प्रदेश
अवयस्क बालिका के साथ दुष्कृत्य करने वाले आरोपी पिता को हुआ आजीवन कारावास
विधिक संवाददाता
इंदौर २९ जून ;अभी तक; – जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि दिनांक 28.06.2023 को माननीय न्यायालय पन्द्रहवें अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) श्रीमती पावस श्रीवास्तव, इंदौर, जिला इंदौर (मध्य प्रदेश) ने थाना हीरानगर, इंदौर के प्रकरण क्रमांक 23914/2021 में निर्णय पारित करते हुए आरोपी XYZ , उम्र 55 वर्ष, निवासी इंदौर को धारा 376(2) (के) भा.दं.सं. एवं धारा 376(2) (एफ) तथा 376 (3) भा.दं.सं. एवं 5 (एन)/6 पॉक्सो एक्ट में आजीवन सश्रम कारावास व धारा 323 भा.दं.सं. में 1 वर्ष का सश्रम कारावास तथा धारा 506 (भाग 2) भा.दं.सं. में 1 वर्ष का सश्रम कारावास व कुल 5000/- रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्री संजय मीणा द्वारा की गई।
नोट :- न्यायालय द्वारा पीडि़त बालिका को 200000/- रुपये की राशि प्रतिकर के रूप में दिलाये जाने की अनुशंसा की गई।
अभियोजन कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि पीडि़त बालिका ने अपनी माता के साथ पुलिस थाना हीरानगर, इंदौर में इस आशय की रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसके पिता पिछले कुछ समय से उसके साथ अश्लील हरकत उसे किस करते थे उसके प्रायवेट पार्टस को छुते थे । जब मम्मी काम पर चली जाती हैं और छोटी बहन बाहर खेल रही होती है तो अकेले में उसके पापा उसके साथ गलत हरकते करते है और घटना किसी को बताने पर उसे व मम्मी को जान से मारने की धमकी देते है, इसलिये उसने डर के कारण किसी को नहीं बताया था। दिनांक 02.07.2021 को रात करीब 09:00 बजे जब घर में लाईट चली गई थी तब पापा ने उससे पानी मांगा तो वह पानी देने गई तब अभियुक्त ने बुरी नियत से उसका हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर पर पटक दिया उसके उपर लेट गए थे । जिस पर वह चिल्लाई तो उसकी मम्मी आई और उसे पापा से बचाया तब पापा ने उसकी मम्मी को भी मारा और घर से भाग गए। वह बहुत डरी हुई थी और बहुत रो रही थी, इसलिए तब वह रिपोर्ट करने नहीं गई फिर उसे लगा कि यदि उसने पापा की इन गंदी हरकतों की रिपोर्ट नहीं की तो वह उसकी छोटी बहन के साथ भी ऐसा ही करेगा, इसलिये उसने दो दिन बाद रिपोर्ट लिखवाई। पीड़िता की इस रिपोर्ट के आधार पर थाना हीरा नगर में अपराध क्रमांक 442 / 2021 पर अभियुक्त XYZ के विरुद्ध भा. दं.सं. की धारा 376(3), 376 (2) (च), 376 (2) (क), 323, 506 एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5/6 के अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना आरंभ की गई। विवेचना दौरान पीडि़त बालिका को दस्तयाब किया गया एवं उसके कथन एवं मेडिकल जाँच पश्चात् एवं संपूर्ण अनुसंधान होने के पश्चात् अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जिस पर से अभियुक्त को उक्त दण्ड से दण्डित किया।