आनंद ताम्रकार
बालाघाट १३ जून ;अभी तक ; बालाघाट जिले से स्थानांतरित पुलिस अधीक्षक श्री नगेन्द्र सिंह द्वारा एक निजी न्यूज पोर्टल में दिया गया बयान सुर्खियां बटोर रहा है। उनके दिया हुआ बयान पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है।
आइपीएस नगेन्द्र सिंह ने पुलिस विभाग में सिपाही आरक्षक एएसआइ स्तर के कर्मचारियों की पीड़ा काम के बोझ से पनप रहे तनाव वरिश्ठ अधिकारियों के साथ उनके साथ किये जाने वाले व्यवहार सहित अन्य पहलुओं पर अपनी दिल की बात कही है। इस विडियों में नगेन्द्र सिंह ने पुलिस विभाग की उस हकीकत को उजागर किया है जो सामान्यतह दबी रह जाती है और उन पर कोई चर्चा नही करना चाहता उन्होने पुलिस अधिकारियों को निचले तबके के पुलिसकर्मियों से प्रेम एवं सदभाव से काम देने उनका दुखदर्द पीड़ा को समझने की नसीहत देते हुये इसको अमल में लाने की आवष्यकता बताई है।
यह उल्लेखनीय है की 7 जून को उनकी विदाई से पूर्व पुलिस परेड ग्राउंड में फ्रेंडली क्रिकेट मैच रखा गया था मैच खत्म होने के बाद पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुये अपने अनुभव के साथ पुलिस विभाग की सच्चाई पर अपने उदगार व्यक्त किये।
एसपी नगेन्द्र सिंह ने कहा की एक सिपाही या आरक्षक की ड्यूटी के घंटे तय नहीं होते थाने में आने वाले शिकायतकर्ता उनसे बहस करते हैं। राजनेताओं द्वारा दबाव बनाया जाता है क्योंकि वे आसान टारगेट माने जाते है। पुलिस अधिकारियों को भी उन्हीं से काम लेना पडता है वो कई महिनो तक अपने घर नही जा पाते वैसे तो विभाग से उन्हें एक महिने का अधिक वेतन दिया जाता है लेकिन आरक्षक की नौकरी बड़ी कठिनाई भरी है। एक सिपाही या आरक्षक के उपर 300-300 वारंट तामिल करने की जिम्मेदारी रहती है 50-50 प्रकरणों की डायरी एक एएसआई करता है उसके पास गर्दन उपर करने का समय नही रहता उसके पास इतना भी समय नही रहता की वो अपने वरिश्ट अधिकारी के पास जाकर वह यह बता सके की उसके जीवन में क्या चल रहा है। उन्हे ये भी पता नही चलता की उनका बच्चा कब बड़ा हो गया कब बीमार हो गया उनकी पत्नी किस हाल में है नाराज है या खुष है कुछ नही पता। इसके बाद भी हम जैसे वरिश्ठ अधिकारी उन्हें डांटते रहते है उन्हें मानसिक तनाव देते है। इस लिये वरिश्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी है की छोटे पुलिस कर्मचारियों से प्यार से बात करें उनकी पीड़ा को समझे उनकी मदद करें यहीं किसी वरिश्ठ अधिकारी की लीडरसिप है। यह सबक हमेषा याद रखा जाये जीवन में ऐसी कोई समस्या कोई कठिनाई नही है जिसका समाधान नही निकला जा सकता। समाज, प्रशासनिक व्यवस्था में पुलिस के महत्वपूर्ण योगदान पर नगेन्द्र सिंह ने कहा की भले ही पुलिस को लोग लाख बुरा भला कहे लेकिन अन्त में लोगों को पुलिस की ही याद आती है। प्रशासन को अपनी छवि दिखानी हो तो पुलिस ही उनका सहारा बनती है। तहसीलदार को भी अपना रौब दिखाना हो तो उसे भी उसके सामने चलने के लिये चार पुलिस वालों की जरूरत पडती है। संबोधन के समय कलेक्टर श्री मृणाल मीणा भी मौजूद थे।