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    प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारी न्यायालय के निर्देशों और मंत्रिपरिषद में पारित आदेशों की अवहेलना कर रहे है- डॉ सौरभ जैन

    महावीर अग्रवाल
    मन्दसौर २० फरवरी ;अभी तक ;   म.प्र. शासकीय-स्वशासी चिकित्सक महासंघ के बैनर तले प्रदेश के करीब 8 मेडिकल ऑफिसर एवं डॉक्टर्स एसोसिएशन द्वारा अपनी मांगों को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जा रहा है। 20 फरवरी से शुरू हुआ यह चरणबद्ध आंदोलन 24 फरवरी को पूर्ण असहयोग आंदोलन में बदल जाएगा। मध्य प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारी न तो माननीय हाई कोर्ट के निर्देशों का तय समय सीमा निकल जाने के पश्चात भी पालन कर उच्च स्तरीय समिति का पुनर्गठन कर रहे है, न ही पिछली उच्च स्तरीय समिति के निर्णयों के बाद माननीय मंत्री परिषद की बैठक में पारित विषयों के 17 महीने निकल जाने के बाद भी मंत्री परिषद के आदेशों की अवहेलना कर विभागीय आदेश निकाल उनका क्रियान्वन कर रहे हैं, और न ही कोलकाता की वीभत्स घटना पश्चात महिला चिकित्सकों के सुरक्षा मानकों हेतु मान. सुप्रीम कोर्ट और नेशनल टास्क फोर्ट के दिशानिर्देशों को लागू कर रहे हैं, आज पुनः मजबूरन विवश होकर प्रदेश के चिकित्सकों को ये आंदोलन करना पड़ रहा है।
                                    यह बात मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (एमटीए) मंदसौर के अध्यक्ष डॉ. सौरभ जैन ने सुंदरलाल पटवा शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय मंदसौर के सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। पत्रकार वार्ता में अध्यक्ष डॉ.सौरभ जैन ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय ,माननीय उच्च न्यायालय,मध्य प्रदेश एवं मुख्य लोकतांत्रिक संस्था मध्यप्रदेश के कैबिनेट से पारित आदेश की अवहेलना की वजह से हम आंदोलन के लिए बाध्य हुए।  जिसमें प्रमुख रूप से माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 4 दिसंबर 2024 के अपने आदेश में 2 सप्ताह में हाई पावर कमेटी का गठन एवं उससे अगले 2 सप्ताह में डॉक्टर्स के मुद्दे सुलझाने का आदेश दिया था जो कि आज दिनांक तक नहीं दिया गया। इस कमेटी का शीघ्रातिशीघ्र गठन कर हम सभी घटक संगठनों की सभी मांगों को इसमें शामिल कर उनका हल निकालेंगे। मध्य प्रदेश कैबिनेट से पारित समयमान चयन वेतनमान (डीएसीपी) का अभी तक कई चिकित्सकों एवं चिकित्सा शिक्षकों को लाभ नहीं मिल रहा है। कई जगह इसके जो आदेश जारी हुए वह भी त्रुटिपूर्ण है।
                              साथ ही हमारी मांग है कि मध्य प्रदेश कैबिनेट द्वारा 4 अक्टूबर 2023 में पारित आदेश सातवें वेतनमान का वास्तविक लाभ 1 जनवरी 2016 से दिया जाए। एनपीए की गणना सातवें वेतनमान के अनुरूप की जाये। एमपीपीएचसीएल द्वारा सप्लाई की गई कई दवाइयां अमानक पाई गई जिसमें कुछ दवाईया आईसीयू व ऑपरेशन थिएटर में उपयोग होने वाली जीवन रक्षक दवाई भी शामिल है। इसके पश्चात भी आज दिनांक तक निर्माताओ पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। अतः तुरंत संज्ञान लेकर दोषियों पर कार्यवाही की जाये। कोलकाता के आर जी कार मेडिकल कॉलेज में हुई दुखद घटना के पश्चात माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित नेशनल टास्क फ़ोर्स की रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने का कोई प्रयास नहीं हुआ अतः इस ओर कठोर कदम उठाये जाये। विभाग में तकनीकी विशेषज्ञ के स्थान पर नए नए आदेश कर प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति से प्रदेश की स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था अधर में जा चुकी है। अतः प्रशासनिक दख़लंदाज़ी ख़त्म किया जाये।
         यह है आंदोलन की रूपरेखा-
                                एमटीए सचिव डॉ ईशांत चौरसिया ने बताया कि आज 20 फरवरी को समस्त चिकित्सकों ने भोजन अवकाश में आधे घंटे दोपहर 1 से 1.30  बजे काली पट्टी लगाकर विरोध प्रदर्शन किया है। कल 21 फरवरी, शुक्रवार को काली पट्टी बांध कर प्रदेश के चिन्हित अस्पतालों में जनता के स्वास्थ से खिलवाड़ के विरोध में ‘‘अमानक दवाइयों की सांकेतिक होली‘‘ जलाएंगे तथा भोजन अवकाश में दोप. 1 से 2 बजे विरोध प्रदर्शन करेंगे। 22 फरवरी को चिकित्सक काली पट्टी के साथ प्रदेशव्यापी ‘सामूहिक चिकित्सक उपवास’ रख मुंह पर मास्क / पट्टिका पहनकर भोजन अवकाश में दोपहर 1 से 2 प्रदर्शन करेंगे। अमानक दवाईयो  की होली जलाएंगे ।24 फरवरी, सोमवार से ‘‘चिकित्सा बचाओ -चिकित्सक बचाओ’’ जन आंदोलन का ऐलान करेंगे।

                                     इंडियन मेडिकल एसोसिएशन मंदसौर के अध्यक्ष डॉ सुरेश जैन ने डाक्टरों की इस हड़ताल को समर्थन दिया हे।

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