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कोई भी प्राणी कर्म बंधन से मुक्त नहीं, अच्छा कर्म करो- योग रूचि विजयजी म.सा.
महावीर अग्रवाल
मंदसौर ६ सितम्बर ;अभी तक ; जैन धर्म व दर्शन कर्म बंधन में विश्वास रखता है अर्थात जो भी प्राणी जैसा कर्म करेगा उसे वैसा ही फल मिलेगा। कोई भी मनुष्य कर्म बंधन से मुक्त नहीं है। यहां तक की तीर्थंकर भगवानों को भी अपने कर्म बंधन के कारण कठोर उपसर्ग (दुख) सहन करना पड़ा। इसलिये जीवन में शुभ व अच्छे कर्म करो।
उक्त उद्गार प.पू. जैन संत श्री योगरूचि विजयजी म.सा. ने नईआबादी स्थित आराधना भवन मंदिर के हाल में आयोजित धर्मसभा में कहे।
उक्त उद्गार प.पू. जैन संत श्री योगरूचि विजयजी म.सा. ने नईआबादी स्थित आराधना भवन मंदिर के हाल में आयोजित धर्मसभा में कहे।
आपने शुक्रवार कोे यहां धर्मसभा में कहा कि भगवान आदिनाथ से लेकर प्रभु महावीर तक सभी तीर्थंकरों को भी कर्म बंधन के कारण उपसर्ग (दुख) सहन करना पड़ा था। आदिनाथ प्रभु ने दीक्षा ली और वे जब आहार के लिये निकले तो उन्हें निर्दोष गोचरी नहीं मिली लोग उन्हें धन सम्पत्ति गोचरी में देने को तैयार थे लेकिन आहार नहीं दिया। भगवान आदिनाथ ने पूर्व भव में बैल के मूंह पर कपड़ा बांध दिया था। जिसके कारण बैल को भूखे रहना पड़ा उसी पापकर्म के उदय में आने के कारण आदिनाथजी को 400 दिवस तक निर्दोष गोचरी (भोजन) नहीं मिला और उन्हें बिना आहार के ही रहना पड़ा। कोई भी मनुष्य इस कर्म बंधन से मुक्त नहीं हैंे प्रभु महावीर को भी पूर्व भव में किये गये कर्म के कारण अपनी दिक्षा के बाद केवल ज्ञान प्राप्त होने तक साढ़े बारह वर्ष तक की अवधि में कई कठोर दुख सहन करने पड़े। इसका कारण भी कर्म बंधन ही था। इसलिये जीवन में सदैव अच्छे कार्य करे। दान पुण्य करो, राग द्वेष से बचो, लोभ क्रोध का त्याग करो तथा ऐसा कोई कार्य मत करो जो पापकर्म का बंधन करता हो।
75 श्रावक श्राविकाये कर रहे है अठायी (आठ) तप- श्री योगरूचि विजयजी म.सा. की पावन प्रेरणा से आराधना भवन श्रीसंघ से जुड़े कई परिवारों में तप तपस्याये चल रही है। लगभग 75 श्रावक श्राविकायें पयुर्षण पर्व के प्रथम दिवस से उपवास कर रहे है। शुक्रवार तक उनके सात उपवास की तपस्या पूर्ण हो चुकी है। संवत्सरी के उपवास के बाद इन सभी 75 श्रावक श्राविकाओं की अठायी (आठ) उपवास की तपस्या पूर्ण हो जायेगी। इन सभी तपस्वियों का सामूहिक पारणा 8 सितम्बर को प्रातः 7.30 बजे बाद फतेहपुरिया अग्रवाल धर्मशाला मे ंहोगा। पारणे का धर्मलाभ लाभार्थी परिवारों के सौजन्य से जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंध ने लिया है। श्रीसंघ अध्यक्ष प्रमेन्द्र चौरड़िया ने सामूहिक पारणे का धर्मलाभ लेने का आग्रह किया है।
75 श्रावक श्राविकाये कर रहे है अठायी (आठ) तप- श्री योगरूचि विजयजी म.सा. की पावन प्रेरणा से आराधना भवन श्रीसंघ से जुड़े कई परिवारों में तप तपस्याये चल रही है। लगभग 75 श्रावक श्राविकायें पयुर्षण पर्व के प्रथम दिवस से उपवास कर रहे है। शुक्रवार तक उनके सात उपवास की तपस्या पूर्ण हो चुकी है। संवत्सरी के उपवास के बाद इन सभी 75 श्रावक श्राविकाओं की अठायी (आठ) उपवास की तपस्या पूर्ण हो जायेगी। इन सभी तपस्वियों का सामूहिक पारणा 8 सितम्बर को प्रातः 7.30 बजे बाद फतेहपुरिया अग्रवाल धर्मशाला मे ंहोगा। पारणे का धर्मलाभ लाभार्थी परिवारों के सौजन्य से जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंध ने लिया है। श्रीसंघ अध्यक्ष प्रमेन्द्र चौरड़िया ने सामूहिक पारणे का धर्मलाभ लेने का आग्रह किया है।