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आपातकाल में मीसा बंदियों के परिवारों की चिंता व व्यवस्था करने वाले को ही भूल गई भाजपा

lनिज संवाददाता

भोपाल २५ जून ;अभी तक; आपातकाल में संघ के निर्देश पर भूमिगत रहकर मीसा बंदियों के परिवारों की चिंता करने वाले जनसंघ के चार संघठन मंत्रियों सक्रिय रहे। उनमे मोरेश्वर गदरे ,नारायण प्रसाद गुप्ता, प्यारेलाल खण्डेलवाल, तथा हरि मोहन मोदी थे। इनमे पहले तीन का स्वर्गवास हो गया लेकिन एक मात्र हरि मोहन मोदी अभी हैं।
                        विगत कई वर्षो से मीसा बंदियों का सम्मान सरकार व भारतीय जनता पार्टी करती आ रही है। लेकिन एक मात्र जीवित हरि मोहन  मोदी का हाल चाल जानने  की कोशिश नहीं की । यहाँ तक कि  मीसा बंदियों ने भी इस प्रकार की कोई पहल नहीं की।
                         वर्ष १९४६ में जन्मे श्री मोदी छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से प्रभावित रहे और वर्ष १९७१ में युवा संघ होशंगाबाद के जिला संगठन सचिव बने।  वर्ष १९७४ में वे राजमाता सिंधिया के आव्हान पर भारतीय जनसंघ के लिये जीवन समर्पण करने का फैसला किया।  उनके कार्यो से प्रभावित होकर उन्हें होशंगाबाद जिले का जिला संगठन मंत्री बनाया गया।
                          वर्ष १९७५ में आपातकाल लगने के बाद जब विपक्ष के लगभग सभी बड़े नेता गिरफ्तार हो गए थे तब मोदी ने पुलिस को चकमा देते हुए भूमिगत रहकर वरिष्ठ नेता प्यारेलाल खंडेलवाल तथा नारायण प्रसाद गुप्ता के निर्देशन में मीसाबंदियो के परिवारों को भरपूर सहयोग दिया और अंत तक पुलिस के हाथे नहीः चढ़े।  आपातकाल हटने के  बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव में बैतूल लोक सभा चुनाव का सफल संचालन  किया।  उनके कार्यो से प्रभावित होकर मध्यप्रदेश जनता विधायक दाल का  स्थाई कार्यालय सचिव बनाया गया और भाजपा के गठन के बाद भाजपा विधायक दल का  स्थाई कार्यालय सचिव बनाया गया. . वे वर्ष १९८४ से भाजपा के भोपाल संभागीय संगठन मंत्री रहे।
                        वर्ष १९८७ में वैवाहिक जीवन में प्रवेश के बाद संगठन मंत्री के दायित्व से स्वंय मुक्ति ली और साप्ताहिक पांचजन्य के संवाददाता बन गए तथा अभी वे भारत प्रकाशन दिल्ली, राष्ट्रधर्म लखनऊ के मध्यप्रदेश प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रहे हैं।

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