बुंदेलखंड की डायरी ; बुंदेलखंड के सूर्य मंदिर
रवीन्द्र व्यास
बुंदेलखंड में मकर संक्रांति का पर्व अलग उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है | सूर्य उपासना का यह पर्व मौसमी परिवर्तन के साथ सामाजिक और धार्मिक परिवर्तन का भी माना जाता है | बुंदेलखंड में सृष्टि के देवता सूर्य के पूजन के अनेकों दुर्लभ प्रमाण मिलते हैं | जो यह बताते हैं की यहां के लोग अनादि काल से सूर्य की पूजा करते आ रहे हें | ये वो इलाका है जहां ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर ने विश्व प्रसिद्ध सूर्य सिद्धांत की रचना की थी | भविष्य पुराण की माने तो कालपी के निकट यमुना के तट पर भगवान् श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने सूर्य उपासना करके कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी | देश में १९८४ इ.तक देश में मात्र १४० सूर्य मंदिर के प्रमाण मिलते हें | पर बुंदेलखंड में सूर्य मंदिर की संख्या सर्वाधिक है |
बुंदेलखंड में मकर संक्रांति और सूर्य उपासना का अपना एक अलग इतिहास रहा है | बुंदेलखंड क्षेत्र में ही देश के सर्वाधिक सूर्य मंदिर स्थापित किये गए हैं | देश के जो प्रमुख सूर्य मंदिर है उस सूची में बुंदेलखंड के तीन प्रमुख सूर्य मंदिर आते हैं | इनमे सागर जिले का रहली का सूर्य मंदिर ,महोबा का रहेलिया सूर्य मंदिर , इनके साथ ही खजुराहो का चित्रगुप्त सूर्यमंदिर आता है |
महोबा से लगभग 3 किमी दूर विचित्र रहिलिया गांव में चंदेल राजा राहिल देव वर्मन ने ९वी शताब्दी में सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था | काल खंड के हिसाब से यह कोणार्क के सूर्य मंदिर से भी पुराना माना जाता है।
ग्रेनाइट से बना ये मंदिर पंचायतन शैली का मंदिर है | मुगलों द्वारा मंदिरों को नष्ट करने के प्रयास में इसे भी नष्ट करने का प्रयास कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था | पुरातत्व विभाग ने अब इसकी सुध ली है |
रहली का सूर्य मंदिर : सागर जिले की रहली में सुनार और देहर नदी के संगम पर स्थित सूर्य मंदिर , देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जो कर्क रेखा पर स्थित है । इतिहासकार मानते हैं कि इसका निर्माण चंदेल राजा ने इसकी 10 वीं शताब्दी में कराया था | मंदिर में भगवान सूर्य की प्रतिमा रथ पर सवार है , रथ में सात घोड़ों जुते नजर आते हैं। इस मंदिर में सूर्य की दो पत्नियां , कुबेर और भगवान विष्णु की प्रतिमा है।
चित्रगुप्त मंदिर खजुराहो _ इस सूर्य मंदिर में ४‘१०” ऊँची सूर्य भगवान की प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा भी सात अश्वो के रथ पर सवार है | ९७५ ईसवी में इस मंदिर का निर्माण होना माना जाता है | , मंदिर के अंदर ब्रह्मा, विष्णु, भैरव, सूर्य, कुबेर तथा अन्य चतुर्भुज की प्रतिमा भी हैं। खजुराहो के इस सूर्य मंदिर को देखने हर वर्ष बड़ी संख्या में देश विदेश से लोग आते हैं |
मड़खेरा का सूर्य मंदिर
