नए कानूनों पर राष्ट्रीय सेमीनार में कुलपति बोले – प्राचीन भारतीय न्याय प्रणाली लागू होती, तो इतने प्रकरण लंबित नहीं होते
रतलाम,२ जुलाई ;अभी तक; देश में 1 जुलाई से लागू नये कानूनों पर डॉ.कैलासनाथ काटजू विधि महाविघालय मे राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए विक्रम विश्व विद्यालय के कुलपति डाॅ अखिलेश पांडे ने कहा कि भारत का न्यायिक इतिहास स्वर्णिम रहा है। देश में यदि प्राचीन भारतीय न्याय प्रणाली लागू होती, तो आज इतने प्रकरण लंबित नहीं रहते। कानूनों के बदलाव के साथ जो नई शब्दावली आई है, वे सबकों अपने इतिहास पर सोचने को विवश करेगी।
मुख्य अतिथि डाॅ पांडे ने नए कानूनों के परिप्रेक्ष्य में समन्वित शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि तकनीकों के युग में अपराध और अपराधी के तरीके बदल रहे है, इसलिए विधि की शिक्षा भी तकनीकी प्रधान होनी चाहिए। इसके लिए बार कौंसिल को सुझावे भेजे जाने चाहिए। बहुउददेशीय शिक्षा होगी, तभी त्वरित न्याय और सुलभ न्याय की कल्पना पूरी होगी। उन्होंने कहा कि सोश्यल मीडिया का आम जनजीवन पर बहुत प्रभाव हो रहा है। महाभारत में अभिमन्यु ने जैसे गर्भ में ही बहुत कुछ सीखा था, वैसे ही आज के बच्चों पर गर्भावस्था के दौरान माता के आचरण का बहुत असर हो रहा है। कानूनों के बदलाव के साथ आज कानून के क्रियान्वयन हेतु बहुउददेशीय कार्य करने की जरूरत है। स्वामी विवेकानंदजी ने वर्ष 2047 में भारत को विकसित देश के रूप में देखने के लिए अपनी विरासत समझने और विरासत पर गर्व करने का संदेश दिया था। भारत की न्याय प्रणाली ऐसी ही गर्व करने जैसी थी। नए कानून उसी से प्रेरित होकर बनाए गए है, जो गुलामी से आजादी का संदेश देते है। इन पर सबको गर्व करना चाहिए। समापन सत्र में हिरेन्द्र प्रताप सिंह ने सेमीनार की रिपोर्ट प्रस्तुत की। संचालन प्राध्यापक मीनाशी बारलो ने किया। अंत में आभार प्राचार्य डॉ.अनुराधा तिवारी ने माना।