महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २३ मार्च ;अभी तक ; ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी ) ने 12-03-2025 एसओ 1159(ई) के तहत ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (डीटीएबी ) के पुनर्गठन पर गहरी निराशा व्यक्त की है, जिसमें कि एआईओसीडी संगठन को प्रतिनिधित्व से बाहर रखा गया है।
एआईओसीडी के अध्यक्ष जे एस शिंदे और महासचिव राजीव सिंघल ने बताया कि, पूरे भारत में 12.40 लाख केमिस्ट और ड्रगिस्ट का प्रतिनिधित्व करता है, देश में दवाओं के सुचारू वितरण और पहुंच को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संगठन ने लगातार महत्वपूर्ण दवा व्यापार से संबंधित मुद्दों पर सरकार को इस संबंध में मूल्यवान सुझाव और, सिफारिशें और नीतिगत सुझाव भी दिए हैं क्योंकि यह देश के दवा विक्रेताओं ( हितधारकों ) का एकमात्र संगठन है।
मंदसौर जिला केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष चौधरी व सचिव पंकज सुराणा ने बताया कि देश की दवा आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख हितधारक होने के बावजूद, एआईओसीडी का डीटीएबी की समिति से बाहर होना एक गंभीर चिंता का विषय है। हमारे प्रतिनिधित्व की कमी का मतलब है कि खुदरा और थोक फार्मासिस्टों की जो कि अंतिम छोर तक दवा वितरण की रीढ़ हैं, को नीति निर्माण समिति में न रखकर बाहर रखा जा रहा है।
एआईओसीडी ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने और डीटीएबी में एआईओसीडी उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का आग्रह किया।पारदर्शिता बनाए रखने, लाखों केमिस्टों के हितों की रक्षा करने और भारत के फार्मास्युटिकल वितरण नेटवर्क को मजबूत करने के लिए यह संगठन का समावेश आवश्यक है।
एआईओसीडी संगठन को उम्मीद है कि सरकार जल्द से जल्द इस चिंता का समाधान करेगी, यह सुनिश्चित करते हुए कि इस क्षेत्र को नियंत्रित करने वाली नीतियां व्यापक हितधारकों की पूर्ण भागीदारी के साथ बनाई जाए।
एआईओसीडी के अध्यक्ष जे एस शिंदे और महासचिव राजीव सिंघल ने बताया कि, पूरे भारत में 12.40 लाख केमिस्ट और ड्रगिस्ट का प्रतिनिधित्व करता है, देश में दवाओं के सुचारू वितरण और पहुंच को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संगठन ने लगातार महत्वपूर्ण दवा व्यापार से संबंधित मुद्दों पर सरकार को इस संबंध में मूल्यवान सुझाव और, सिफारिशें और नीतिगत सुझाव भी दिए हैं क्योंकि यह देश के दवा विक्रेताओं ( हितधारकों ) का एकमात्र संगठन है।
मंदसौर जिला केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष चौधरी व सचिव पंकज सुराणा ने बताया कि देश की दवा आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख हितधारक होने के बावजूद, एआईओसीडी का डीटीएबी की समिति से बाहर होना एक गंभीर चिंता का विषय है। हमारे प्रतिनिधित्व की कमी का मतलब है कि खुदरा और थोक फार्मासिस्टों की जो कि अंतिम छोर तक दवा वितरण की रीढ़ हैं, को नीति निर्माण समिति में न रखकर बाहर रखा जा रहा है।
एआईओसीडी ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने और डीटीएबी में एआईओसीडी उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का आग्रह किया।पारदर्शिता बनाए रखने, लाखों केमिस्टों के हितों की रक्षा करने और भारत के फार्मास्युटिकल वितरण नेटवर्क को मजबूत करने के लिए यह संगठन का समावेश आवश्यक है।
एआईओसीडी संगठन को उम्मीद है कि सरकार जल्द से जल्द इस चिंता का समाधान करेगी, यह सुनिश्चित करते हुए कि इस क्षेत्र को नियंत्रित करने वाली नीतियां व्यापक हितधारकों की पूर्ण भागीदारी के साथ बनाई जाए।