प्रदेश

चालीस करोड़ की सड़क गुणवत्ताहीन, ठेकेदार तथा अधिकारीयो की साठगाठ से शासकीय राशि का हो रहा बंदर बाट

दीपक शर्मा

पन्ना/ २३ मई ;अभी तक; मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में केन्द्रीय सड़क निधि योजना अंतर्गत लगभग चालीस करोड़ की लागत से नेशन हाईवे-39 से सकरिया-गुनौर-डिघौरा होते हुए नेशनल हाईवे 943 तक निर्माणाधीन मार्ग में बड़े पैमाने पर लीपापोती की जा रही है। लगभग 29 किलोमीटर बनाये जा रहे उक्त सडक मार्ग व्याप्क स्तर पर घटिया निर्माण कर शासकीय राशि का बंदर बाट करने की योजना तैयार की गई है।

लोक निर्माण संभाग पन्ना के तकनीकी अधिकारियों और ठेकेदार के बीच सांठगांठ के चलते सड़क निर्माण में गुणवत्ता के मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए अर्थवर्क से लेकर सीआरएम तक परत दर परत बड़े पैमाने पर भष्टाचार किया जा रहा है। सीआरएम की परत में निर्धारित मापदंड अनुसार मिक्स मटेरियल न डालकर खदानों का ओवर वर्डन (अनुपयोगी सामग्री) बिछाकर तुरंत रोलर चलवा दिया जाता है। सड़क की गुणवत्ता से समझौते का यह खेल बड़ी ही चालकी के साथ रात के अंधेरे में खेला जा रहा है, ताकि सीआरएम में की जाने वाली चोरी का किसी को पता न चल सके। पत्रकारो के पास मौजूद वीडियो सड़क निर्माण में चल रही धांधली की पोल खोल रहे हैं।

विधानसभा चुनाव के समय सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी की ओर से डबल इंजन की सरकार में विकास की रफ़्तार बढ़ने के बड़े-बड़े दावे किए गए थे। मगर, अभी तक विकास की गति में कोई ख़ास अंतर तो नहीं आया, इसके उलट सूबे में भ्रष्टाचार अवश्य ही नित नए रिकार्ड बना रहा है। ‘शिव राज’ की तर्ज पर डॉ. मोहन यादव की सरकार में भी अफसरशाही और भष्टाचार चौतरफा हावी है। प्रशासनिक व्यवस्था में बड़े ओहदों पर बैठे अफसर सिर्फ उन्हीं मामलों को संज्ञान ले रहे हैं जिनमें सरकार की तरफ से उन्हें निर्देश मिलते हैं। आमजन की ओर से सौंपे जाने वाले आवेदन तथा मीडिया के द्वारा उठाए जाने वाले जनहित से जुड़े मुद्दों पर अफसरों को अब अपनी जिम्मेदारी का बिल्कुल भी एहसास नहीं होता। निराशा और उदासीनता से भरे इस माहौल में अराजकता को बढ़ावा मिल रहा है। ‘

मोहन राज’ में सूबे के भ्रष्ट अफसर कितने बेख़ौफ़ है इसका सहज अंदाजा पन्ना जिले में केन्द्रीय सड़क निधि योजना अन्तर्गत कराये जा रहे उक्त कार्य मे देखा जा सकता है। 29 किलोमीटर लंबी और लगभग चालीस करोड़ की लागत वाली इस सड़क का निर्माण कार्य ठेकेदार रविशंकर जायसवाल जबलपुर के द्वारा कराया जा रहा है। मालूम हो कि, 29 किलोमीटर लम्बाई वाले सकरिया-डिघौरा मार्ग में अभी तक विभिन्न प्रक्रार की 41 नग पुलियों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। इनमें एक पाइप वाली पुलिया (सिंगल-रो पाइप कल्वर्ट) 22, दो पाइप वाली पुलिया (डबल-रो पाइप कल्वर्ट) 16 और बॉक्स कल्वर्ट- 3 नग शामिल हैं। नवनिर्मित पुलियों का हाल यह है कि उनकी फेसबॉल का कंक्रीट हाथ लगाने भर से उखड़ रहा है। गत दिनों पत्रकारो की टीम ने निर्माणाधीन सड़क का अवलोकन किया था। इस दौरान सड़क के साथ-साथ पुलियों के निर्माण में भी गंभीर अनियमितताएं देखने को मिलीं। अधिकांश पुलियों का निर्माण

मापदंड अनुसार नहीं कराया गया। पुलियों में डाले गए कंक्रीट में रेत की जगह क्रेशर डस्ट का बड़ी मात्रा में उपयोग किया जा रहा है। भीषण गर्मी में पुलियों का निर्माण करने के बाद नियमित तौर पर अच्छी तरह से उनकी तराई नहीं की जा रही है। बॉक्स कल्वर्ट में अच्छी क्वॉलिटी का सरिया निर्धारित मापदंड अनुसार नहीं डाला गया। पुलियों की फेसबॉल की नींव में कंक्रीट मटेरियल की जगह बड़े-बड़े पत्थर भरे हैं। आश्चर्य की बात है कि, लोक निर्माण संभाग पन्ना के जिम्मेदार तकनीकी अधिकारी इन सब धांधलियों पर आंखें मूंदकर बैठे हैं।

ज्ञात हो कि पन्ना जिले मे रवी शंकर जयसवाल ठेकेदार द्वारा लगभग तीन सौ करोड के कार्य कराये जा रहें है। लेकिन जो कार्य पूर्व में हो चुके है वह अत्यन्त ही घटिया तथा गुणवत्ताहीन है उदाहरण के तौर पर पहाडीखेडा मार्ग जो लगभग 40 किलोमीटर अस्सी करोड की लागत से बनाया गया है वह भी लगातार चर्चाओं मे रहा है। इसके अलावा अजयगढ तहसील अन्तर्गत 45 किलोमीटर नहर पट्टी का निर्माण कार्य भी घटिया एवं गुणवत्ताहीन किया गया है, जिसको लेकर लगातार स्थानीय लोगो द्वारा शिकायते की गई थी। इसके बावजूद रवीशंकर जयसवाल कन्ट्रक्शन कंपनी के घटिया निर्माण कार्य को लेकर जिम्मेवार अधिकारीयो द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई है। बताया जाता है कि उक्त ठेकेदार को सत्ताधारी दल के बडे जन प्रतिनिधियों का संरक्षण प्राप्त है। इस लिए गुणवत्ताहीन कार्य ठेकेदार द्वारा लगातार कार्य कराये जा रहे है तथा शासकीय राशि मे बंदर बाट का खेल चल रहा है।

इनका कहना हैः-

सकरिया-डिघौरा सड़क निर्माण में गड़बड़ी से जुड़े आपके पास जो भी साक्ष्य उपलब्ध हैं उनको मुख्य अभियंता सागर को भेज दें। अगर कोई आवेदन हो तो उसे भी आप उनको जाकर दे सकतें। क्योंकि निर्माण कार्य का जांच प्रतिवेदन मैं उन्हीं से मांगूंगा। मैं भी उन्हें फोटो-वीडियो भेजकर कार्य का निरीक्षण करने के लिए बोलता हूं।”
आरके मेहरा, प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग, भोपाल म.प्र.

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