समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान की कालाबाजारी
आनंद ताम्रकार
बालाघाट ४ मार्च ;अभी तक; बालाघाट जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदी गई जिसे गोदामों और खुले कैप में भण्डारित करके रखा गया है भण्डारित धान को कस्टम मिलिंग के लिये अनुबंधित राईस मिलर्स को रिलीज ऑर्डर जारी कर प्रदाय की जा रही है।
राईस मिलर्स द्वारा समर्थन मूल्य पर प्राप्त हुई धान को खुले बाजार में बेच रहे है उसके एवज में कस्टम मिलिंग में राशन से विक्रय किया जाने वाला चावल तथा यूपी और बिहार से राशन का चावल बुलाकर उसे प्रदाय कर रहे है यह गोरखधंधा कृषि उपज मंडी खाद्य विभाग और विपणन संघ तथा नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की सांठगांठ से खुलेआम चल रहा है। इस कारगुजारी में प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों का खुला संरक्षण मिला हुआ है।
इन्हीं विसंगतियों से जुड़ा हुआ एक मामला विगत 28 फरवरी को प्रकाश में आया है जिसमें संयुक्त संचालक मंडी बोर्ड के उड़न दस्ते ने डोगरमाली साकडी मार्ग 4 ट्रक पकडे गये जिसमें समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान से भरे बोरे लदे हुये थे।
मंडी निरीक्षकों द्वारा ट्रकों की जांच किये जाने पर बिना मंडी अनुज्ञा के परिवहन किये जाने पर उन पर 1 लाख 12 हजार रुपये का जुर्माना लगाकर उन्हें छोड दिया गया जबकि उन ट्रकों के ड्राइवर के पास धान की मात्रा के अनुसार आवश्यक दस्तावेज नहीं थे। नियमानुसार आवश्यक दस्तावेज जिसमें धान की आवाजाही का उल्लेख रहता है दस्तावेज ना होने पर उन 4 ट्रकों को समीपवर्ती मंडी कार्यालय अथवा पुलिस थाने में खड़ा करवा दिया जाना चाहिए था लेकिन उनसे अतिरिक्त रकम वसूल कर उड़नदस्ते ने उन्हें छोड दिया और धान गोंदिया महाराष्ट्र रवाना हो गई उल्लेखनीय तथ्य यह भी है की मंडी द्वारा जुर्माने की रसीद लखन पटले वारासिवनी के फर्जी नाम से बनाई गई है।आखिर लखन पटले कौन है उसके पास इतनी बडी मात्रा में धान कहां से लाई गई यह जांच का विषय है। चारों ट्रकों में लगभग 22 लाख रुपये का धान भरा हुआ था।
जानकारी मिली है की जिन 4 ट्रकों को उडनदस्ते ने पकड़ा है जिनके ट्रक नंबर एमएच 35ए जे 2903 (261.45क्विटंल), सीजी08 एल 2245 (256.55क्विंटल), एमएच 35 एजे 1801(216.84क्विंटल), एमएच40 सीजी3168 (249.55क्विंटल) धान भारी हुई थी ये सारे ट्रकों में भेण्डारा ओपन केप से श्रीकुमार राईस मिल नैतरा,गौरी राईस मिल भडारबोडी तथा रतन उद्योग यूनिट 2 वारासिवनी के नाम से धान प्रदाय करने के रीलीज आर्डर 28 फरवरी को जारी किये गये थे।
इसके बावजूद मंडी बोर्ड के उडनदस्ते ने लखन पटले वारासिवनी के नाम पर निरासित सहायता राशि अधिनियम और जुर्मानें की रसीद बनाई आश्चर्य इस बात का भी है रसीदों में प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर अंकित है लेकिन जमाकर्ता लखन पटले के नाम का कोई हस्ताक्षर नही है।
इस मामले की शिकायत श्री पाण्डे अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को मयदस्तावेज के की गई है उन्होने कहा है की वे इसकी जांच करवा रहे है।