महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १३ मार्च ;अभी तक ; कृषि विज्ञान केंद्र मंदसौर द्वारा तिलहन फसलों पर प्रशिक्षण का आयोजन खोखरा गांव में किया गया। इस प्रशिक्षण में मुख्य अतिथि के रूप में कृषक महिलाओं को तकनीकी मार्गदर्शन देते हुए अधिष्ठाता, उद्यानिकी महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ. आई. एस. तोमर ने कहा कि देश में खाद्य तेल की कमी हो रही है इस की प्रतिपूर्ति करने के लिए उन्नत बीजों का चयन कर संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग सही समय पर करना चाहिए। कृषक महिलाओं को व्यवसाय प्रारम्भ करना चाहिए ताकि अधिक आमदनी प्राप्त हो सके।
डॉ. रोशन गलानी, सहायक प्राध्यापक, मृदा विज्ञान ने मिट्टी में पोषण एवं जैविक कार्बन पर तकनीकी मार्गदर्शन देते हुए कहा कि फसलों की आवश्यकतानुसार मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों को संतुलित मात्रा में देना चाहिए। इसके लिए मिट्टी परीक्षण करवाना चाहिए। उन्होंने मिट्टी के आदर्श नमूना लेने के लिए विधि बताई।
गांव के सरपंच श्रीमान कृष्णपाल सिंह शक्तावत ने अपील कि की कृषक महिलाओं का कृषि में महत्वपूर्ण योगदान रहता है इसलिए वे सतत प्रशिक्षण प्राप्त करते रहे ताकि समय-समय पर नए-नए अनुसंधानों की जानकारी प्राप्त होती रहे।
जनपद सदस्य श्री मानसिंह शक्तावत ने कृषक महिलाओं से अनुरोध किया कि फसलों में विशेष कर यूरिया का इस्तेमाल धीरे-धीरे कम करें एवं यूरिया तथा डीएपी के स्थान पर मिश्रित उर्वरक जैसे 12ः32ः16 का उपयोग बढ़ाएं।
कृषि विज्ञान केंद्र, मंदसौर के प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जी. एस. चुंडावत ने उन्नत बीजों के आदान-प्रदान पर जोर देते हुए कहा कि बीज उन्नत खेती का एक मुख्य अंग है, अतः जिन किसान भाइयों के पास उन्नत बीज हो वह अन्य किसान भाइयों से संपर्क कर प्रदान करने का कष्ट करें ताकि बीज प्रतिस्थापन दर बढ़ सके। डॉ. चुंडावत ने हरी खाद के रूप में उपयोग में आने वाली फसलें जैसे ढैचा एवं सनहैम का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए कृषक महिलाओं को प्रेरित किया ताकि कम लागत एवं कम समय में मिट्टी में जैविक कार्बन को बढ़ाया एवं रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम किया जा सके।
केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस. पी. त्रिपाठी, गृह विज्ञान ने तिलहनी फसलों से बनने वाले विभिन्न उत्पादों के बारे में महिलाओं को जानकारी देते हुए कहा कि वे इसे आय सृजन करें ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में और अधिक सुधार हो सके। गांव के उन्नत कृषक श्री दिनेश पाटीदार ने कहा कि सभी महिलाएं कृषि में हो रहे नवाचारों को अपनाना चाहिए। कार्यक्रम में श्री बद्रीलाल सॉलिडरिडाड का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 76 कृषक महिलाओं एवं 24 कृषकों ने भाग लिया।
डॉ. रोशन गलानी, सहायक प्राध्यापक, मृदा विज्ञान ने मिट्टी में पोषण एवं जैविक कार्बन पर तकनीकी मार्गदर्शन देते हुए कहा कि फसलों की आवश्यकतानुसार मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों को संतुलित मात्रा में देना चाहिए। इसके लिए मिट्टी परीक्षण करवाना चाहिए। उन्होंने मिट्टी के आदर्श नमूना लेने के लिए विधि बताई।
गांव के सरपंच श्रीमान कृष्णपाल सिंह शक्तावत ने अपील कि की कृषक महिलाओं का कृषि में महत्वपूर्ण योगदान रहता है इसलिए वे सतत प्रशिक्षण प्राप्त करते रहे ताकि समय-समय पर नए-नए अनुसंधानों की जानकारी प्राप्त होती रहे।
जनपद सदस्य श्री मानसिंह शक्तावत ने कृषक महिलाओं से अनुरोध किया कि फसलों में विशेष कर यूरिया का इस्तेमाल धीरे-धीरे कम करें एवं यूरिया तथा डीएपी के स्थान पर मिश्रित उर्वरक जैसे 12ः32ः16 का उपयोग बढ़ाएं।
कृषि विज्ञान केंद्र, मंदसौर के प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जी. एस. चुंडावत ने उन्नत बीजों के आदान-प्रदान पर जोर देते हुए कहा कि बीज उन्नत खेती का एक मुख्य अंग है, अतः जिन किसान भाइयों के पास उन्नत बीज हो वह अन्य किसान भाइयों से संपर्क कर प्रदान करने का कष्ट करें ताकि बीज प्रतिस्थापन दर बढ़ सके। डॉ. चुंडावत ने हरी खाद के रूप में उपयोग में आने वाली फसलें जैसे ढैचा एवं सनहैम का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए कृषक महिलाओं को प्रेरित किया ताकि कम लागत एवं कम समय में मिट्टी में जैविक कार्बन को बढ़ाया एवं रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम किया जा सके।
केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस. पी. त्रिपाठी, गृह विज्ञान ने तिलहनी फसलों से बनने वाले विभिन्न उत्पादों के बारे में महिलाओं को जानकारी देते हुए कहा कि वे इसे आय सृजन करें ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में और अधिक सुधार हो सके। गांव के उन्नत कृषक श्री दिनेश पाटीदार ने कहा कि सभी महिलाएं कृषि में हो रहे नवाचारों को अपनाना चाहिए। कार्यक्रम में श्री बद्रीलाल सॉलिडरिडाड का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 76 कृषक महिलाओं एवं 24 कृषकों ने भाग लिया।