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साधु-साध्वियों को विधिपूर्वक नमन करने से पूण्य कर्म बढ़ता है- साध्वी अर्हता श्रीजी म.सा.

महावीर अग्रवाल 
 मंदसौर एक सितम्बर ;अभी तक;  क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है, जो मनुष्य क्रोध करते है, असल में वे अपना ही शत्रु होते है और ऐसे लोग क्रोध करके अपने पापकर्म को बढ़ाने का काम करते है। व्यक्ति जिस पर क्रोध करता है उसको हानि हो या नहीं हो लेकिन क्रोध करने वाले व्यक्ति की हानि होना निश्चित है। क्रोध करने वाले व्यक्ति के मन की प्रसन्नता समाप्त हो जाती है वह स्वयं का चिंतन नहीं करके दूसरे का चिंतन करके अपनी आत्मा का स्वभाव बिगाड़ लेेता है। इसलिये जीवन में क्रोध रूपी शत्रु से बचे और स्वयं भी प्रसन्न रहे और दूसरों को भी प्रसन्न रहने दे।
                                      उक्त उद्गार परम पूज्य जैन साध्वी श्री अर्हताश्रीजी म.सा. ने चौधरी कॉलोनी स्थित रूपचांद आराधना भवन में कहे। आपने शुक्रवार को यहां धर्मसभा में कहा कि साधु संतों साध्वियों को पूरे मनोभाव व क्रिया से प्रणाम करने से पापकर्म क्षय होते है, इसलिये श्रावक श्राविकाओं को साधु संतों साध्वियों के वंदन एवं दर्शन करने के किसी भी अवसर को छोड़ना नहीं चाहिये। केवल गर्दन झूकाकर नमस्कार कर लेना ही वंदन नहीं है। साधु संतों को पूरी विधि पूर्वक धर्म के अनुसार श्रीसंघ की परम्पराओं के अनुरूप वंदन करना चाहिये। इस प्रकार के दर्शन वंदन करने को ही श्रेष्ठ माना गया है, इसलिये विधि पूर्वक ही नमन करे।
पर्यूषण पर्व मंे अंजनी परिवारो को भी कन्दमूल  व जमीकंद छोड़ने की प्रेरणा दे- पयुर्षण महापर्व दिनांक 11 से 19 सितम्बर तक होने जा रहे है, इन पर्युषण पर्व में अजैनी परिवारों को भी जैन समाज के धर्मालुजन प्याज, लहसन, आलू आदि कन्दमूल (जमीकंद) छोड़ने की प्रेरणा दे ऐसे परिवारों का सामूहिक सम्मान भी हो। धर्मसभा के पश्चात लक्ष्मीलाल संदीप कुमार धींग परिवार के द्वारा प्रभावना वितरित हुई। धर्मसभा में बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित थे।

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