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एक अच्छे नेता में कौन से गुण होना चाहिए-  एक अच्छे नेता को अपने जैसे दूसरे नेता तैयार करना चाहिए

महावीर अग्रवाल
      मन्दसौर ९ जुलाई ;अभी तक;  शिक्षाविद श्री रमेशचंद्र चन्द्रे ने एक बयान।में कहा कि     एक बडा नेता बनने के लिए व्यक्ति को निरंतर बदलाव दौर से से गुजरना पड़ता है, निरंतर सीखना, दूसरों के कल्याण के लिए अपनी रुचि विकसित करनी होगी, अपने शैक्षिक गुरु एवं राजनीतिक गुरुओं की बात सुननी होगी और अन्य महान नेताओं का विश्लेषण करके उनके आचरण का पालन करना होगा और तद्नुसार उचित परिवर्तन करना होगा।
                             जनता से अपनत्व की भावना एवं लीक से हटकर सोचने तक, बहादुरी से लेकर एक महान सहानुभूति तक के गुण एक  आपको जीत या हार की ओर ले जाते हैं।
                        उन्होंने कहा कि   हमेशा याद रखें कि, महान नेता पैदा नहीं होते किंतु जो सकारात्मक सोच, अनुशासन, दैनिक आदतों के सही सिस्टम, साहस, दूरदर्शिता और एवं स्वयं को एक मूल्यवान व्यक्ति के रूप में विकसित करने की इच्छा के माध्यम से खुद को विकसित करते हैं, जो अपनी प्रतिभा और सिद्धांतों के माध्यम से समाज और अपने आसपास के लोगों के लिए योगदान देकर आदर्श स्थापित करते है तथा अपनी कथनी और करनी में समानता रखते हैं तब लोग उन्हें अपना आप नेता मानते है।
         एक अच्छे नेता में सत्य-निष्ठा तथा ईमानदारी, बाकी लोगों से उसे अलग करती है, ईमानदारी के बिना वह लंबे समय तक कायम अथवा टिक नहीं सकता।
          एक नेता को अच्छा रणनीतिकार तथा अपने विज़न और नीतियों का स्पष्ट ज्ञान होना चाहिए एवं जिस लक्ष्य के लिए वह काम करता है इस हेतु एक अदृश्य अग्नि उसमें होगी तो ही उन लक्ष्य को पूरा करने के लिए उसका जुनून सदैव जाग्रत रहेगा।
        एक अच्छे नेता को अपने स्वभाव में लचीलापन रखना चाहिए तथा जोखिम उठाने की क्षमता का सदैव विकास करना चाहिए क्योंकि जो जोखिम उसके सामने होती है उसके निष्पादन की क्षमता और योजना भी उसके दिल दिमाग में होना चाहिए।
       उसका व्यक्तित्व उसके अनुयायी कार्यकर्ताओं के प्रति प्रेरक होना चाहिए तथा उसे सदैव अपने जैसे दूसरे नेता तैयार करने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए* इसके लिए अपने लक्ष्यों के प्रति सदैव समर्पित एवं सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर अपने क्षेत्र में नवाचार करने और कराने वालों की खोज तथा उन्हें यथोचित सम्मान मिल सके इसका प्रयास करना चाहिए।
         इसके अतिरिक्त एक अच्छे नेता को निरंतर सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए तथा अपने आप को परिपक्व नहीं मानकर “सदैव अधूरा हूं” इस भाव को स्थाई रखना चाहिए तथा अपने कार्य क्षेत्र में अपनी आलोचनाओं से घबराना या परेशान नहीं होना चाहिए।
       उन्होंने कहा कि अपने कार्य क्षेत्र में आने वाली बाधाओं, असफलता, अपनी टीम की कमजोरी, छोटी-मोटी बगावत, अथवा वैचारिक विरोधों के सामने तत्काल घुटने नहीं टेकना चाहिए* तथा अपने संगठन के सिद्धांतो एवं जनता के मनोभावों के अनुरूप बड़ी से बड़ी शक्ति से टकराने का साहस रखने वाला व्यक्ति ही एक अच्छा नेतृत्व प्रदान कर सकता है।
        यदि नेतृत्व करने वाला व्यक्ति सत्ता पक्ष से जुड़ा है तो उसे हमेशा एक जनप्रतिनिधि के नाते जनता एवं राष्ट्र के हितों के बारे में प्रथम स्थान पर सोचना चाहिए दूसरे स्थान पर संगठन और तीसरे स्थान पर सरकार को रखना चाहिए। यदि उक्त गुण नेता में हो, तो ही वह अपने समाज और राष्ट्र की रक्षा कर सकता है।

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