बुंदेलखंड की डायरी ; कम मतदान के बाद भी बुंदेलखंड में बाजी मारती बीजेपी
रवीन्द्र व्यास
देश की दशा और दिशा तय करने वाला २०२४ का लोकसभा चुनाव | जिसके लिए देश के मतदाताओं ने 19 अप्रैल से 1 जून तक चले सात चरणों के चुनाव में मतदान किया, किसके हाथ में देश का भविष्य होगा इस परिणाम को जानने के लिए ४ जून का सब को इंतजार है | यह वह चुनाव है जिसमे देश के नेताओं की नहीं बल्कि देश की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी | एक ओर घर के विभीषण थे तो दूसरी ओर वे विदेशी शक्तियां लगी थी जो किसी भी कीमत पर देश में ऐसी सरकार नहीं चाहती थी जो उन्हें आँख दिखा सके | ये शक्तियां तब कुछ ज्यादा ही उत्साहित हो गई थी जब पहले तीन चरणों में मतदान प्रतिशत घटा | बुंदेलखंड में भी इसका व्यापक असर देखने को मिला | एमपी वाले बुंदेलखंड में मतदान प्रतिशत ११ फीसदी तक घटा , यूपी वाले बुंदेलखंड में यह गिरावट मात्र दो फीसदी तक ही रही | मतदान क्यों कम रहा इसकी अपनी एक अलग कहानी है |
चुनाव के पहले आ रहे मतदाता सर्वे ने एक रुझान स्पष्ट कर दिया था कि देश में फिर से बीजेपी की मोदी सरकार प्रचंड बहुमत से चुनाव जीत रही है | रुझानों का असर ना सिर्फ मतदाताओं पर देखने को मिला बल्कि राजनैतिक पार्टियों पर भी देखने को मिला | विपक्ष हताश हुआ और बड़ी संख्या में लोगों का दलबदल हुआ | पर सर्वेक्षणो का असर सत्ताधारी दल पर देखने को नहीं मिला | उनका प्रचार तंत्र यथावत जारी रहा जबकि विपक्ष का प्रचार अभियान बुंदेलखंड में ना के बराबर रहा | दरअसल इन सर्वेक्षणों ने बुंदेलखंड के मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को भी इस मामले में उदासीन कर दिया | जिसका परिणाम ये हुआ कि सागर संभाग की चार लोकसभा सीटों पर मतदान प्रतिशत 2019 के मुकाबले ज्यादा गिरावट देखने को मिली | दमोह संसदीय क्षेत्र में पिछले चुनाव के मुकाबले 9. 35 फीसदी , खजुराहो में सबसे ज्यादा ,११. ३४ फीसदी ,टीकमगढ़ में सबसे कम 6. ६२ प्रतिशत की कमी देखने को मिली | जबकि सागर संसदीय क्षेत्र में इसका अपवाद भी देखने को मिला यहाँ 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में .२१ प्रतिशत ज्यादा मत पड़े | सागर में मतदान चौथे चरण में १३ मई को हुए जबकि बाकी पर मतदान दूसरे चरण में २६ अप्रेल को हुआ था |
उत्तर प्रदेश वाले बुंदेलखंड इलाके में भी चार संसदीय क्षेत्र आते हैं | यहाँ पांचवे चरण में २० मई को हुए चुनाव में झांसी में पिछले चुनाव की तुलना में ३. 82 फीसदी की वृद्धि मतदान में रही | बांदा चित्रकूट में १. ११ फीसदी की ,हमीरपुर – महोबा में १.७२ फीसदी की और जालौन में सबसे अधिक २. ३१ प्रतिशत की कमी देखने को मिली |
मतदान में कमी हार जीत के अंतर पर होगा असर