टीकमगढ़ शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गाँव है मड़खेरा , यहाँ ९वी शताब्दी में चंदेलकालीन सूर्य मंदिर है। पंचायतन शैली में बने इस मंदिर में सूर्य प्रतिमा अपनी पूर्ण आभा के साथ विराजमान है | इसी जिले की रहने वाली उमा भारती मध्य प्रदेश की सीएम भी रह चुकी हैं इसके बावजूद यह मंदिर एक तरह से उपेक्षित ही रहता है \
बुंदेलखंड के टीकमगढ़ जिले में ९ ,छतरपुर जिले में पाँच, दतिया जिले में ३, सागर ,भिंड ,झांसी और हमीरपुर में २- २,पन्ना नरसिंहपुर,दमोह,गुना, मुरैना ,बांदा,और जिला जालौन में एक -एक सूर्य मंदिर और विग्रह है | शिवपुरी में ४,और ललितपुर में ७ मंदिरों और विग्रहों का उल्लेख मिलता है | दतिया के बालाजी सूर्य मंदिर का धार्मिक दृष्टि से एक अलग महत्व है |
बालाजी सूर्य मंदिर
पहुज नदी के तट उन्नाव कस्बा में सूर्य देव का बाला जी मंदिर है | कहते हें की एक टीले की खुदाई करने पर ब्राह्मण बालक को ६ इंच व्यास का सूर्य यंत्र मिला था , इस चक्र के चारों ओर २१ त्रिभुज है जो सूर्य के २१ मुखों के प्रतीक हें |जिसे एक छोटा चबूतरा पर स्थापित किया गया था | उस समय झांसी नरेश नारू शंकर कुष्ठ रोग से पीड़ित थे , उन्होने यहाँ आकर प्रार्थना की , सूर्य देव की कृपा से वे निरोगी हो गए | उन्होने ही यहाँ मंदिर निर्माण शुरू कराया , तब दतिया के राजा ने उनसे कार्य बंद करने का निवेदन किया और स्वयं मंदिर का निर्माण कराया | यहाँ हर रवि वार को मेला सा लगता है | लोक मान्यता है की यहाँ से कोई खाली हाथ नहीं जाता है | उसकी मनोती पूर्ण अवश्य होती है |
सूर्य उपासना
बुंदेलखंड के कालपी (उप्र.) में यमुना नदी के तट पर काल्प्रियानाथ मंदिर है | भविष्य पुराण के अनुसार भगवान कृष्ण के पुत्र साम्ब ने यहाँ सूर्य उपासना की थी , ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर ने यहीं विश्व प्रसिद्ध सूर्य सिद्धांत का प्रतिपादन किया था |दिक साहित्य में ही नही आयुर्वेद,ज्योतिष,हस्तरेखा शास्त्रों में सूर्य का महत्व प्रतिपादित किया गया है| यही वह कारण है कि वैदिक काल से ही भारत में सूर्योपासना का प्रचलन रहा है.पहले यह सूर्योपासना मंत्रों से होती थी.बाद में मूर्ति पूजा का प्रचलन हुआ तो सूर्य मन्दिरों का निर्माण हुआ..अनेक पुराणों में यह लेख भी मिलता है,कि ऋषि दुर्वासा के शाप से कुष्ठ रोग ग्रस्त श्री कृष्ण पुत्र साम्ब ने सूर्य की आराधना कर इस भयंकर रोग से मुक्ति बुंदेलखंड में ही पायी थी.प्राचीन काल में भगवान सूर्य के अनेक मंदिर भारत में बने थे.आज देश में बने लगभग १४० सूर्य मंदिरों में यदि किसी इलाके में ये सर्वाधिक हैं तो वह है बुंदेलखंड |.
.वैदिक काल में आर्य सूर्य को ही सारे जगत का कर्ता धर्ता मानते थे.|.ऋग्वेद में देवताओं के सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है.\सूर्योपनिषद की श्रुति के अनुसार संपूर्ण जगत की सृष्टि तथा उसका पालन सूर्य ही करते है.सूर्य ही संपूर्ण जगत की अंतरात्मा हैं| सिन्धु घाटी की सभ्यता की खुदाई में भी सूर्य पूजा के प्रमाण मिले हें |