मयंक शर्मा
खंडवा २२ जुलाई ;अभी तक; इस बार सावन माह की शुरूआत सोमवार 23 जुलाई सेे हुई हैं। शिव मंदिरों में सुबह से दर्शन-पूजन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्वालु पहुंचने लगे। वहीं ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग मंदिर में भी भक्तों की लंबी कतार लगी है।नर्मदा तट की जिले की ज्योंतिर्लिग नगरी ओम्कारेश्वर पर्व पर स्नान के लिये नर्मदा में करीब 1 लाख से अधिक लोगों ने डुबकी लगाई और फिर श्रीजी मंदिर में भगवन भोले की आराधना मे अपने को लीन किया। यहाँ भक्तो ने भगवन ओमकार पर जल और बेल पात्र चढाकर पूजा अर्चना में व्यस्त रहे।
खास बात यह है कि मंदिर ट्रस्ट ने सावन महीने के दौरान इर्शन कर वीआई के विशेष व्यवस्था को बंद कर दियाा हे वही इंदौर-ऐदलाबाद नेशनल हाईवे के तहत खंडवा जिले में फोरलेन हाईवे कंप्लीट हो चुका है। एनएचएआई के तहत केसीसी कंपनी ने धनगांव से बोरगांव बुजुर्ग 60 किमी माग्र टोल प्लाजा शुरू कर सावन महीने के पहले दिन से वाहनेंा पर शुल्क आराोपित कर दिया हे।श्रद्धालु राधेश्याम चैरे ने हिन्दु ओ को सावन के पहले सामेवार से सरकार का इसे महगाइ्र पर एक तोहफा कहा है।
देश के द्वादस ज्योंतिर्लिगों में से एक जिले की तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में ज्योंतिर्लिग के दो स्वरूप ओंकारेश्वर और ममलेश्वर है जो नर्मदा के दोनों किनारों उतर दक्षिण में विराजमान है।
सावन मास में सोमवार को पंरपरागत रूप से द्वय ज्योंतिर्लिगों की सवारी शाम 4 बजे ो निकली। भगवान भोलनाथ ने करीब 6 घण्टों से अधिक समय तक यात्रा के दैारान नर्मदा में नोका विहार का लुप्त उठाया और नगर भ्रमण कर लोगों के हाल चाल जाने ।
संध्या 4 बजे अलग अलग पालकियों में अपने अपने मुकाम से द्वय ज्योंतिर्लिग ओंकारेश्वर व ममलेश्वर नगर भ्रमण पर निकले। ज्योंतिर्लिग ओंकारेश्वर का कोटीतीर्थ घाट पर तो ममलेश्वर का गौमुख घाट पहुंचने पर अभिषेक व महाआरती हुई। दोनों अपने अपने तटो से नौका में विहार होकर केवलराम घाट पहुंचे जहां इनके परस्पर मिलन के गवाह बनने के लिये हजारों श्रद्धालुओं की भीड उमडी। यहां से संयुक्त रूप से यात्रा गांधी तिराहा जेपीचैक पहुंची।नगर भ्रमण दोरान यात्रा मार्ग गुलाल गुलाब से सरोबार था तो बोल बम और ओम नमः शिवाय के स्वरो से गुजायमान भी।
प्रशासन की अव्यवस्थाये ंएक बार फिर सिर चढकर बोली है। उमड़ने वाली भीड़ के मद्देनजर तीर्थनगरी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम जरूर किये गये है। सुरक्षा के लिए खंडवा के अलावा खरगोन से भी पुलिस बल तैनात कर दिया है।
सावन में देशभर से श्रद्धाालु तीर्थनगरी पहुंचते हैं। सावन माह में नर्मदा स्नान का महत्व है लेकिन यहां पानी का स्तर कम ज्यादा हो रहा है।
?0 शिव परिवार की लीला।
सावन मास से आंरभ शिव उपासना का चक्र में उनके परिजन भी दूर नहीं है। शिव साधना श्रंृखला मनकामनाओं को पूरा करने वाली है। देवी-देवताओं की गरिमा का ध्यान रख उनकी पूजा के दिन निर्धारित कर रखे हैं।. सावन माह में जब प्रकृति खिल उठती है तब शिव की पूजा की जाती है। जल भगवान शिव को प्रिय है अतः वर्षाकाल की दहलीज पर पूरे सावन मास उनकी अराधना में श्रद्धालुजन लीन रहते है। जल व बिल्व भगवान को प्रिय है। यही वजह है कि भक्तगण पूरे सावन महीने में बिल्वपत्र अर्पित करते हैं।
इस माह गले में नाग धारण करने के लिये नांगपंचमी का पर्व पर नागों की पूजा होती है। इसके बाद भाद्रपद में उनके पुत्र व ऋद्धि सिद्धी के दाता भगवान गणेशजी का 10 दिवसीय गणशोत्सव पर्व की धूम शुरू हो जाती है। इसी माह में भगवान शिव के वाहन एवं शिव परिवार के सदस्य नंदी की पूजा भाद्रपद की अमावस्या पोला पर्व को लेकर की जाती है। कुंवार माह में मां पार्वती की आराधना उपासना का पर्व नवरात्र उपस्थित हो जाता है। नवरात्र में नौ दिनों तक देवी की साधना की जाती है। कार्तिक माह भगवान कार्तिकेय की पूजा का माह माना गया है।
0 पाप नाशिनी।
पं रमेश शर्मा ने नर्मदा महत्व के बारे में कहा कि एक बार देवताओं को यह विचार आया कि कई बार उनसे भी पाप हो जाते हैं. अपने पापों के निवारण का मार्ग पूछने वे शिवजी के पास पहुंचे। देवताओं की इस समस्या के निवारण के लिए भगवान शिव ने अपनी जटा में धारित चंद्रमा से एक बिंदु धरती पर टपकाई। इससे रूपवती कन्या उत्पन्न हुई, जिसे मेकल और नर्मदा नाम दिया गया। शिवजी ने उसे आज्ञा दी कि देवों के पाप प्रक्षालन के लिए वह नदी का रूप ले। यही कारण है कि नर्मदा के उद्गम से लेकर विसर्जन तक इसके तटों पर जप, तप, आराधना से सिद्धियां प्राप्त होती हैं। कोई नर्मदा का दर्शनमात्र भी कर ले तो उसके पापों का मोचन हो जाता है. नर्मदा की परिक्रमा अनन्य पुण्य प्रदान करती है।