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टीकमगढ़ सीट पर लोकप्रियता की दृष्टि से यादवेन्द्र सिंह भारी नज़र आ रहे

टीकमगढ़ से पुष्पेंद्र सिंह
टीकमगढ़ ९ अक्टूबर  ‘अभी तक ‘आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र  जिले की टीकमगढ़ सीट को लेकर कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा भले,एक ग्रुप के तौर पर आपस में ही तय करके, पार्टी से मांग की जा रही है कि हम लोगों में से किसी को भी टिकिट दिया गया तो हम सब मिल कर काम करेंगे, लेकिन टिकिट की दावेदारी कर रहे उन नेताओं पर क्षेत्र में लोकप्रियता की दृष्टि से यादवेन्द्र सिंह भारी नज़र आ रहे हैं!
                           पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता यादवेन्द्र भले पिछले दो चुनावों में पराजित रहे लेकिन  टीकमगढ़ विधानसभा क्षेत्र में उन्हें आम जनता अब भी पसंद करती है! इस चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी  लगातार दो चुनाव हार चुके नेताओं को टिकिट न  देकर,  नये चेहरों पर दाँव लगा सकती है लेकिन यह दाँव उसके लिए टीकमगढ़ की तरह अन्य सीटों पर भी उल्टा पड़ सकता है!इस चुनाव में कांग्रेस के लिए जरूरी है अधिक से अधिक सीटें जीतना, और टीकमगढ़ सीट के लिए यादवेन्द्र सिंह ऐसे उम्मीदवार साबित हो सकते हैं जो कांग्रेस की नैया पार लगा सकते हैं!
                                 कांग्रेस के अन्य दूसरे नेता,   दो चुनाव हार चुके, और जातिगत समीकरण की आड़ में, अपनी अपनी दावेदारी कर रहे हैं इनमें  पूर्व विधायक अजय यादव सबसे आगे हैं अजय 2008  में उमा भारती की पार्टी जनशक्ति से जिले की खरगापुर सीट से चुनाव लड़े थे और जीते थे जबकि यादवेन्द्र सिंह ने उस चुनाव में  टीकमगढ़ सीट से उमा भारती को पराजित किया था, सिंह का यह परम्परागत क्षेत्र है और इस विधानसभा सीट से वह चार वार निर्वाचित हुए हैं मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव वर्ष 1998 में कांग्रेस ने, प्रमिला जैन को टिकिट को टिकिट दिया लेकिन वे चुनाव में बुरी तरह पराजित हुईं! वर्ष 2003के चुनाव में कांग्रेस ने फिर उन्हें अनदेखा किया और चुनाव नतीजों में कांग्रेस तीसरे नंबर पर आयी! उस चुनाव में यादवेन्द्र ने सपा से चुनाव लड़ा और वे बीजेपी के अखंड यादव से मामूली मतों से हार गए थे !
                                    फिलहाल कांग्रेस के सामने चुनौती चुनाव में ज्यादा सीटें जीतकर, राज्य में सरकार बनाने की है इसलिए कांग्रेस संभवतः ऐसा कोई निर्णय नहीं लेगी जिसके नतीजों से उसे अपने निर्णय पर पछताना पड़े!फिलहाल टीकमगढ़ सीट से दावेदारी कर रहे नेताओं में से, अनिल बढ़कुल को छोड़ कर अन्य   किसी ने इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा है! अनिल वर्ष 2008में बसपा पार्टी से चुनाव लड़े थे और उन्हें करीब दस हज़ार मतों से संतुष्ट होना पड़ा था!    हालांकि कि कांग्रेस जिले में किस सीट से किसे अपना प्रत्याशी घोषित करती है यह जल्दी ही सामने आ जाएगा!

 

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