अपने धन का उपयोग जरूरतमंदों की सेवा में भी करों – स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २ ौगत ;अभी तक; श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा मंदसौर पर दिव्य चातुर्मास पूज्यपाद 1008 स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ऋषिकेश के सानिध्य में चल रहा है। स्वामी जी द्वारा प्रतिदिन प्रात: 8.30 से 10 बजे तक श्रीमद् भागवद् महापुराण के एकादश स्कन्द का का वाचन किया जा रहा है।
शुक्रवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए स्वामी श्री आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ने कहा कि आपके मन में धर्म और धार्मिक भावना होना चाहिए। अपने धन का उपयोग जरूरतमंदों की सेवा के लिए भी करना चाहिए। आपने कहा कि ईश्वर ने जो आपकों धन, सम्पत्ति, बुद्धि दी है उसका उपयोग दूसरों के लिए भी करों, अपने परिवार अपने बच्चो को लालन पोषण जो पशु भी करते है लेकिन ईश्वर ने हमें इंसान बनाया है तो हमें मानवता के कर्म को भी निभाना चाहिए।
आपने बताया कि पशु, पक्षी, इंसान सभी को ईश्वर ने ही बनाया है लेकिन बुद्धि सिर्फ इंसान को दी है इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हमें अपनी बुद्धि का सदपयोग करना चाहिए। आपने बताया कि शास्त्रों में जो लिखा है उसका अर्थ महात्माओं से समझों स्वयं समझने का प्रयास करोंगे तो उलझन में पड जाओगे।
किसी के प्रति दुर्व्यहान मत करों
धर्मसभा में स्वामी जी ने कहा कि किसी के प्रति भी दुर्व्यहार नहीं करना चाहिए यह सोचों की कोई यह व्यवहार हमारे साथ करें तो हमें कैसा लगे और दूसरे बात यह की हम जानते है सभी प्राणियों में ईश्वर का वास होता है यदि हम किसी को भी अपशब्द कहेंगे तो इसका अर्थ यह है कि हम ईश्वर को अपशब्द कह रहे है। आपने बताया कि कर्म हमें कभी नहीं छोडते अच्छे हो चाहे बुरे इसलिए हमें सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए और मन शुद्धि करके प्रभु भक्ति में लगना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में भगवान की आरती उतारी गई एवं प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर कारूलाल सोनी, मदन देवडा, प्रवीण देवडा, जगदीश गर्ग ,आर सी पंवार, आर सी पाण्डे, पं शिवनारायण शर्मा, घनश्याम भावसार, राजेश देवडा, रामचंद्र कोकन्दा, बाल किशन चौधरी, कन्हैयालाल रायसिंघानी, घनश्याम सोनी, भगवती लाल पिलौदिया, जगदीश भावसार, महेश गेहलोद सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।