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विनम्रता को जब कायरता समझा जाता है तब युद्ध की स्थिति आती है: पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती

रवींद्र व्यास

छतरपुर २९ मई ;अभी तक; यहाँ से 18 किमी दूर गढ़ा गांव के बागेश्वर धाम मे आए पूरी के शंकराचार्य ने  संगोष्ठी कार्यक्रम में लोगों के सवालों के जवाब दिए।विश्व भर में चल रहे युद्ध के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि परम सनातनी कभी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करता। विनम्रता को जब कायरता समझा जाता है तब युद्ध की स्थिति आती है। विश्व शांति में सनातन की भूमिका महत्वपूर्ण है। क्योंकि सनातन धर्म वसुदैव कुटुम्बकम् की भावना को बल देता है।

स्वामी जी ने बच्चों के संबंध में पूंछे जाने पर कहा कि वर्तमान समय में लोग काम को प्रमुखता दे रहे हैं , जिससे वे अपने बच्चों को संस्कार देना भूल रहे हैं। संस्कार से वंचित बच्चे माता-पिता का तिरस्कार करते हैं। वर्ण व्यवस्था पर उन्होंने कहा कि चार वर्णों में अंत्यज के हाथ में ही प्राचीन काल में छोटे-छोटे उद्योग थे ।लेकिन अंत्यज यानि छोटे भाई का राजनीतिकरण कर उसे दलित बना दिया गया। कुटीर उद्योगों के माध्यम से कार्य करने वाले छोटे भाई को समाज का दबा-कुचला व्यक्ति दिखाकर उसे गुमराह किया गया। परिणामस्वरूप वह छोटा भाई अन्य धर्मों की ओर मुड़ गया।

पत्रकारों से संवाद ; पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य जी स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने पत्रकारों को समझाइश देते हुए कहा कि देश के कल्याण के लिए हमेशा मुखर और प्रखर रहना चाहिए। पं धीरेंद्र शास्त्री को बागेश्वर धाम का पुजारी बताते हुए उन्होंने कहा, वह पुजारी के रूप में अपने दायित्व का सफल निर्वहन कर रहे हैं। सनातन धर्म और अन्य धर्मों के सवाल पर शंकराचार्य जी ने कहा कि सबके पूर्वज हिंदू है क्योंकि अन्य धर्म की आयु है ,लेकिन सनातन धर्म की कोई आयु नहीं है। सनातन धर्म आदिकाल से चल रहा है। वर्तमान में वैवाहिक स्थितियों के सवाल पर स्वामी जी ने कहा कि वैदिक कर्म के साथ विधि विधान से किया गया विवाह लौकिक और पारलौकिक होते हैं लेकिन विसंगति पूर्ण विवाह की उम्र कम होती है। ऐसे विवाह जल्द टूट जाते हैं और पति-पत्नी में द्वेष की भावनाएं पनपती है।

उन्होंने एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कुंती ने साधना के बल पर ऐसा वरदान प्राप्त किया कि वह जिस देवता का स्मरण करें वही उन्हें पुत्र के रूप में प्राप्त होगा। अध्यात्म और सनातन की शक्ति जगदीश्वर को भी बालक बनाने की सामर्थ्य रखती है। उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि देवी देवता के स्वरूप का जिसे ज्ञान नहीं है उसकी टिप्पणी अर्थहीन होती है।

संगोष्ठी के दौरान बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री, अजान भुज सरकार जनराय टौरिया के महंत श्रंगारी महाराज, संकट मोचन मंदिर के महंत पं. राजीवलोचन महाराज के अलावा, महर्षि वेद विज्ञान पीठ के बटुक ब्राह्मणों सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे

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