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    इस वर्ष समर्थन मूल्य पर 55 लाख क्विंटल धान खरीदी गई तथा लगभग 114 करोड रुपये का भुगतान किसानों को किया

    आनंद ताम्रकार

    बालाघाट १८ मार्च ;अभी तक ;  जिले में इस वर्ष समर्थन मूल्य पर 55 लाख क्विंटल धान खरीदी गई तथा लगभग 114 करोड रुपये का भुगतान किसानों को किया गया। खरीदी का कार्य नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा 185 केन्द्रों के माध्यम से किया गया जहां लगभग 11 हजार किसानों ने धान की पैदावार की बिक्री की। समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान का परिवहन कर सीधे राईस मिलर्स को कस्टम मिलिंग के लिए प्रदाय किया गया वहीं ओपन कैप में भंडारण भी किया।

    प्रदेश के विभिन्न जिलों में धान के भंडारण में हेराफेरी करने तथा अन्य अनियमितताओं को लेकर की गई शिकायत के आधार पर ईओडब्ल्यू की टीम ने बालाघाट में भी धान खरीदी केन्द्रों में जाकर जांच की दस्तावेजों की छानबीन के बाद 120 केन्द्रों में 30 हजार क्विंटल से भी अधिक सारटेज होने का दावा किया गया है।

    जांच टीमों ने जिले के ओपन केपों की छानबीन की गई तो वारासिवनी खापा के 2 ओपन केप जहां सर्वाधिक मात्रा में धान भण्डारित किये जाने की क्षमता है वहां 80 ट्रकों में परिवहन के दौरान सारटेज किया जाने का सुराग लगा है। कमोवेश जिलें में स्थित धान के सभी ओपन केप में धान की मात्रा में सारटेज होने के आशंका व्यक्त की जा रही है जहां ईओडब्ल्यू की टीम दबिश देगी।

    जांच के दौरान ईओडब्ल्यू की टीम को जो दस्तावेज हाथ लगे है उसके आधार पर जिले की अनेक राईस मिलों में सारटेज बताई गई धान के पहुंचने की जानकारी मिलने पर कटंगी की 3 राइस मिले जांच में शामिल की गई है ईओडब्ल्यू की टीम अब जांच का दायरा बढ़ाकर उन राईस मिलों की छानबीन करने वाली है जिन मिलों के नाम पर नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा कस्टम मिलिंग के नाम पर अनुबंध किया गया है और उन्हें इस वर्ष खरीदी गई धान प्रदाय कि गई है जिसके एवज में चावल बनाकर निगम को प्रदाय करना है लेकिन अनुबंध करने वाले राईस मिलर्स ने प्रदाय की गई धान को उष्णा मिलों को बेच दी और उसके एवज में अन्य प्रदेशों से राशन में विक्रय किये जाने वाला चावल लाकर प्रदाय कर दिया। अकेले बालाघाट जिले में लगभग 114 राईस मिलर्स ने कस्टम मिलिंग के लिये आपूर्ति निगम से अनुबंध किया है। ज्यादातार मिलर्स ने अनुबंध पत्र में उल्लेखित नियमों और शर्तों का उल्लघंन करते हुये अमानक चावल की मात्रा प्रदाय कर दी प्रशासन ने भी अनुबंध पत्र की शर्तों का परिपालन सुनिश्चित करने के लिये कोई कदम नही उठाये नतीजतन राईस मिलर्स ने ना मिल चली ना बिजली जली और चावल प्रदाय कर दिया जिसका सिलसिला अभी बदस्तुर जारी है ऐसी कवायद सिर्फ बालाघाट जिले में नही सिवनी छिंदवाड़ा,मण्डला,डिडौरी,बैतुल जिलो में की जा रही है।

    अगर कस्टम मिंलिग की प्रक्रिया जो चल रहा है उसकी गंभीरता से जांच की जाये तो प्रदेश व्यापी एक बहुत बढे घोटाले का पर्दाफश होगा और आरटीओ काण्ड के समकक्ष घोटाला साबित होगा।

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