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प्रभु के वचनों को सुनना सौभाग्य  है – आचार्य देव श्री नयचंद्र सागर सुरीश्वरजी म.सा.

अरुण त्रिपाठी

रतलाम, 22 जुलाई ;अभी तक;  प्रभु के वचनों को सुनना सौभाग्य होता है। आप सुनेंगे तो आपको अकेले को लाभ मिलेगा, लेकिन हमें अकेले लाभ नहीं लेना चाहिए और पांच-पांच अन्य व्यक्तियों को लाकर प्रभु के वचन सुनाने  का लाभ भी लेना चाहिए।

यह बात वर्धमान तपोनिधि पूज्य आचार्य देव श्री नयचंद्रसागर सुरीश्वर जी म.सा. ने सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में आयोजित प्रवचन में कही। आचार्य श्री ने कहा कि चातुर्मास के पावन अवसर पर विद्यार्थियों के लिए भी सरस्वती साधना का आयोजन किया जा रहा है। इसके साथ ही आइडियल स्टूडेंट का चयन भी किया जाएगा। विद्यार्थियों के लिए आयोजित शिविर में स्कूली शिक्षा के दौरान उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है और क्या गलती होती है इसके बारे में समझाया जाएगा।

गणिवर्य डॉ. अजीतचंद्र सागर जी म.सा. ने मंगल प्रवचन देते हुए कहा कि हमें परमात्मा के वचनों की पूजा करना चाहिए। हमारा भगवान के साथ अनन्य संबंध होना चाहिए। हम अपने हृदय को इतना पवित्र बनाए कि प्रभु के शब्द हमारे लिए स्वयं प्रभु बन जाए। श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्री संघ गुजराती उपाश्रय रतलाम एवं श्री ऋषभदेव जी केसरीमल जी जैन श्वेतांबर पेढ़ी रतलाम के तत्वावधान में आयोजित प्रवचन श्रृंखला में बड़ी संख्या में श्रावक, श्राविकाएं उपस्थित रहे।

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