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स्वर्गीय श्री के एन प्रधान की २५वीं पुण्य तिथि पर शत शत नमन और भावभीनी श्रद्धांजली

भोपाल ही नहीं मध्यप्रदेश के जन नेता रहे स्वर्गीय श्री के एन प्रधान की २५वीं पुण्य तिथि पर शत शत नमन और भावभीनी श्रद्धांजली।  वर्ष १९७० में हायर सेकेंडरी करने के बाद अपने खर्चे स्वंय निकालने के लिए मैंने प्रोफेसर कॉलोनी स्थित मिल्क बूथ संभाल लिया था जहां मेरी दोस्ती प्रमोद प्रधान के साथ ही नरेंद्र शुक्ल, वीरेन्द्र शुक्ल सुनील जोशी  अनिमेष परिहार आदि से हुई।  उस समय प्रधान साहब श्यामा चरण शुक्ला मंत्रिमंडल में मंत्री थे।

मंत्री बनने से पहले प्रधान साहब प्रोफेसर कॉलोनी में एफ टाइप मकान में रहा करते थे।  उस समय ज़मीन से जुड़े श्री प्रधान का कद इतना बड़ा था की वे मंत्री होने के बाद चाहते तो भोपाल में कहीं भी बड़े बंगले में शिफ्ट हो सकते थे।  मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ला से उनकी नजदीकी किसी से छुपी नहीं थी लेकिन श्री प्रधान ने किसी बंगले में जाने के बजाय उसी एफ टाइप मकान में रहकर ही कामकाज किया।

प्रमोद प्रधान से दोस्ती होने के चलते अनेक बार उनके घर जाने का मौका भी मिला लेकिन उस समय हम बच्चे ही हुआ करते थे और प्रधान साहब के साथ नमस्कार के आलावा कोई बात होने का सवाल ही नहीं हो सकता था।  वर्ष १९७२ में राजनितिक कारणों के चलते उन्हें  मंत्रिमंडल से हटना पड़ा।  मंत्री बनने से पहले श्री प्रधान दो पहिया वाहन विक्की से चला करते थे।  हालांकि उस समय उनके पास दूसरे दो पहिया और चार पहिया वाहन थे लेकिन श्री प्रधान ने कहीं भी आने जाने के लिए विक्की को ही अपना वाहन चुना।

श्री प्रधान ने वर्ष १९७५ में बाबूलाल गौर के खिलाफ गोविंदपुरा से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।  वर्ष १९८० में उन्होंने पुनः वापसी की और बुधनी विधान सभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधायक बने।

श्री प्रधान की लोकप्रियता और जनता पर उनकी पकड़ को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने वर्ष १९८४ में भोपाल लोकसभा क्षेत्र से उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया।  चुनाव से कुछ समय पहले ही भोपाल गैस कांड हो  गया और भोपाल क्षेत्र का चुनाव स्थगित हो गया।  चुनाव स्थगित होने के बाद लग नहीं रहा था की भोपाल से कांग्रेस को जीत मिल भी पायेगी क्योंकि उस समय कांग्रेस पर गैस कांड के दोषी यूनियन कार्बाइड के अध्यक्ष वारेन एंडरसन को गलत तरीके से भारत से निकालने सहित यूनियन कार्बाइड का फेवर करने के आरोप लगे थे, जिसको लेकर भोपाल के लोगों में कांग्रेस के प्रति भारी गुस्सा था।  लेकिन कुछ माह बाद भोपाल  में चुनाव हुए तो  श्री  प्रधान को अपनी लोकप्रियता के बल पर जीत हासिल हुई।

इस बीच वर्ष १९७८ में पढ़ाई पूरी करने का बाद मैने समाचार भारती में पत्रकार के रूप में ज्वाइन कर लिया।  इत्तेफाक देखिये की समाचार भारती का कार्यालय श्री प्रधान द्वारा खाली किये गए उसी क़्वार्टर एफ २/१ में आ गया था और उसी  क़्वार्टर में मेरा फिर से दैनदिन आना जाना शरू हो गया। इस बीच मेरा ट्रांसफर वर्ष १९८० में रायपुर और वहां से १९८२ में दि ल्ली हो गया लेकिन वर्ष १९८४ में मै वापस भोपाल आ गया। वर्ष १९८६ में समाचार भारती के बंद होने के बाद मेने पी टी आई भाषा ज्वाइन कर ली।  यहाँ पुनः एक इत्तेफ़ाक़ रहा जब समाचार भारती बंद होने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा ने वही क़्वार्टर मुझे एलाट कर दिया और आज भी में उसी  क़्वार्टर  में रह रहा हूँ जहाँ कभी प्रधान साहब रहा करते थे।

खैर यह बात तो मेरी और उस क़्वार्टर की रही लेकिन वर्ष ८४ में भोपाल लौटने के बाद एक पत्रकार होने के नाते प्रधान साहब से मेरे निकट के सम्बन्ध रहे तथा गैस कांड के बाद मेने उनका संघर्ष निकट से देखा।  उनके साथ मेने न केवल अनेक चुनाव सभा को कवर किया बल्कि चुनाव जीतने के बाद गैस पीड़ितों की आवाज को राष्ट्रीय मंच पर उठाते हुए देखा था। उनके दरवाजे हमेशा आम जनता के लिए खुले रहते थे और कोई भी बेधड़क उनसे मिल सकता था।  मेने देखा था की लोग उनसे मिलने के बाद संतोष भरी मुस्कान के साथ ही वापस लौटते थे। वे भोपाल के एकमात्र ऐसे नेता थे जो मुस्लिमो के बीच  उतने ही लोकप्रिय थे जितने की हिन्दुओ के बीच।

में स्वर्गीय श्री के एन प्रधान की २५वीं पुण्य तिथि पर शत शत नमन और भावभीनी श्रद्धांजली देने के साथ ही सभी से अपील करता हूँ कि वे २१ जुलाई को रचना टावर में उनकी याद में आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम सम्मिलित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाये।

वीरेंद्र सिन्हा

सेवा निर्वृत्त विशेष संवाददाता

पी टी आई भाषा

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