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    अनुदान राशि जारी करने के लिए रिश्वत लेने वाले प्रभारी सहायक संचालक, मत्सयोद्योग को 04 वर्ष सश्रम कारावास सुनाकर जेल भेजा

    अरुण त्रिपाठी
     रतलाम,27 फरवरी ;अभीतक ;   भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश आदित्य रावत ने गुरुवार को पारित निर्णय में आरोपी बहादुर सिंह डामर, प्रभारी सहायक संचालक, मत्स्योद्योग जिला रतलाम को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 में दोषी पाया | उसे 04 वर्ष के सश्रम कारावास तथ़ा 2000/- रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित कर जेल भेज दिया गया है।
     विशेष लोक अभियोजक कृष्णकांत चोहान ने बताया कि 18 दिसम्बर 2020 को आवेदक शौभाराम धाकड़ ने लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन में उपस्थित होकर शिकायत आवेदन पत्र दिया था | इसमें बताया था कि वह इंदिरा स्वयं सहायता समूह मछली पालन सहकारी संस्था मर्यादित पिपलौदी जिला रतलाम का अध्यक्ष है ।उक्त सहकारी संस्था का रूपनियाखाल जलाशय में पट्टा अनुबंध है, जो स्वयं सहायता समूह मत्स्य पालन ग्राम पिपलौदा तहसील जावरा जिला रतलाम एवं बहादुर सिंह डामर, प्रभारी सहायक संचालक, मत्स्योद्योग जिला रतलाम के मध्य 10 वर्ष की अवधि के लिए किया गया है। उक्त पट्टा अनुबंध अनुसार उसकी संस्था को अनुदान राशि प्राप्त होना थी और उक्त अनुदान राशि जारी करने के लिए प्रभारी सहायक संचालक मत्स्योद्योग, बहादुर सिंह डामर ने 25,000/- रूपए की मांग की जा रही है । इस आवेदन की जाँच में रिश्वत की मांग प्रमाणित पाए जाने पर लोकायुक्त दल ने 22 दिसंबर 2020 को सहायक संचालक, मत्स्योद्योग जिला रतलाम के कार्यालय से आरोपी बहादुर सिंह डामर को आवेदक शौभााराम धाकड से रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था |

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