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यूसीसी के लागू होने के पहले ही विरोध शुरू, मुस्लिम बाहुल्य इलाको में लगे पोस्टर, आदिवासी समाजनो ने भी सौपा ज्ञापन
आशुतोष पुरोहित
खरगोन 8 जुलाई ;अभी तक; मध्यप्रदेश के खरगोन में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून लागू होने से पहले ही विरोध के स्वर मुखर होने लगे है। यूसीसी को लेकर खरगोन के मुस्लिम बहुल इलाकों में लोगो द्वारा पोस्टर लगाकर इसका विरोध किया जा रहा है। इस दौरान मुस्लिम बस्तियों में घरों और दुकानों के बाहर बारकोड वाले पोस्टर चिपकाए गए है। जहां लिंक के माध्यम से लोग विरोध दर्ज करा सके। इस कानून को लेकर आदिवासी समाज के साथ अब खरगोन का मुस्लिम समाज भी आपत्ति दर्ज करा रहा है।
इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी लोगों से इस कानून का विरोध करने की अपील की है। विरोध के लिए बाकायदा एक लिंक जारी की गई है। जिस पर वो अपनी बातें रख सकते हैं। इस लिंक के प्रचार- प्रसार के लिए शहर के मियामान सहित अन्य इलाके के कई घरों के बाहर पोस्टर चस्पा किए गए है। इस लिंक में दर्शाया गया है कि लिंक पर क्लिक करना होगा, जहां पर विरोध की लाइनें पहले से ही मौजूद हैं। बस अपनी मेल आईडी से उसे लॉ कमीशन को भेजना होगा।
इस मामले को लेकर खरगोन मुस्लिम समाज सदर अलताफ आजाद ने भी अपनी राय रखते हुए इस कानून को राजनीति से प्रेरित बताते हुए केवल वोट बैंक की राजनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि इस कानून से किसी को मूलभूत सुविधा या विशेष लाभ नही मिलेगा। आजाद ने ने कहा कि फिलहाल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जरिये समाज के जागरुक लोग अपना विरोध दर्ज करा रहे है। आवश्यकता पडऩे पर समाज भी खुलकर सामने आयेगा। इस कानून से केवल मुस्लिम समाज नही बल्कि आदिवासी एवं अन्य समाज भी प्रभावित होंगे। इसके जरिए अलग.अलग धर्मों और संस्कृतियों की स्वतंत्रता पर चोट पहुंचाई जा रही है। हमारा देश विविधताओं से भरा हुआ है। सबकी अपनी सामाजिक और धार्मिक मान्यताएं हैं।
इधर यूसीसी कानून के खिलाफ आदिवासी समाज ने भी अपनी आपत्ति जताई है। जयस के संरक्षक राजेन्द्र पंवार और जिला प्रभारी सुभाष पटेल का कहना है की समान नागरिक संहिता आदिवासी समाज के खिलाफ है। सरकार ने इसे लागू किया तो आदिवासी सडक पर ऊतरकर विरोध करेंगे। यूसीसी को लेकर राजनिती हो रही है। आदिवासीयों के जमीन, विवाह,तलाक और उत्तराधिकार से जुडे नियम मुख्यधारा से अलग है।