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भारत में होने जा रही अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की छठी सभा, 380 बिलियन डॉलर के निवेश की उम्मीद

अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की छठी सभा 30 अक्टूबर से 2 नवंबर तक नई दिल्ली में आयोजित की जा रही है। सभा की अध्यक्षता आईएसए अध्यक्ष और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह करेंगे। इससे पहले आईएसए अध्यक्ष के रूप में केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने छठी सभा में भाग लेने वाले देशों के दूतावास के अधिकारियों के साथ बातचीत की।

छठी सभा में भाग लेने वाले अधिकारियों के साथ की बात

आईएसए अध्यक्ष के रूप में केंद्रीय मंत्री सिंह ने छठी सभा में भाग लेने वाले देशों के दूतावास के अधिकारियों के साथ बातचीत की। नई दिल्ली में बुधवार को एक संक्षिप्त संवाददाता सम्मेलन में सिंह ने कहा कि सौर ऊर्जा पर अपना ध्यान केंद्रित करने के कारण ऊर्जा परिवर्तन में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका है। केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि हमारा अनुभव बताता है कि नवीकरणीय स्रोतों में सौर ऊर्जा सबसे आगे है।

किन मुद्दों पर होगा विचार-विमर्श  ?

आईएसए की इस सभा में ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा परिवर्तन को प्रभावित करने वाली पहलों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इसमें मिनी ग्रिड के माध्यम से ऊर्जा पहुंच का सार्वभौमिकरण, त्वरित सौर परिनियोजन के लिए वित्त जुटाना और सौर ऊर्जा के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं और विनिर्माण में विविधता लाने जैसे विषयों पर विशेष फोकस रहेगा।

116 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों के प्रतिनिधि लेंगे भाग

आईएसए के 116 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों के मंत्री, मिशन और प्रतिनिधि, संभावित देशों, भागीदार संगठनों, निजी क्षेत्र और अन्य हितधारक अपने प्रतिनिधियों के साथ इसमें भाग लेंगे। फिलहाल, आईएसए की छठी सभा में भाग लेने के लिए 168 देश पहले ही पंजीकृत हो चुके हैं।

आईएसए को कॉप-21 के बाद भारत और फ्रांस द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था लॉन्च 

अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) को पेरिस में COP-21 के बाद भारत और फ्रांस द्वारा संयुक्त रूप से लॉन्च किया गया था।

इस वर्ष सौर ऊर्जा में 380 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश होने की उम्मीद

गौरतलब हो,  विश्व सौर निवेश रिपोर्ट 2023 वैश्विक सौर निवेश में 2022 में वृद्धि पर प्रकाश डालती है, 300 बिलियन डॉलर से ज्यादा (2021 की तुलना में 36% ज्यादा)। एशिया प्रशांत, यूरोप और उत्तरी अमेरिका ने चीन, जर्मनी और अमेरिका के साथ शीर्ष निवेश स्थलों के रूप में नेतृत्व किया। एक मजबूत सौर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए, रिपोर्ट का मानना है कि हमें ग्रिड अवसंरचना और भंडारण में निवेश करना चाहिए, आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लानी चाहिए और समावेशी ऊर्जा परिवर्तन के लिए उभरते बाजारों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

क्या है आईएसए सभा ?

आईएसए सभा, आईएसए के लिए निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है, जिसमें प्रत्येक सदस्य देश का प्रतिनिधित्व होता है। यह निकाय आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते के कार्यान्वयन और इसके उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए समन्वित कार्रवाई से संबंधित निर्णय लेता है। आईएसए की सीट पर मंत्री स्तर पर प्रत्येक वर्ष सभा की बैठक होती है। यह सौर ऊर्जा की तैनाती, निष्पादन, विश्वसनीयता, लागत और वित्त के संदर्भ में कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों के समग्र प्रभाव का आकलन करता है।

109 देश आईएसए फ्रेमवर्क समझौते के हस्ताक्षरकर्ता हैं, जिनमें से 90 देशों ने आईएसए के पूर्ण सदस्य बनने हेतु सत्यापन के लिए के आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं। भारत के पास आईएसए सभा के अध्यक्ष का पद है, जिसमें फ्रांसीसी गणराज्य की सरकार सह-अध्यक्ष है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन 

उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन 109 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। यह पूरी दुनिया में ऊर्जा की पहुंच और सुरक्षा में सुधार के लिए सरकारों के साथ काम करता है और पर्यावरण अनुकूल भविष्य में पहुंचने के एक स्थायी तरीके के रूप में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देता है। आईएसए के मिशन 2030 में सौर ऊर्जा में एक लाख करोड़ डॉलर का निवेश करना है, जबकि प्रौद्योगिकी और इसके वित्तपोषण की लागत कम करना है। यह कृषि, स्वास्थ्य, परिवहन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है। आईएसए के सदस्य देश नीतियों और नियमों को लागू करके, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करके, साझा मानकों पर सहमत होकर और निवेश जुटाकर बदलाव ला रहे हैं।

इस कार्य के माध्यम से, आईएसए ने सौर परियोजनाओं के लिए नए व्यापार मॉडल की पहचान, डिजाइन और परीक्षण किया है, कारोबार में सुगमता लाने वाली सोलर एनालिटिक्स और सलाह के माध्यम से सरकारों को अपने ऊर्जा कानून और नीतियों को सौर-अनुकूल बनाने के लिए समर्थन दिया है, विभिन्न देशों से सौर प्रौद्योगिकी की मांग को एक साथ लाया है, जिससे लागत में कमी हुई है, जोखिमों को कम करके वित्त तक आसान पहुंच बनाकर क्षेत्र को निजी निवेश के लिए और आकर्षक बनाया है और सौर इंजीनियरों और ऊर्जा नीति निर्माताओं के लिए सौर प्रशिक्षण, आंकड़े और समझ तक पहुंच में बढ़ोतरी की है।

आईएसए का गठन 2015 में पेरिस में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के पार्टियों के 21वें सम्मेलन (COP-21) में किया गया था। इसकी बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी), विकास वित्तीय संस्थानों (डीएफआई), निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, नागरिक समाज और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी है जिससे सौर ऊर्जा के माध्यम से विशेष रूप से कम विकसित देशों में ( एलडीसी) और लघु द्वीप विकासशील क्षेत्रों (एसआईडीएस) में लागत प्रभावी और परिवर्तनकारी ऊर्जा समाधान प्रदान किया जा सके।

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