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पुरातत्व विभाग द्वारा  ऐतिहासिक महत्व को समझाने के लिए गाइडो का प्रशिक्षण होना चाहिए

महावीर अग्रवाल
         मंदसौर १४ जुलाई ;अभी  तक;  भारत के अनेक प्राचीनतम मंदिर और किलो का अपना ऐतिहासिक महत्व है और इन स्थानों पर पर्यटन के लिए जाने वाले पर्यटकों को स्थानीय स्तर पर अकुशल गाइड द्वारा जानकारी दी जाती है।
                                   नगर के शिक्षाविद श्री रमेशचंद्र चन्द्रे ने कहा कि उक्त जानकारी देने वाले गाइडों को इतिहास की सही-सही जानकारी नहीं होती और वह कोरी गप्प मार कर पर्यटको को भ्रमित करते हैं और गलत जानकारी देते है जिसका इतिहास से कोई संबंध नहीं होता। इस कारण पर्यटकों के मन मस्तिष्क में वही बात बैठ जाती है जो गाइड बताते है। गाइड द्वारा गलत प्रस्तुति के कारण संपूर्ण भारत ही नहीं विश्व भर से आने वाले पर्यटक, भारतीय इतिहास की गलत जानकारी लेकर जाते हैं।
       भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और उससे जुड़ी हुई एजेंसियों को एक निश्चित कार्यक्रम के तहत क्षेत्रिय स्तर पर “गाइड समुदाय” का विशेष प्रशिक्षण आयोजित करना चाहिए और संबंधित ऐतिहासिक धरोहरों की जानकारी देने के पहले इन गाइडों को प्रशिक्षण देने के बाद समुचित परीक्षा लेकर प्रमाण पत्र जारी करना चाहिए ताकि देश की ऐतिहासिक इमारतों का सही इतिहास भारत की जनता और विदेशी पर्यटकों के समक्ष आ सके।
       उन्होंने कहा कि  विशेष कर विदेशी पर्यटकों के सामने हिंदुस्तान  का इतिहास प्रस्तुत करने के लिए अंग्रेजी भाषी गाइड की अंग्रेजी भी अच्छी होनी चाहिए तथा उसे भी इतिहास का सही ज्ञान होना चाहिए। क्योंकि जो गाइड अंग्रेजी भाषा के माध्यम से उनके सामने जो भी प्रस्तुत करते हैं वही मैसेज लेकर वह अपने देश जाते हैं। इसलिए अंग्रेजी भाषी गाइड को भी अलग से प्रशिक्षण देने की व्यवस्था होनी चाहिए। यदि अप्रशिक्षित अल्पज्ञ अथवा इतिहास की गलत जानकारी रखने वाला गाइड वहां पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई होना आवश्यक है। स्मरण रहे बेरोजगारी की वजह अनेक युवक इन स्थानों पर गाइड का काम करते हैं जिनको इतिहास का कोई ज्ञान नहीं होता  किंतु वे वंशानुगत अथवा परंपरागत ज्ञान को ही आगे बढ़ाते जाते हैं। यदि इस विषय में ध्यान नहीं दिया गया तो इतिहास की गलत जानकारी संपूर्ण देश सहित विदेशों में फैलेगी, इसलिए भारतीय पुरातत्व विभाग को इसे नियंत्रित करना चाहिए।      इस हेतू यदि आवश्यक हो तो क्षेत्रीय पुरातत्ववेत्ताओं सहयोग भी प्राप्त किया जा सकता है।

 

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