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जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में हुआ भक्ताम्बर स्त्रोत का जाप, 250 से अधिक श्रावक श्राविकाओं ने किये जाप
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर एक अगस्त ;अभी तक; मंदसौर में चातुर्मास हेतु विराजित जैन साध्वी श्री रमणीक कुंवरजी म.सा., साध्वी श्री चंदनाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा 4 की पावन प्रेरणा व निश्रा में स्थानकवासी जैन समाज में विविध धार्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। साध्वीजी की प्रेरणा से एवं उनकी पावन निश्रा में प्रति गुरूवार प्रातः 9 से 10 बजे तक विविध जाप का आयोजन हो रहा है। कल दिनांक 1 अगस्त गुरूवार को प्रातःकाल 9 से 10 बजे तक भक्तामर स्त्रोत का जाप किया गया। इस जाप के आयोजन में लगभग 250 से अधिक श्रावक श्राविकाओं ने सहभागिता की। महिलाओं ने केसरिया व पुरुषों ने श्वेता वस्त्र पहनकर पूरे मनोभाव से भक्ताम्बर स्त्रोत के श्लोकों को पूरे मनोभाव से उच्चारण किया।
साध्वी श्री रमणीककुंवरजी म.सा. ने जाप के उपरांत इसका महत्व बताते हुए कहा कि जैन धर्म व दर्शन में भक्तामर स्त्रोत का जाप विशिष्ठ महत्व रखता है। यह स्त्रोत आचार्य श्री मानतुंगसूरिश्वरजी म.सा. के द्वारा रचित किया गया है। वे जैन धर्म व दर्शन के महान विद्वान भी थे। उन्होंने अपने गुरू से कई प्रकार की विधाये सिखी थी। जब वे विहार के दौरान धारा नगरी में पहुंचे थे तो वहां के राजा ने उन्हें बंदी बना लिया था। तब आचार्य मानतुंगसूरिश्वरजी ने अपने भक्ताम्बर स्त्रोत को रचते हुए अपने सारे बंधन मंत्र शक्ति से तोड़ दिये थे। उन्होंने भक्ताम्बर स्त्रोत की शक्ति से 48 ताले व बेड़िया तोड़ दी थी उनके इस चमत्कार को देख वहां का राजा जो जैन धर्म के प्रति बैर रखता था वह भी जैन धर्म का अनुयायी हो गया था।
साध्वीजी ने कहा कि भक्ताम्बर स्त्रोत में बहुत शक्ति है इसलिये समय-समय पर इसका जाप करना चाहिये। जाप के उपरांत प्रभावना सरोज बेन जुगलकिशोरजी मालपानी एवं आनन्द अनुप मालपानी परिवार नांदेड़ महाराष्ट्र की ओर से वितरित हुई। संचालन पवन जैन ने किया।