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राइस मिलर्स को जिले के राजनेताओं का खुला संरक्षण, प्रशासन भी मूक दर्शक बना

आनंद ताम्रकार

बालाघाट ३ मई ;अभी तक;  बालाघाट जिला मध्य प्रदेश का सर्वाधिक धान उत्पादक जिला है। जिले में समर्थन मूल्य पर इस वर्ष 5 लाख 85 हजार मेट्रिक टन धान खरीदी गई जिसका कीमत लगभग 13 अरब रुपये आंकी गई है। समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान राईस मिलर्स को कस्टम मिलिंग के लिये प्रदाय की जा रही है जिसके एवज में राइस मिलर्स निर्धारित गुणवत्ता का चावल वापस प्रदाय करेगें। जिसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उपभोक्ताओं में वितरित किया जायेगा।

बालाघाट जिला उन जिलों में शुमार है जहां चावल के निर्माण की प्रक्रिया के दौरान फोर्टिफाइड चावल मिलाकर राईस मिलर्स से लिया जा रहा है ताकी उपभोक्ताओं को पौष्टिक चावल मिल सके यह प्रक्रिया केंद्रीय शासन के निर्देश पर की जा रही है।  इन दिनों जिले में यह आम शिकायत मुखर हुई है कि जो धान राईस मिलर्स को प्रदाय की जा रही है वह संबंधित राइस मिल में ना पहुंचकर उसकी कालाबाजारी की जा रही है।

मध्यप्रदेश विपणन संघ द्वारा राईस मिलर्स को जारी किये जाने वाले डिलीवरी आर्डर दलाल बेचे जा रहे है। अबतक जिले की सीमाओं पर जांच के दौरान धान से भरे ट्रक पकडे गये वे महाराष्ट गोंदिया की ओर जा रहे है ऐसे कुछ प्रकरणों की जांच प्रशासन द्वारा कराई जा रही है।

आखिरकार राईस मिलर्स इतनी दिलेरी के साथ खुलेआम समर्थन मूल्य पर खरीदी गई सरकारी धान को कालाबाजार में कैसे बेखौप होकर बेच रहे है। वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन और मार्कफेड संबंधित राईस मिलर्स पर कड़ी कार्यवाही करने की बजाय कैसे खुली छुट दे रहा है यह प्रश्न चर्चा का विषय बना है।

यह उल्लेखनीय है की खरीदी गई धान की कस्टम मिलिंग कर चावल प्रदाय किये जाने हेतु राईस मिलर्स और विपणन संघ के बीच अनुबंध निष्पादित किया गया है निष्पादित किये गये अनुबंध पत्र पर महाप्रबंधक मिलिंग मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन  संघ भोपाल तथा महाप्रबंधक मिंलिग मध्यप्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम भोपाल एवं राईस मिलर्स के हस्ताक्षर कराये गये है।

निष्पादित किये गये अनुबंध पत्र की कण्डिकाओं में यह स्पष्ट उल्लेख है कि राइस मिल में धान भंडारण पूर्ण होने पर अधिकतम 3 दिवसों में वीडियोग्राफी कराई जाकर उसका रिकार्ड सुरक्षित रखा जायेगा। उपार्जन केन्द्र के नोडल अधिकारी राईस मिलर्स के निर्धारित वाहनों में धान लोडिंग और तुलाई कार्य की मांनिटिंग की जायेगी।

धान उपार्जन एवं भण्डारण एजेंसी के मैदानी अमले द्वारा राईस मिलर्स के परिसर/गोदाम में प्रदाय एवं भण्डारित धान का शत प्रतिशत सत्यापन उपरांत राईस मिलर्स द्वारा मिलिंग कार्य प्रारंभ किया जायेगा तथा इस संबंध में शिकायत मिलने पर भौतिक सत्यापन कर स्टाक का सत्यापन किया जायेगा।

