हाथियों और उनके महावतों ने की मौज मस्ती
आनंद ताम्रकार
बालाघाट/कान्हा २१ सितम्बर ;अभी तक ; जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में बीता सप्ताह प्रशिक्षित हाथियों और उनके महावतों की खातिरदारी में बीत गया जहां कान्हा प्रबंधन की ओर से हाथियों को उनकी मनपसंद खाद्य वस्तुयें खिलाई गई उनको नहलाया गया और मालिश भी की गई।ऐसी खातिरदारी का दौर 15 सितंबर से चला जिसका समापन कल 20 सितंबर को विशेष आयोजन के साथ किया गया।
इन हाथियों का उपयोग जंगल में गस्ती और वन्य प्राणियों की सुरक्षा तथा उनकी देखरेख के किया जाता है लेकिन कालांतर से इनका उपयोग पर्यटन प्रबंधन में भी किया जाने लगा है। जब कभी कान्हा नेशनल पार्क में घूमने आए सैलानियों को बाघ का दीदार नहीं होता तब उन्हें इच्छा अनुसार हाथियों की सवारी कराई जाती हैं। जिसे एलिफेंट वाचिंग कहा जाता है।
यह उल्लेखनीय है की हाथियों के महावता तथा संलग्न कर्मचारी वर्ष भर विभिन्न गतिविधियों में कार्यरत रहते है। जिसके चलते घोर परिश्रम से आई थकान एवं स्वास्थ्य विषयक कारणों से उन्हें आराम की आवश्यकता होती है। जिसके लिये उन्हें एक सप्ताह का विश्राम दिया जाता है। इस अवकाश को हाथी रिजुविनेशन सप्ताह का नाम दिया गया है।
यह उल्लेखनीय है की कान्हा टाइगर रिजर्व में विभागीय हाथियों के प्रबंधन का इतिहास रहा है वर्तमान में यहां कुल 17 हाथी उपलब्ध है इनमें कुछ हाथियों का जन्म कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में हुआ है। जहां प्रारभ से इनका उपयोग जंगल में किया जा रहा है। पिछले 9 वर्षो से इस प्रकार विशेष आयोजन किये जा रहा है जिस तरह से हाथियों और उनके महावतों की मेहमानवाजी की जा रही है जिसको देखकर दर्शकों का दिल बाग बाग हो गया है।
इस संबंध में फील्ड डायरेक्टर श्री एस के सिंग ने अवगत कराया कि कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में हाथियों की मौजूदगी महत्वपूर्ण स्थान रखती है मानसून के दौरान जब प्रबंधन के अधिकारी कर्मचारी जंगल के दूरस्थ क्षेत्रों में नहीं पहुंच पाते तब हाथियों की मदद से पहुंचा जाता है।
नया सीजन प्रारंभ होने जा रहा है उसके पूर्व हाथियों और उनके महावतों को चुस्त दुरुस्त रखने की दृष्टि से 1 सप्ताह के लिये विशेष कैंप आयोजित किया जा है जहां हाथियों की पसंद के फल और गुंड गन्ना अनानास खिलाया जाता ताकि आने वाले सीजन के लिये तैयार हो सके। इस तरह का आयोजन पिछले 9 सालों से किया जा रहा है।