बीटी कपास की जल्दी, मध्यम एवं देरी से पकने वाली किस्मों का उपयोग करने से अधिक औसत उत्पादन
आशुतोष पुरोहित
खरगौन २२ मई ;अभी तक; कृषि विज्ञान केन्द्र खरगोन के कृषि वैज्ञानिकों ने ग्राम चिकलवास, सांईखेड़ा, रेहटयावाड़ी, बोरगांव, बैजापुर तथा दसनावल के किसानों को कपास की उन्नत तकनीक एवं जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत तकनीकी सलाह दी है। किसान बी.टी. कपास की जल्दी पकने वाली 130 से 140 दिन, मध्यम अवधि में पकने वाली 150 से 160 दिन एवं देरी से पकने वाली 180 से 210 दिन किस्मों की बुवाई 25 मई से जून के प्रथम सप्ताह में करें। जब तापमान 35 डिग्री से. 37 डिग्री से. के बीच आने पर ही बुवाई करें। 25 मई के बाद देर से पकने वाली, जून के प्रथम सप्ताह में मध्यम अवधि में पकने वाली, जून के प्रथम सप्ताह में तथा द्वितीय सप्ताह में जल्दी पकने वाली बी.टी. कपास की किस्मों की बोनी करना चाहिए।
सभी प्रकार की बी.टी. कपास की किस्मों की बोनी करने से कपास की चुनाई आगे-पीछे आने से मजदूरों की उपलब्धता की समस्या नहीं आयेगी। जल्दी, मध्यम एवं देर से पकने वाली किस्मों की बुवाई करने से औसत उत्पादन अधिक आयेगा। कृषि वैज्ञानिकों ने इन गांवों के किसान भाईयों को सलाह दी है कि पूरी जमीन में बी.टी. कपास की एक ही प्रकार की किस्म की बुवाई नहीं करें। इससे कीट व्याधियों का प्रकोप अधिक होगा और उत्पादन कम प्राप्त होगा। वैसे भी दक्षिण भारत में पिछले वर्ष कपास की फसल में आई बीमारी की वजह से एक विशेष कंपनी के बीज मिलना मुश्किल है कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि किसान बी.टी. कपास की बोनी करते समय 10 प्रतिशत अमोनियम सल्फेट 80 कि.ग्रा./है. या युरिया 35 कि.ग्रा./है., 50 प्रतिशत सिंगल सुपर फास्फेट 250 कि.ग्रा./है. एवं म्यूरेट आफ पोटाश 33.5 कि.ग्रा./है. उर्वरक की मात्रा का उपयोग अवश्य करें। साथ ही जिंक सल्फेट 25 कि.ग्रा./है., गोबर खाद (5) टन प्रति हेक्टेयर एवं नीम की खली 200 कि.ग्रा./हेक्टेयर का उपयोग करने से अधिक उत्पादन प्राप्त होगा।
बुवाई के सयम 200 कि.ग्रा./हेक्टेयर की दर से नीम की खली का उपयोग करने से प्रारंभिक अवस्था में भूमिगत कीटों का प्रकोप नहीं होगा। वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को कपास में उच्च सघनता पौध पद्धति (एचडीपीएस) से बुवाई करने की सलाह दी गई। साथ ही न्यूज 18 इलेक्ट्रानिक चौनल पर कपास की विभिन्न प्रजातियों को लगाने के लिए किसानों को प्रेरित करने के लिए बाईट दी गई। उप संचालक कृषि श्री एमएल चौहान ने बताया की जिले में अन्य उत्कृष्ठ कंपनियों के 06 लाख 41 हजार कपास के बीज उपलब्ध है।