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आचार्य विद्यासागरजी महाराज के देवलोक गमन पर विनम्र श्रद्धांजलि हार्दिक नमन ;रविन्द्र पाण्डेय

महावीर अग्रवाल 

मन्दसौर १८ फरवरी ;अभी तक;  दिगंबर जैन मुनि परंपरा के आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने 17 फरवरी को देर रात अपना देह त्याग दिया है. छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी जैन तीर्थ में उनका संथारापूर्वक देवलोक गमन हुआ। परमपूज्य आचार्य विद्यासागर महाराज दिगंबर जैन आचार्य अपनी असाधारण विद्वता, गहन आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और तपस्या और अनुशासन के जीवन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए पहचाने जाते थे।
आचार्य विद्यासागर महाराज जैन शास्त्रों और दर्शन के बहुत बडे विद्वान थे संस्कृत, प्राकृत और कई आधुनिक भाषाओं में उनकी विद्वत्ता ने उन्हें कई व्यावहारिक कविताएं और आध्यात्मिक ग्रंथ लिखे।

आचार्य विद्यासागर महाराज अपनी कठोर तप और आध्यात्मिक विकास के प्रति अटूट समर्पण के लिए प्रसिद्ध थे. अहिंसा, आत्म-अनुशासन और समभाव के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें अनगिनत भक्तों और आध्यात्मिक साधकों का गहरा सम्मान और प्रशंसा प्राप्त की थी. ज्ञान और करुणा से ओत-प्रोत उनकी शिक्षाओं ने व्यक्तियों को आध्यात्मिक पूर्णता का जीवन अपनाने के लिए प्रेरित किया था जैन समाज के साथ साथ संपूर्ण सनातन समाज के लिए श्रद्धा के पात्र थे।

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