( महावीर अग्रवाल )
मंदसौर २३ फरवरी ;अभी तक ; जहा बढ़ती आबादी से यातायात की समस्या जटिल न बने इसका खासकर ध्यान रखा जाना चाहिए। आबादी तेजी से बढ़ रही है। शहर के यातायात को नियंत्रित करने के लिए कभी चार थे। आज लगभग चालीस है। चार से नियंत्रित था लेकिन चालीस से कैसे और क्यों नियंत्रित नहीं है। कौन जिम्मेदार है और कब तक यह दृश्य बना रहेगा प्रशासन को स्पष्ट करना चाहिए। नगर में यातायात पुलिस के दर्शन नहीं लेकिन फोरलेन पर मेडिकल कालेज के यहां कभी कभी जरूर हो जाते हैं। आखिर यातायात पुलिस का लवाजमा फोरलेन हेतु शासन ने नियुक्त कर रखा हे क्या। जबकि नगर की यातायात व्यवस्था कई अवसरों पर छिन्न भिन्न सा दृश्य दे रही हे। नगर के बीच कई चौराहों से वाहनों का निकलना किस प्रकार हो रहा है यह देखने लायक दृश्य प्रतिदिन हो रहा है।
मंदसौर जिला मुख्यालय का बढ़ती आबादी का शहर होकर अनियंत्रित यातायात का एक उदाहरण है जिसे सुगम कौन बनाएगा। अब तक वाहनों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई हे। नगर के कई मोहल्लों में भी वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण यातायात का दबाव बढ़ा हे। कभी कभी वहां भी थोड़ी देर के लिए जाम के दृश्य देखने को मिल जाते हे लेकिन संबंधित के माथे पर कभी सल तक नहीं पड़ा । कभी तो ऐसा लगता है कि जाम खुलवाओ इनाम पाओ कह दिया जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी लेकिन देखने में आया हे कि वाहन चालक थोड़ा धैर्य रख कर खुद जाम को खुलवाने में मददगार हो जाते हे। यह दृश्य चल रहा है इन दिनों।
मंदसौर में कभी यातायात पुलिसकर्मियों को लोग जानते थे वही नगर के यतायात को सुगमता से संचालित कर रहे थे लेकिन इन दोनों बड़ा महकमा होने के बावजूद यातायात नियंत्रित नहीं है। आखिर क्या हो गया है कि यातायात कर्मी होने के बावजूद यातायात नियंत्रित दिखता था लेकिन अभी देखा तो यातायात नियंत्रण के लिए लोग उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं आखिर क्या हो गया है यातायात महकमें को।
अभी वर्तमान में यातायात पुलिस में एक टीआई,एक सूबेदार,एक सब इंस्पेक्टर,8 ए एस आई,10 हेड कांस्टेबल,13 कांस्टेबल और 2 महिला कर्मी हे लेकिन कमी इसी बनी हुई हे कि मानो महकमे पर्याप्त कर्मी नहीं होने से नगर को जगह जगह जाम से मुक्ति नहीं मिल रही हे। नगर में सदर बाजार,घंटाघर, कोतवाली के सामने,बालाजी मंदिर के यहां ,दया मंदिर रोड,,नई आबादी के लगभग 8 से अधिक चौराहे, यातायात पुलिस चौकी पेट्रोल पम्प चौराहे,महाराणा प्रताप चौराहा सभी दूर तो सुबह से शाम तक यातायात की जटिल समस्या से वाहन चालकों को सामना करना पड़ रहा हे। वाहन चालक स्वयं थोड़ी देर इंतजार कर किस परेशानी से गंतव्य के लिए रास्ता निकाल कर चल देते हे लेकिन इसमें यातायात पुलिस की कोई भूमिका नहीं होती है।
यहां तक कि यातायात पुलिस चौकी पेट्रोल पंप चौराहे पर है और कई बार यहां ट्रैफिक जाम का दृश्य होता है पर पुलिस कर्मी कभी उससे बाहर आते नहीं दिखते है। वही वाहन चालक थोड़ा इंतजार कर स्वयं रास्ता निकाल कर आगे के लिए जा रहे हे। नगर में कभी प्रशासन के साथ पशु हाट बाजार वो सम्राट रोड पर खाल में वाहन पार्किंग के लिए जगह देखी गई थी लेकिन प्रशासन में परिवर्तन के साथ योजना भी वही रह गई।अब नई जगह पार्किंग के लिए ढूंढना और उसे पार्किंग बनाना अभी टेढ़ी खीर बना हुआ हे। पार्किंग के अभाव में नगर में त्योहारों के अवसर पर तो कई बार गांधी चौराहे से ही सदर बाजार में जाने के लिए फोर व्हीलर को रोक दिया जाता हे।
आखिर क्या हो गया हे यातायात पुलिस विभाग को जो नगर की यातायात व्यवस्था से नदारद दिखता हे लेकिन कई बार यह आमला फोरलेन पर वाहनों को रोक कर चेकिंग करता दिखता हे। वहां इस अमले के होते हुए कभी कभी भारी वाहन नगर में प्रवेश कर यातायात व्यवस्था जटिल कर देते हे। नई आबादी के सभी चौराहों पर भारी यातायात दबाव रहता है। क्रासिंग आसान नहीं रहता है। बड़ी मशक्कत के बाद वाहन चालक वहां को गंतव्य के लिए जोखिम होते हुए निकाल रहे हे।
प्रति वर्ष जनवरी माह में यातायात सप्ताह या माह मनाया जाता रहा है लेकिन इस वर्ष तो इसकी आवश्यकता ही नहीं समझी गई होगी क्योंकि मशक्कत कर वाहन चालक निकल तो रहे हे। न यहां ट्रैफिक सिग्नल की जरूरत महसूस हो रही हे और नहीं ट्रैफिक पुलिस की । अब जब यातायात माह या सप्ताह मनाने की जरूरत ही नहीं समझी गई तो वाहन चालक जो दाएं बाए मुड़ना कब कैसे लेकिन इसकी समझाइश की जरूरत ही नहीं समझी गई। तेज वाहन चलाना या दो से अधिक सवारी दो पहिया वाहन पर बिठाने पर कौन इन्हें रोक कर समझिश देगा। जब यातायात का अमला ही नदारद दिखेगा तो नियम कौन समझाएगा। हा पर इन दिनों यह सही हे कि वाहन चालक जाम व यातायात की जटिल समस्या के दौर से गुजर रहे हे। हर चौराहा समस्या से रोज रूबरू हो रहा हे । अब पुलिस प्रशासन कब तक जागरूक बन इसे सुगम बनाएगा इंतजार उस दिन का रहेगा