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पूण्य कर्मो का संचय करो, पाप कर्मों से बचो-साध्वी अर्हता श्रीजी म.सा.
महावीर अग्रवाल
मंदसौर ३१ अगस्त ;अभी तक; मनुष्य को जीवन में धन, सम्पत्ति, वैभव, यश जो भी मिलता है वह उसके पूजा कर्म के फलस्वरूप ही प्राप्त होता है। मनुष्य का यदि पूण्यकर्म है तो उसे यह सभी बड़ी आसानी से मिल जाते है, ऐसे लोग भाग्यशाली भी कहलाते है तो दूसरी और बहुत अधिक कठिन परिश्रम करने के बावजूद भी व्यक्ति अपना जीवन असर कठिनाई से कर पाता है, ऐसा उसके पूर्व भव के पापकर्म के कारण हो ऐसा संभव है। इसलिये जीवन में पूण्यकर्म संचय करने पर ध्यान दो तथा पाप कर्म से बचे क्योकि पुण्य कर्म अगले भव में भी सुख देते है और पापकर्म कई भव (जन्म) तक आपको दुख देते है।
उक्त उद्गार परम पूज्य जैन साध्वी श्री अर्हताश्रीजी म.सा. ने चौधरी कॉलोनी स्थित रूपचांद आराधना भवन में कहे। आपने बुधवार को यहां धर्मसभा में कहा कि हमें जो ज्ञान भी मिलता है वह हमारे पूर्व भव के पूण्य का परिणाम है, इसलिये जीवन में ज्ञान की कभी असाधना (अनादर) नहीं करनी चाहिये। आपने कहा कि हमें अग्नि, जल, विद्युत सभी चीजें आवश्यकता के अनुसार ही उपयोग करनी चाहिये क्योंकि इन वस्तुओं के उपयोग का पुण्य भी हमें पूण्य से ही मिलता है। इसलिये जीवन में इन चीजों को व्यर्थ में बर्बाद नहीं करे।
दान पुण्य करो- साध्वी श्री अर्हताश्रीजी ने कहा कि इस जन्म में यदि हमारे पास आवश्यकता से अधिक धन, सम्पत्ति वैभव है तो हम उसका कुछ अंश सधर्मी भाई बहनों की मदद या पात्र व्यक्ति जिसे मदद की जरूरत है, उस पर खर्च करे। जीवन में अपने हाथ से किया गया दानपुण्य का फल कभी भी व्यर्थ नहीं जाता हैं धर्मसभा के पश्चात पारसमलजी चौहान धारियाखेड़ी वाले व महेन्द्र चौरड़िया परिवार की ओर से प्रभावना वितरित की गई। धर्मसभा में बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित थे।