मतदान में कमी का असर प्रत्याशियों के हार जीत के अंतर पर असरकारी होगा | बुंदेलखंड में घटी हुई वोटिंग ने जरूर बीजेपी समर्थकों के माथे पर चिंता की लकीरें बना दी थी | मतदान बाद आ रही सर्वे रिपोर्ट के बाद अब वही चिंतित जन उत्साहित नजर आ रहे हैं | मतदान प्रतिशत घटने के पीछे एक बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि लोगों ने मान लिया था कि हमारा नेता कौन है और कौन जीत रहा है | विपक्षी नेता कार्यकर्ता हताशा में घर बैठ गए , बीजेपी के कार्यकर्ता यह मान कर निश्चिंत भाव से काम करते रहे कि हम तो जीत रहे हैं | अगर आर एस एस केडर ने आगे बढ़ कर मतदान कराने में हिस्सेदारी ना निभाई होती तो मतदान प्रतिशत और ज्यादा नीचे पहुँच जाता | शुरुआत के दो चरणों के बाद कार्यकर्ताओं की कसावट के बाद इसका असर मतदान में देखने को मिला | सागर क्षेत्र का मतदान बढ़ना | उत्तर प्रदेश में पांचवे चरण के चुनाव में झांसी में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली जबकि बांदा ,हमीरपुर और जालौन में मामूली सी कमी ही देखने मिली |
चुनाव में गायब रहे मुद्दे ::
बुंदेलखंड जैसे पिछड़े और अविकसित क्षेत्र में चुनावी दौर में जल ,जंगल ,जमीन , और पलायन जैसा मुद्दा गायब रहा | जबकि बुंदेलखंड के ये वे बुनियादी मुद्दे हैं जिसका सीधा असर लोगों के जीवन पर पड़ता है | विकसित क्षेत्र में विकाश के मुद्दे गायब रहें यह तो समझ में आता है पर अविकसित क्षेत्र में बुनियादी मुद्दों का गायब रहना समझ से परे है | चुनाव में बीजेपी ने मोदी के कार्यकाल का विकाश की बात की , राम मंदिर निर्माण , धारा 370 की समाप्ति , आतंकवाद को करारा जवाब के साथ बुंदेलखंड में केन बेतवा लिंक परियोजना का मुद्दा जोर शोर से उठाया | लोगों को कोविद काल की याद भी दिलाई गई |
बीजेपी के लिए चुनौती विहीन बुंदेलखंड
2014 के बाद से बुंदेलखंड क्षेत्र एक तरह से बीजेपी का गढ़ बन गया है | बीजेपी के लिए चुनौती जो दे सकते थे वे भी अब धीरे धीरे राजनैतिक परिदृश्य से गायब होते जा रहे हैं | बीजेपी ने हिंदुत्व और गैर हिंदुत्व की ऐसी रेखा खींची है कि विपक्ष के ओबीसी ,दलित ,अल्पसंख्यक के सभी तीर निशाना चूक रहे हैं | हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी ने हिन्दू समाज के सभी अंगों को लामबंद किया | वहीँ कांग्रेस राजनैतिक गलतियों पर गलतिया करती रही | मामला चाहे खजुराहो का हो अन्य क्षेत्रो में प्रत्यासी चयन का | गठबंधन धर्म के तहत खजुराहो सपा को सौंपी , उनके प्रत्यासी ने एक तरह से चुनाव से दूरी बना ली | असल में खेल निर्विरोध निर्वाचन का चल रहा था पर वह योजना बीजेपी के लिए फलीभूत नहीं हो पाई | दरअसल कांग्रेस अपने अंतरकलह के कारण इतने नीचे पहुँच गई है कि उसे वापस अपना आधार पाने के लिए बीजेपी की बड़ी गलतियों का इन्तजार करना पडेगा |
इन तमाम हालातों में यही कहा जा सकता है कि एमपी ,यूपी के बुंदेलखंड इलाके की सभी सीटों पर मतदान बाद के एक्जिट पोल के अनुमान सच साबित हो रहे हैं |