्द पटेरिया और कांग्रेस के विक्रम सिंह (नाती राजा ) को अपनों से ही विद्रोह का सामना करना पढ़  रहा है | 

पन्ना जिले की भी तीनो विधान सभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्यासी घोषित होने के बाद कार्यकार्ताओं में नारजगी देखने को मिल रही है | वहीँ पवई में वर्तमान विधायक पप्रहलाद लोधी को टिकक़्त दिए जान के बाद से अशंतोष के स्वर तीव्र हो गए हैं |   संजय नगायच ने खुले तौर  पर चेतावनी दे दी है की अगर पांच दिन में परिवर्तन नहीं हुआ तो हजारों कार्यकर्ता पार्टी छोड़ देंगे | 

 दरअसल २०२३ के चुनावों को लेकर हर दल का कार्यकर्ता बनाम नेता यह मान रहा है की यही मौका है जब जनता का रुझान किसी के साथ स्पष्ट रूप से नहीं है | ऐसे मौके का फायदा पार्टी पर दबाव बना कर लिया जा सकता है| यही कारण है कि कहीं कपडे फाड़ने की बात हो रही है तो कहीं नेम प्लेट तोड़ी जा रही है तो कहीं पुतले फूंके जा रहे हैं | दलबदल का अभियान तो कपडे बदलने जैसा चल रहा है |  बहरहाल जो भी सियासत में हो रहा है वह देश और प्रदेश के लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है | 

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