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मनुष्य में ज्ञान व विवेक का होना जरूरी है- साध्वी श्री रमणीककुंवर जी म.सा.

महावीर अग्रवाल 

मंदसौर २० सितम्बर ;अभी तक ;   मनुष्य भव मिला है तो सर्वप्रथम हमें ज्ञान अर्जित करने की और ध्यान देना चाहिये। बिना ज्ञान व विवेक के मनुष्य किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। तिबना ज्ञान व विवेक के मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। जीवन में हमें सर्वप्रथम ज्ञान अर्जित करने की ओर ध्यान देना चाहिये।
                             उक्त उद्गार प.पू. जैन साध्वी श्री रमणीककुंवरजी म.सा. ने नईआबादी शास्त्री कॉलोनी स्थित जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में कहे। आपने शुक्रवार को यहां धर्मसभा में कहा कि जिस प्रकार अच्छा एडवोकेट वही है जिसको कानून का ज्ञान हो, अच्छा डॉक्टर वही है जिसको दवाइयों की जानकारी हो, उसी प्रकार विवेकवान मनुष्य वही कहलाता है जिसको दैनिक जीवन की अच्छाइयों बुराइयों का ज्ञान हो। हमें अपने जीवन में ज्ञान एवं विवेक का महत्व समझाते हुए ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करते रहना चाहिये। जीवन में ज्ञान व विवेक नहीं है तो हमें अपने जीवन में सफलता नहीं मिलेगी जीवन में ज्ञान विवेक का होना जरूरी है।
                                बच्चों को जनम से ही संस्कारित करो- साध्वी श्री रमणीककुंवरजी ने कहा कि बच्चों को यदि संस्कारवान ज्ञानवान बनाना है तो उन्हें बचपन ने सही अच्छे संकार मिले इसका प्रयत्न करना चािहये। जिस प्रकार पौधे की टहनी (लकड़ी) नरम होती तो उसे मोड़ सकते है लेकिन यदि पेड़ की डगाल को मोड़ेंगे तो वह टूट जायेगी लेकिन मुड़ेगी नहीं। हमें बच्चों को पौधो के समान समझकर उन्हें उचित (सही) दिशा में बड़ने के लिये प्रेरित करना चाहिये और बच्चों को जन्म से ही धर्म की भी शिक्षा देनी चाहिये।
                                   धर्मसभा में साध्वी श्री चंदनाश्रीजी म.सा. ने भी अपने विचावर रखे। धर्मसभा में बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित थे। संचालन पवन जैन (एच.एम.) ने किया।

 


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