रवीन्द्र व्यास
छतरपुर २१ मार्च ;अभी तक ; शासकीय महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की कुलगुरू शुभ्रा तिवारी का माता सीता और प्रभु श्री राम को लेकर ओरछा में दिया गया बयान जम कर वायरल हो रहा है | इस बयान के बाद आज छतरपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं ने विश्व विद्यालय में जम कर हंगामा किया | हंगाम तब शांत हुआ जब कुलगुरु ने अपने शब्द वापस लिए और माफ़ी मांगी | इस मामले को लेकर अब एन एस यू आई भी मैदान में आ गई है |
बुंदेलखंड विकाश निधि के संचालक विकाश चतुर्वेदी ने बताया कि उनका ओरछा में दिया गया वक्तत्व नितांत गैर जरुरी था , ओरछा जैसे नगर में जहाँ भगवा राम की राजा के रूप में पूजा होती है ,और वो हमारे आराध्य हैं वो एक सामान्य चरित्र नहीं हैं | जिस तरह से उन्होंने राम को सामन्य लड़का और सीता माता को सामान्य लड़की सिद्ध किया है | उनकी आपत्ति इस बात को लेकर भी है कि तुलसीदास ने बगैर किसी कारण प्रभु राम को भगवान् बना दिया , तुलसीदास ने उनको भगवान इसलिए नहीं माना कि उनकी इक्षा थी ,बल्कि उनके पास ऐसे अनुभव थे , ऐसे प्रमाण उनके पास थे कि ऐसे चरित्र उनके पास थे जो जान सामान्य के पास नहीं थे |, इसलिए उन्होंने प्रस्तुत किया | और वे स्वयं जिस महर्षि वाल्मीकि का का वे उदाहरण दे रही थी , उन्होंने स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में भगवान् श्री राम का उल्लेख किया है , आदर्श पिता कहा ,आदर्श प्रजा पालक , और आदर्श वीर कहा है उनको सरे गुणों से युक्त कहा है उनको |
उनके कई सारे बिंदु हैं जैसे उन्होंने कहा कैकई और मंथरा ने राम के राजयभिषेक का जो विरोध किया वह पवार स्ट्रगल था | यदि वह स्ट्रगल होता तो भारत जी उनके पक्ष में होते , भारत जी ने तो माँ को ही त्याग दिया दिया था | सूर्पनखा पर उन्होंने कहा की उसे अधिकार था अपना फीमीनिसम व्यक्त करने का , माँ सीता फेमिनिस्म का उदहारण दे दिया की वह वुमन ऑफर चॉइस था , सीता का लव अफेयर था , ये क्या सिद्ध कर रहे हैं आप , आपमें और विदेश विचारकों में कोई अंतर नहीं रह गया | विदेशी विचारक जिसे राम और सीता के बारे में नहीं पता वो अगर इस तरह के विचार व्यक्त करता है तो समझ में आता है | आप नितांत भारतीय हैं ये गलत है इससे करोड़ों भारतीयों की जन भावना को ठेस पहुंची है |
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की की स्वेक्षा पाठक ने कहा की महराजा छत्रसाल विश्व विद्यालय की कुल गुरु ने ओरछा में नारीवाद को प्रस्तुत करते हुए माँ सीता का उदाहरण बहुत गलत तरीके से दिया | छद्म नारीवाद की भारत में जरुरत भी नहीं थी , उसको आगे करते हुए उन्होंने माँ सीता को लेकर जो टिपण्णी की है उससे संम्पूर्ण हिन्दू समाज की भावना आहात हुई हैं | इस मामले को लेकर आज कुगुरु के समक्ष प्रदर्श किया उन्होंने अपने शब्द वापस लिए |
कुलगुरु शुभ्रा तिवारी ने अपने स्पष्टीकरण में कहा उनके बयान को तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत किया गया है , मेरी ऐसी कोई भावना नहीं थी | अगर किसी को खराब लगा हो तो में शब्दों को वापस लेती हूँ |