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बुद्धि को भगवान में  लगाओं संसार में नहीं – स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती

महावीर अग्रवाल
मंदसौर १३ सितम्बर ;अभी तक ;   श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा मंदसौर पर दिव्य चातुर्मास पूज्यपाद 1008 स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ऋषिकेश के सानिध्य में चल रहा है।  स्वामी जी द्वारा प्रतिदिन प्रात: 8.30 से 10 बजे तक श्रीमद् भागवद् महापुराण के एकादश स्कन्द का का वाचन किया जा रहा है।
                                     शुक्रवार को धर्मसभा में स्वामी श्री आनन्द स्वरूपानंदजी सरस्वती ने कहा कि  हमें भजन में रूचि बढ़ाना चाहिए भजनों को सुनना चाहिए गाना चाहिए क्योंकि भगवान के प्रति आस्था बढ़ाने के लिए भजन के अच्छा माध्यम होते है। हमें भगवान की महिमा का श्रवण करना चाहिए भगवान को जानने का प्रयास करना चाहिए। हमे गुरूओं के द्वारा दिए गए उपदेशों को अपने जीवन मेंं उतारना चाहिए। आपने कहा कि शास्त्रों में लिखा हैं कि भगवान ने सभी जीवों में बुद्धि सिर्फ मनुष्य को दी है ताकि वह इस बुद्धि को भगवान में लगाकर अपने जीवन का उद्धार आत्म कल्याण के मार्ग को प्रशस्त कर सकें। लेकिन हम बुद्धि को संसार में लगाते है, जिसका कोई फल हमें नहीं मिलने वाला होता है।
                                    धर्मसभा में आपने कहा कि धीरे – धीरे भगवान का चिंतन बढाओं को संसार का चिंतन कम करों एक दिन आपका मन पूरी तरह से प्रभु भक्ति में लग जायेंगा। मीरा ने कृष्ण भक्ति में सबकुछ त्याग दिया था और उन्हें भगवान की प्राप्ति भी हुई। आपने कहा कि इन्द्रियों को नियंत्रण में रखें यह जो मांगे उसे मत दों कामनाओं को नियंत्रण में रखना भी तप है। आपने कहा कि शास्त्रों में बताया गया है कि सभी से मधुर एवं सत्य वाणी बोलों इसमें भी भगवान का स्वरूप है। आपने बताया कि सबसे बडा धन धर्म है, सब छूट जाता है लेकिन धर्म हमारा साथ कभी नहीं छोडता।
                                    कार्यक्रम के अंत में भगवान की आरती उतारी गई एवं प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर  ट्रस्ट के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया , सचिव कारूलाल सोनी, प्रहलाद काबरा, प्रमोद कुमार गुप्ता, आर सी पाण्डेंय, मदनलाल गेहलोत, पं  जगदीश गर्ग, पं शिवनारायण शर्मा, नीलमचंद भावसार, घनश्याम भावसार, राधेश्याम गर्ग, महेश गेहलोद, भगवतीलाल पिलौदिया,प्रवीण देवडा, जगदीश भावसार सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

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