मिल परिसर/गोदाम में धान एवं कस्टम मिलिंग चावल सत्यापन उपार्जन एजेंसी के जिला अधिकारी के प्रतिनिधि एवं सहायक कनिष्ट अधिकारी द्वारा प्रत्येक 15 दिन के अंतराल में अथवा आवश्यकतानुसार किया जायेगा।
जिला आपूर्ति अधिकारी,जिला प्रबंधक,जिला विपणन अधिकारी तथा शाखा प्रबंधक एमपीडब्ल्यूएलसी प्रत्येक माह जिले की 25 प्रतिशत राइस मिलों को प्रदाय/भण्डारित धान चावल का भौतिक सत्यापन करेंगे सत्यापन की कार्यवाही मोबाइल एप के माध्यम से की जायेगी।

जिले के कलेक्टर माह में एक बार राजस्व अधिकारियों के माध्यम से जिले में न्यूनतम 4 राईस मिलों में प्रदाय/भण्डारित धान चावल का भौतिक सत्यापन करायेगें। निर्धारित मिंलिग अवधि में राइस मिलर्स की मिल की क्षमता का आकलन करेंगे तथा यह सत्यापन करेंगे की उनके द्वारा प्रदाय की गई मात्रा मिल की क्षमता से अधिक तो नही है।
मिंलिग के बाद प्राप्त होने वाली सह उत्पाद अर्थात कोंडा कनकी,भूसा का हिसाब मिलर्स पृथक पृथक से रखेगा। जिसका अधिकारी तत्संबंध में रखे गये दस्तावेजों का अवलोकन कर स्टाक का सत्यापन करेंगा तथा  इस संबंध में अनियमितता पाये जाने मिंलिग अनुबंध समाप्त किया जायेगा।

राइस मिलर्स के पास उपलब्ध धान/चावल का स्वामित्व प्रथम पक्षकार/शासन का रहेगा राईस मिलर्स स्टाक कस्टोडियन मात्र रहेगा। मिंलिग हेतु प्रदाय की गई धान को राईस मिलर्स अनुबंध अनुसार केवल मिलिग हेतु प्रयोग करेगा किसी अन्य के स्वामित्व में स्थानांतरित नहीं कर सकेगा विक्रय नहीं कर सकेगा तथा किसी वित्तीय संस्थान या अन्य को रहन/गिरवी नहीं रख सकेगा। धान और चावल की मात्रा के आधार पर राईस मिलर्स किसी प्रकार का ऋण इत्यादि प्राप्त नही करेगा।

बालाघाट जिले में अनुबंध पत्रों में उल्लेखित इन कण्डिकाओं का कितना परिपालन किया गया यह जांच का विषय है।  जिन अधिकारियों को धान और चावल के स्टॉक का भौतिक सत्यापन करने के निर्देश है क्या उन्होंने निर्देशों का पालन किया।

इसके विपरीत जैसी की जानकारी मिली है किसी भी अधिकारी ने राईस मिलर्स के परिसर में जाकर धान और चावल के स्टॉक ना तो भौतिक सत्यापन किया ना ही दस्तावेजों का अवलोकन किया और तो और जिले के अनेक राईस मिलर्स ने सरकारी धान को अपनी संपत्ति/स्टाक बताते हुए राष्ट्रीयकृत बैंकों में स्टाक स्टेटमेंट देकर उसके एवज में लिमिट बनाकर ऋण लिया है।
भारतीय स्टेट बैंक की वारासिवनी शाखा में ऐसे कुछ मामलों की जानकारी प्राप्त हुई है।
इन विसंगतियों के चलते ही कमीशनबाजी के चक्कर में राइस मिलर्स खुलेआम सरकारी धान की कालाबाजारी धड़ल्ले से कर रहे है तो दूसरी तरफ प्रशासन ने राईस मिलर्स के विरूद्ध कोई कडी कार्यवाही करने लिये अपने हाथ खडे कर दिये है।
राइस मिलर्स को जिले के राजनेताओं का खुला संरक्षण मिला हुआ है।
यही कारण है की धान की कालाबाजारी के संबंध में उन्होंने चुप्पी साध ली है।
प्रशासन,नागरिक आपूर्ति निगम,विपणन संघ और खाद्य विभाग की सांठगांठ से चल रहे सरकारी धान की कालाबाजारी पर कैसे अंकुश लगेगा।

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