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विलुप्त होती बावड़ी को जल गंगा संवर्धन अभियान से मिला नवजीवन, 3 घन्टे श्रमदान से 200 वर्ष पुरानी बावड़ी से निकला पानी
आनंद ताम्रकार
बालाघाट 8 जून ;अभी तक; जल गंगा संवर्धन अभियान ऐसे जल स्रोतों को भी पुनर्जीवन देने के लिए प्रारम्भ हुआ है। जो पहले कभी जल तृप्ति के महत्वपूर्ण आधार हुआ करते थे। लेकिन आधुनिकता ने ऐसे जल स्त्रोतों को पीछे छोड़ नवीन धारा में बहने लगें। लांजी नगर के श्रीराम मंदिर प्रांगण में करीब 200 वर्ष पुरानी बावड़ी है, जो आज से पहले डस्टबिन की तरह उपयोग में आ रही थी। इसमें पूजन हवन और भंडारे से बचा कूचा सामान डाला जा रहा था। लेकिन जल गंगा संवर्धन अभियान में अचानक इस पुराने जल स्त्रोत की ओर ध्यान गया।
एसडीएम श्री प्रदीप कौरव ने बताया कि शनिवार सुबह से करीब 3 घंटे यहाँ व्यापारी वर्ग, शासकीय अधिकारियों और पार्षदगणों ने श्रमदान कर करीब 2 टन कचरा और मिट्टी निकाली। इसके बाद बावड़ी पुनर्जीवित होने लगी। पानी निकलने लगा। श्रमदान के लिए नगर परिषद के साथ रूपरेखा बनाई गई। सुबह से ही स्वयं विधायक श्री राजकुमार कर्राहे ने भी अभियान में शामिल होकर जनप्रतिनिधियों को प्रेरित किया। साथ ही नपरि के पार्षदगणों व अध्यक्ष श्रीमती रेखा ताराचंद व उपाध्यक्ष श्री संदीप रामटेककर भी शामिल हुए।
पंडित परिवार के आपसी विवाद से लुप्तप्राय होती गई
एसडीएम श्री कौरव ने बताया कि जनवरी तक इस बावड़ी में पानी बना रहता है। मंदिर प्रांगण स्थित इस बावड़ी के विषय मे बहुत कम लोगों को जानकारी है। पूर्व में भी इस बावड़ी के पुनरुद्धार के लिए कार्य योजना बनाई गई थी। मगर पंडित परिवारो के आपस विवाद के कारण कार्य नही हो सका। लेकिन इस अभियान में इसे प्रमुखता से लिया गया। करीब 10 फिट तक गाद भर गई। जिसे श्रमदान से निकाला गया। श्रमदान सुबह 9 बजे से प्रारम्भ हुआ जो 4 बजे तक चला। बीच मे 1 घंटे आराम के बाद पुनः सफाई में जुटे। हालांकि 3 घंटे में 5 फिट तक ही पहुँच सकें।
जाली और शेड लगाकर सुरक्षित रखा जाएगा
एसडीएम श्री कौरव ने कहा कि अभी तो बावड़ी में करीब 15 फिट तक कि गाद निकाली जाएगी। इसके बाद सुरक्षित रखने के लिए ऊपर जाली और सीढ़ियों पर शेड बनाया जाएगा। अगर पानी पेयजल के योग्य रहा और नपा चाहे तो आगे उपयोगी बना सकेंगे।