प्रदेश
जिंदगी का सफर, है यह कैसा सफर, सुर सम्राट किशोर दा की पुण्यतिथि पर संगीत संध्या आयोजित हुई
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १४ अक्टूबर ;अभी तक; नगर की सांस्कृतिक संस्था दशपुर रंगमंच द्वारा प्रसिद्ध गायक सुर सम्राट किशोर कुमार की 36वीं पुण्यतिथि पर संगीत संध्या का आयोजन किया।
डॉ. हरीश लक्कड़ द्वारा गाये गये गीत ‘‘आपके अनुरोध पर मैं यह गीत सुनाता हूं’’ से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सतीश सोनी ने ‘‘यह शाम मस्तानी मदहोश किए जाए‘‘ सुनाकर संगीत संध्या का आगाज किया। पूजा दुग्गड ने गीत गाया ‘‘जिंदगी का सफर, है यह कैसा सफर’’ सुनाकर जिंदगी का फलसफा बताया।
आबिद भाई ने गीत ‘‘प्यार दीवाना होता है मस्ताना होता है’’ सुनाकर सभी को साथ में गुनगुनाने के लिये मजबूर किया। नंदकिशोर राठौर ने मेलोडी गीत ‘‘एक लड़की सीधी शादी सी’’ को सुनाया। डॉ कमल संगतानी ने गीत ‘‘मुसाफिर हूं यारों न गर है ना ठिकाना’’ की प्रस्तुति दी। वहीं डॉ. आकांक्षा त्यागी ने गीत ‘‘आ चल के तुझे मैं लेकर चलूं एक ऐसे गगन के तले’’ सुनाया। श्याम गुप्ता ने गीत ‘‘घुंघरू की तरह बजता ही रहा हू मैं सुनाया। डॉ. महेश शर्मा ने गीत ‘‘छोटा सा घर होगा बादलों की छांव में’’ सुनाकर किशोर दा को श्रद्धांजलि दी।
डॉ. निलेश नगायत ने गीत ‘‘नीले नीले अंबर पर चांद जब छाए’’ सुनाकर दिल की बात कही। आरक्षक नरेंद्र सागरे ने ‘‘मेरे नैना सावन भादो फिर भी मेरा मन प्यासा’’, राजा भैया सोनी ने ‘‘छूकर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा’’, राजकुमार अग्रवाल ने ‘‘यह लाल रंग कब मुझे छोड़ेगा’’ को सुनाकर संगीत संध्या को आगे बढ़ाया। स्वाति रिछावरा ने ‘‘गुनगुना रहे हैं भंवरे खिल रही है कली कली’’, भारत लखानी ने ‘‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’’, अनुराधा त्यागी ने ‘‘छोटी सी यह दुनिया पहचाने रास्ते’’ की सुमधुर प्रस्तुतियां दी। दशपुर रंगमंच के संस्थापक अभय मेहता ने ‘‘कोई हमदम न रहा कोई सहारा ना रहा’’ सुनाकर किशोर दा को श्रद्धांजलि दी।
इस दौरान ललित बटवाल, मनीष रिछावरा, फतेहसिंह जैन, कवि धु्रव आदि श्रोता उपस्थित रहे। आभार संचालन ललिता मेहता ने माना।
डॉ. हरीश लक्कड़ द्वारा गाये गये गीत ‘‘आपके अनुरोध पर मैं यह गीत सुनाता हूं’’ से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सतीश सोनी ने ‘‘यह शाम मस्तानी मदहोश किए जाए‘‘ सुनाकर संगीत संध्या का आगाज किया। पूजा दुग्गड ने गीत गाया ‘‘जिंदगी का सफर, है यह कैसा सफर’’ सुनाकर जिंदगी का फलसफा बताया।
आबिद भाई ने गीत ‘‘प्यार दीवाना होता है मस्ताना होता है’’ सुनाकर सभी को साथ में गुनगुनाने के लिये मजबूर किया। नंदकिशोर राठौर ने मेलोडी गीत ‘‘एक लड़की सीधी शादी सी’’ को सुनाया। डॉ कमल संगतानी ने गीत ‘‘मुसाफिर हूं यारों न गर है ना ठिकाना’’ की प्रस्तुति दी। वहीं डॉ. आकांक्षा त्यागी ने गीत ‘‘आ चल के तुझे मैं लेकर चलूं एक ऐसे गगन के तले’’ सुनाया। श्याम गुप्ता ने गीत ‘‘घुंघरू की तरह बजता ही रहा हू मैं सुनाया। डॉ. महेश शर्मा ने गीत ‘‘छोटा सा घर होगा बादलों की छांव में’’ सुनाकर किशोर दा को श्रद्धांजलि दी।
डॉ. निलेश नगायत ने गीत ‘‘नीले नीले अंबर पर चांद जब छाए’’ सुनाकर दिल की बात कही। आरक्षक नरेंद्र सागरे ने ‘‘मेरे नैना सावन भादो फिर भी मेरा मन प्यासा’’, राजा भैया सोनी ने ‘‘छूकर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा’’, राजकुमार अग्रवाल ने ‘‘यह लाल रंग कब मुझे छोड़ेगा’’ को सुनाकर संगीत संध्या को आगे बढ़ाया। स्वाति रिछावरा ने ‘‘गुनगुना रहे हैं भंवरे खिल रही है कली कली’’, भारत लखानी ने ‘‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’’, अनुराधा त्यागी ने ‘‘छोटी सी यह दुनिया पहचाने रास्ते’’ की सुमधुर प्रस्तुतियां दी। दशपुर रंगमंच के संस्थापक अभय मेहता ने ‘‘कोई हमदम न रहा कोई सहारा ना रहा’’ सुनाकर किशोर दा को श्रद्धांजलि दी।
इस दौरान ललित बटवाल, मनीष रिछावरा, फतेहसिंह जैन, कवि धु्रव आदि श्रोता उपस्थित रहे। आभार संचालन ललिता मेहता ने माना।