दीपक शर्मा
पन्ना २५ फरवरी ;अभी तक ; पन्ना जिले के अमानगंज निवासी रितेश सुहाने, पिता विजय सुहाने, जो वर्तमान समय में वत्सला हिल व्यू सैनिक सोसायटी, प्लॉट नंबर 50-51 जबलपुर में रहते है वह एक अमेरिकी रिटर्न्ड आईटी इंजीनियर है तथा अनेक वर्षो से अमेरिका में रहे है हाल ही में वापिस अपने देश भारत लोटे तथा जबलपुर मे रह रहे है उनके साथ उन्ही के मित्रो द्वारा धोखाधढी करते हूये 38 लाख रूपये का चूूना लगाया है जिसकी शिकायत संबंधित द्वारा पुलिस से भी की गई।
आवेदन देते हुए बताया कि मेरे मित्र रवि रूंगटा ने अपने साले आशीष महाजन के साथ मिलकर कंपनी के नाम पर मुझसे 38 लाख रुपये का निवेश कराया और धोखा दिया। रवि ने यह कहा था कि वह अपनी निजी जमीन, जो 15/2 बरेला मनेरी रोड पर स्थित है, उसे कंपनी के नाम पर दस साल के लिए लीज पर देंगे। लेकिन पैसे मिलने के बाद, कई बार कहने पर भी रवि रूंगटा ने टालमटोल की और अंत में जिस कंपनी के नाम पर पैसे निवेश कराए थे, न तो उसका संचालन किया, न ही लीज एग्रीमेंट किया, और न ही पैसे लौटाए। तथा कंपनी के फण्ड का दुरुपयोग कर उसको अपनी निजी जमीन के डेवलपमेंट में कर लिया जब मैंने विरोध किया, तथा तंग आकर, मैंने 30 दिसंबर 2024 को थाना गढ़ा में रवि रूंगटा और आशीष महाजन के खिलाफ अपराध दर्ज करने के लिए लिखित आवेदन के साथ हर संभव सबूत दस्तावेज, रिकॉर्डिंग, और प्रमाण पेश किये। लेकिन पुलिस उदासीन बनी हुई है। करीब दो महीने बाद भी थाना गढ़ा ने धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि मुझे बार-बार परेशान किया गया और बुलाया गया। तंग आकर, मैंने इस बावत पुलिस अधीक्षक जबलपुर के यहां जन सुनवाई में शिकायत दर्ज करवाई, जिसके बाद वहां से फोन द्वारा थाना प्रभारी गढ़ा को धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने के लिए सूचित किया गया, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। अपराधी मुझे खुलेआम धमकियां दे रहे हैं और कह रहे हैं कि जो करना है, कर लो, पैसे नहीं मिलेंगे। मैंने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी शिकायत की, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं निकला। मुझे हर तरह से हतोत्साहित किया जा रहा है। ऐसा लगता है जैसे सिस्टम मिडिल क्लास की चीखों को नजरअंदाज करने के लिए ही बना हुआ है, सिस्टम में आला अधिकारियों की नींद तभी खुलेगी जब कोई दुखद घटना घट चुकी होगी।
एक दुखद सच्चाई है कि हमारा न्याय व्यवस्था तब जागती है जब बहुत देर हो चुकी होती है जब एक पीड़ित या तो अपनी जान दे चुका होता है या मार जा चुका होता है। जब पीड़ित मदद की गुहार लगाता है, शिकायतें दर्ज करता है और कार्रवाई की भीख मांगता है, तो सिस्टम चुप रहता है, उन्हें तब तक छोड़ देता है जब तक वे टूट नही जाते। अतुल सुभाष की दुखद कहानी इसका ताजा उदाहरण है, लेकिन कुछ भी आज भी नहीं बदला है।
रितेश सुहाने, पिता विजय सुहाने, जो एक अमेरिकी रिटर्न्ड आईटी इंजीनियर है। कड़ी मेहनत करके पैसे बचा कर और भारत लौटकर अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने के लिये अपने देश लोटे थे तथा उन्हांेने सुना था कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है, लेकिन मैंने वापस आने के बाद कुछ और ही पाया। कड़वी सच्चाई यह है कि भारत में सबसे ज्यादा दुखी मिडिल क्लास लोग है, जो एक ऐसे सिस्टम में फसे हुए हैं, जहां कुछ नहीं बदलता, सिवाय टैक्स के बढ़ते बोझ ।