महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ११ मार्च ;अभी तक ; कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर मंदसौर में ‘बी ए कर्मयोगी’ कार्यक्रम के तहत एक कार्यशाला और मंथन सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें कॉलेज के छात्रों और प्रोफेसरों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य संस्थान के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न चुनौतियों की पहचान करना और उनके समाधान पर विचार करना था।
कार्यशाला का उद्घाटन कॉलेज के डीन, डॉ. आई. एस. तोमर ने किया। डॉ. तोमर ने अपने उद्घाटन भाषण में कार्यक्रम की महत्ता पर जोर दिया और बताया कि इस प्रकार के सत्र विद्यार्थियों और प्रोफेसरों के बीच विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए जरूरी होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ‘कर्मयोगी’ कार्यक्रम न केवल छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए, बल्कि समाज की बेहतरी के लिए भी महत्वपूर्ण है।
कार्यशाला के दौरान, छात्रों और प्रोफेसरों ने संस्थान की प्रगति के लिए विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए समाधान सुझाए। छात्रों ने भी अपने विचारों को साझा किया और बताया कि किस तरह से वे संस्थान के उद्देश्यों को बेहतर ढंग से प्राप्त कर सकते हैं। कई छात्रों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि किस तरह से उन्हें अपनी शिक्षा के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ा, और इसके समाधान के लिए वे क्या कदम उठा सकते हैं।
कार्यशाला में प्रोफेसर और छात्रों के बीच संवाद ने सकारात्मक माहौल को जन्म दिया और सभी ने मिलकर चुनौतियों के समाधान के लिए व्यावहारिक तरीके प्रस्तावित किए। अंत में, डॉ. आई. एस. तोमर ने सभी के योगदान की सराहना की और आशा व्यक्त की कि इस प्रकार के सत्र आगे भी आयोजित किए जाएंगे, ताकि छात्रों की सोच और दृष्टिकोण को विस्तार मिले।
इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. रूपेश चतुर्वेदी ने किया, और धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. रोशन गिलानी ने किया। इस कार्यक्रम में कॉलेज के सभी विभागों के प्रोफेसर और छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, और यह कार्यक्रम एक सफल मंथन सत्र के रूप में समाप्त हुआ।
कार्यशाला के दौरान, छात्रों और प्रोफेसरों ने संस्थान की प्रगति के लिए विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए समाधान सुझाए। छात्रों ने भी अपने विचारों को साझा किया और बताया कि किस तरह से वे संस्थान के उद्देश्यों को बेहतर ढंग से प्राप्त कर सकते हैं। कई छात्रों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि किस तरह से उन्हें अपनी शिक्षा के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ा, और इसके समाधान के लिए वे क्या कदम उठा सकते हैं।
कार्यशाला में प्रोफेसर और छात्रों के बीच संवाद ने सकारात्मक माहौल को जन्म दिया और सभी ने मिलकर चुनौतियों के समाधान के लिए व्यावहारिक तरीके प्रस्तावित किए। अंत में, डॉ. आई. एस. तोमर ने सभी के योगदान की सराहना की और आशा व्यक्त की कि इस प्रकार के सत्र आगे भी आयोजित किए जाएंगे, ताकि छात्रों की सोच और दृष्टिकोण को विस्तार मिले।
इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. रूपेश चतुर्वेदी ने किया, और धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. रोशन गिलानी ने किया। इस कार्यक्रम में कॉलेज के सभी विभागों के प्रोफेसर और छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, और यह कार्यक्रम एक सफल मंथन सत्र के रूप में समाप्त हुआ।